किसी भी फिल्म को देखकर उसके बारे में दो तरह से लिखा जा सकता है। एक तो फटाफट फर्स्ट डे फर्स्ट शो वाले अंदाज में, ब्रेकिंग न्यूज की तरह उसके बारे में... 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	अनिल दवे को जानने से पहले जरा उनकी अंतिम इच्छाओं के बारे में जान लीजिए... ये इच्छाएं उन्होंने 23 जुलाई 2012 को यानी करीब पांच साल पहले व्यक्त कर दी... 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	चारों तरफ सन्नाटा है। आजादी के दीवानों को सांप सूघ गया है। सारी जबानों पर ताले लटक गए हैं। सारे चूहे बिलों में जा छिपे हैं। जबकि बयान यह आया है कि ‘बीवी... 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	आप सोच रहे होंगे कि मैंने शीर्षक शायद कुछ गलत लिख दिया है, क्योंकि सही शीर्षक तो 'अलबर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है' होना चाहिए। आज की पीढ़ी के पाठक... 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	भोपाल। मध्यप्रदेश में मिशन इंद्रधनुष के दूसरे चरण में व्यापक जनभागीदारी के कारण बच्चों के इस विशेष समग्र टीकाकरण अभियान को अभूतपूर्व सफलता मिल रही है।... 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	मध्यप्रदेश के मतदाता बहुत चतुर सुजान निकले। उन्होंने रतलाम-झाबुआ लोकसभा और देवास विधानसभा के ताजा उपचुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों को ‘लड्डू’ दे दिया।... 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	हिन्दी के प्रसिद्ध उपन्यासकार श्रीलाल शुक्ल ने अपनी सार्वकालिक रचना ‘राग दरबारी’ में शिक्षा प्रणाली को लेकर बहुत ही मार्के की बात कही है, वे कहते हैं-... 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	मैं जो लिखने जा रहा हूं, पहले ही बता दूं कि उसमें कोई नई बात नहीं है। मामला वही है जो बरसों से चला आ रहा है, वही पहले घटना का होना, फिर उसके बाद स्यामपा... 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	एक हिन्दी फिल्म का मशहूर डॉयलॉग है-‘एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू...’ बच्चों की जिंदगी में यही डॉयलॉग कुछ इस तरह कहा जा सकता है- ‘एक... 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	अपने हरे-भरे वातावरण के लिए देशभर में पहचाने जाने वाले भोपाल की हरियाली आज कुछ ज्यादा ही नम होगी। 40 डिग्री से अधिक के तापमान वाले इन दिनों में भी आज... 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	मध्यप्रदेश से भले ही बीमारू का टैग धीरे-धीरे हट रहा हो लेकिन लगता है राज्य के पिछड़े इलाकों में शुमार बुंदेलखंड क्षेत्र से यह टैग स्थायी रूप से चिपक कर... 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	देश में सर्वाधिक आदिवासी आबादी वाले राज्यों में शुमार मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों में स्वास्थ्य की दृष्टि से बच्चे घोर उपेक्षा का शिकार हैं। इनमें... 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	मध्यप्रदेश के 12 मंत्रियों के गृह जिलों में बच्चों के पूर्ण टीकाकरण का औसत प्रदेश के औसत से भी कम है। मंत्रियों की यह संख्या राज्य मंत्रिमंडल की आधी है। 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	मध्यप्रदेश में महिला जनप्रतिनिधि यदि ठान लें तो राज्य के माथे पर लगा सबसे अधिक शिशु मृत्यु दर वाले प्रदेश का दाग धोया जा सकता है। प्रदेश पर लगा यह काला... 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	शिक्षा के बढ़ते स्तर और जीवन स्तर में हो रहे लगातार सुधार ने मध्यप्रदेश में बच्चों को असमय मौत के मुंह में जाने से रोकने में बड़ी भूमिका निभाई है। पढ़े-लिखे... 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	आमतौर पर माना जाता है कि बीमारियों से बचाने के लिए जीवनरक्षक टीके केवल बच्चों के लिए ही जरूरी हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। गर्भवती माताओं के लिए भी कुछ टीके... 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	मध्यप्रदेश में बच्चों और गर्भवती माताओं को जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए चलाया जाने वाला टीकाकरण अभियान अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर पा रहा है। हालांकि... 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	मध्यप्रदेश में शिशुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिहाज से लगाए जाने वाले विभिन्न बीमारियों के जीवन रक्षक टीकों के मामले में उज्जैन संभाग को छोड़कर कोई भी संभाग... 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	मध्यप्रदेश में आज भी गलत धारणाओं और अधंविश्वास के चलते कई बच्चे टीका लगने से वंचित रहने के कारण या तो गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं या असमय मौत के शिकार... 
       			
          
         
	    		 
            	
                
                
				
                   	बड़ा विचित्र समय है। सारी नैतिकताएं, सारी मान्यताएं, सारे शिष्टाचार और सारे आदर्श दरकिनार किए जा रहे हैं। कोई किसी को चंद रोज पहले तक जी भरकर गाली दे...