एक तरफ राजनीति की रपटीली राह तो दूसरी तरफ साहित्य का सहज पथ, दोनों पर एक साथ संतुलन साधना सबके लिए संभव नहीं। लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी अपने नाम रूप अनुरूप...
जाने-माने भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता और सुलभ शौचालय जैसी सस्ती तकनीक के जनक डॉ. बिंदेश्वर पाठक को यहां इस साल के प्रतिष्ठित निक्की एशिया पुरस्कार से सम्मानित...
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18 जनवरी 2018 की ठंड भरी शाम...कोलकाता के बेलियाहाटा इलाके से हिंदी के लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार कृष्णबिहारी मिश्र से मिलकर अपने होटल लौट रहा हूं। वहीं हिंदी...
लीडिया एविलोव से माफी के साथ...दिल्ली में विश्व पुस्तक मेले की शुरुआत ने एक बार फिर मुझे अपनी जिंदगी में पुस्तकों की अहमियत की तरफ झांकने का मौका दिया।...
टाइम्स ऑफ इंडिया समूह एक दौर में ना सिर्फ हिंदी प्रकाशनों का सबसे बड़ा प्रकाशक रहा, बल्कि हिंदी पत्रकारिता और लेखन की शीर्ष प्रतिभाओं का केंद्र भी रहा।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले में एक बार फिर चारा घोटाले में रांची की सीबीआई अदालत ने दोषी ठहरा...
हाल ही में एक सज्जन को सरकारी दफ्तर में कंसल्टेंट के तौर पर नौकरी मिली। निजीकरण का दौर जब तेज हुआ था तो सरकारी क्षेत्र की नौकरियां निजी कंपनियों की नौकरियों...
सरदार पटेल को जब से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के तौर पर अहमियत देना शुरू किया है, तब से उनसे जुड़े एक तथ्य को बार-बार प्रकाश...
भारतीय राजनीति के हरफनमौला योद्धा राजनारायण की ख्याति खुद को सर्वशक्तिमान समझने वाली इंदिरा गांधी को कोर्ट और वोट में हराने वाले नेता की रही। उनका जन्मशताब्दी...
1974 के जिस बिहार आंदोलन ने देश में दूसरी आजादी को स्थापित किया, उसकी कल्पना जयप्रकाश नारायण की अगुआई के बिना नहीं की जा सकती है। इस आंदोलन में तब की सत्ताधारी...
शुरुआत में कुछ कोशिशें अजूबा लगती हैं, इसलिए कुछ लोगों की हंसी का पात्र भी बनती हैं। अगर कोशिश तकनीक की दुनिया से जुड़ी हो तो उस पर सवालों के तीरों की...
“अगर मेरे पास एक निरंकुश शासक की सत्ता हो, तो मैं विदेशी माध्यम के द्वारा हमारे लड़कों और लड़कियों की पढ़ाई आज ही रोक दूं और तमाम शिक्षकों और अध्यापकों...
नई दिल्ली। बिहार में एनडीए की सरकार बनने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार की संभावना बढ़ गई है। सूत्रों का कहना है कि जनता दल यू के दो सांसदों को...
भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में गांधी हर मर्ज की दवा हैं...हर राजनीतिक कदम को वाजिब ठहराने का पैमाना हैं...गांधी विचार से हकीकत की राजनीति चाहे जितनी भी दूर...
1984 की सर्दियां शुरू हो चुकी थीं....31 अक्टूबर को प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद विक्षुब्ध देश चुनावों का सामना करने के...
महाकौशल की राजधानी रहे जबलपुर में मई की वह दोपहरी कुछ ज्यादा ही चटक और तीखी हो चली थी। उस होटल से हम अपना बोरिया बांधने की तैयारी में थे। कुल जमा सात घंटे...
डरपोक तो अब भी हूं, लेकिन शायद उम्र के हिसाब से अपने जेहन से यह अब कुछ ज्यादा ही कम हो गया है। असम कैडर के सुपर कॉप केपीएस गिल नहीं रहे और अपना डरपोक स्वभाव...
20वीं सदी का आखिरी साल बीत चुका था। 21वीं सदी के पहले महीने में जाड़ा लोगों की हड्डियां कंपाने लगा था, उन्हीं दिनों दैनिक भास्कर के तत्कालीन फीचर संपादक...
अपनी पढ़ाई-लिखाई धुर देहाती माहौल में उस पूर्वी उत्तर प्रदेश में हुई है, जहां विकास की किरणें उतनी रफ्तार से नहीं पहुंच पाई हैं, जितनी उम्मीद की जानी चाहिए।...