23 सितंबर 2020 को राहु ने वक्रगति के चलते हुए मिथुन से वृषभ राशि में एवं केतु ने धनु से वृश्चिक राशि में प्रवेश कर लिया है। राहु को ज्योतिष शास्त्र में शनि के समान व केतु को मंगल के समान स्वभाव वाला ग्रह माना गया है। जैसे शनि को प्रसन्न करने के लिए किसी कुत्ते को तेल चुपड़ी हुई रोटी खिलाने की सलाह दी जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुत्ते को तेल चुपड़ी रोटी खिलाने से शनि के साथ ही राहु-केतु से संबंधित दोषों का भी निवारण हो जाता है। राहु-केतु के योग कालसर्प योग से पीड़ित व्यक्तियों को यह उपाय बहुत लाभ पहुंचाता है।
3. ॐ शिरोरूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहु प्रचोदयात्।
ध्यान रहे कि राहु मंत्र का जाप 8 बार किया जाता है।
2. ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:।
3. ॐ पद्मपुत्राय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो केतु: प्रचोदयात्।