रंगीन पंखों वाला था डायनासोर

BBC
करीब डेढ़ करोड़ साल पुराने डायनासोर के अवशेष से ये पता चला है कि इसके पंख रंगीन थे। विज्ञान की पत्रिका साइंस में प्रकाशित एक शोध में ऐसा कहा गया है। इस शोध में जीवित पक्षियों के पंखों में रंगों के लिए उत्तरदायी अवयवों की संरचना और डायनासोर के जीवाश्म की तुलना की गई है।

इस शोध के उपलेखक और येल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रिचर्ड प्रम ने कहा कि आज अगर ये डायनासोर जीवित होते तो देखने में काफी आकर्षक नजर आते। ऐसा माना गया है कि डायनासोर रंगों की मदद से अपने सहयोगी को आकर्षित करता था।

चीन में जुरासिक काल से पहले चार पंखों वाला एंकिऑरनिस हक्सलेई नामक डायनासोर रहता था। शोधकर्ताओं ने इसी के जीवाश्म को शोध के लिए इसलिए चुना क्योंकि इनके पंख को बहुत अच्छे से रखा गया था।

खूबसूरती की मिसाल : उनका मानना है कि डायनासोर का शरीर धुंधला, शिरा लाल-भूरा, धब्बेदार चेहरा और पंख रंगीन थे जिसका आखिरी सिरा काला था।

वैज्ञानिकों का कहना है कि पंखों और पैरों पर रंगों की आकृति आजकल के मुर्गों से काफी मिलता-जुलता है। ये पहली बार है जब डायनासोर जीवाश्म पर रंगों के लिए विस्तृत अध्य्यन किया गया है। ये अवशेष बहुत ही सुंदर हैं। आप इसके सभी पंखों को देख सकते हैं जो इसकी हड्डी से जुड़ा है। हमने इसके शरीर के सभी अंगों से नमूना लिया था।

अमेरिका स्थित येल विश्वविद्यालय के जीवाश्म वैज्ञानी और इस शोध में हिस्सा रह चुके जैकब विनथर कहते हैं कि डायनासोर को एक पेड़ से दूसरे पेड़ तक उड़ने में इसे चारों पंख से मदद मिलती होगी।

वो कहते हैं, 'अगर आप डायनासोर होते और एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर उड़ना चाहते तो शुरु में आपको उछलकर जाना होता जो पंखों के धीरे-धीरे विकास में सबसे उपयोगी होता।'

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