कोरोना: जिस सिंगापुर पर केजरीवाल ने उठाए सवाल, जानिए असल में क्या है वहाँ कोरोना का हाल?
शनिवार, 22 मई 2021 (07:51 IST)
सरोज सिंह, बीबीसी संवाददाता, दिल्ली
दक्षिण पूर्व एशिया का एक छोटा सा देश, जहाँ की कुल आबादी है तक़रीबन 60 लाख। जहाँ की महज़ एक फ़ीसद आबादी कोरोना संक्रमित है, जहाँ की 25 फ़ीसद आबादी को कोरोना टीके के दोनों डोज़ लग चुके हैं, वो छोटा सा देश पिछले दो-तीन दिन से केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच ज़ुबानी जंग का केंद्र बना हुआ है। इस छोटे से देश का नाम है सिंगापुर।
पूरा मामला शुरू हुआ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के एक ट्वीट से। ट्वीट में उन्होंने लिखा था, "सिंगापुर में आया कोरोना का नया रूप बच्चों के लिए बेहद ख़तरनाक बताया जा रहा है, भारत में ये तीसरी लहर के रूप में आ सकता है। केंद्र सरकार से मेरी अपील है कि सिंगापुर के साथ हवाई सेवाएं तत्काल प्रभाव से रद्द हों। बच्चों के लिए भी वैक्सीन के विकल्पों पर प्राथमिकता के आधार पर काम हो।"
उनके इस ट्वीट के जवाब में नागर विमानन मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि वंदे भारत के तहत ही कुछ उड़ाने सिंगापुर में फँसे भारतीयों को लाने के सेवा में हैं। बाक़ी सेवाएं मार्च 2020 से बंद हैं।
लेकिन पूरा मामला यहीं नहीं रुका। सिंगापुर ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। भारत के विदेश मंत्री ने भी केजरीवाल के बयान पर विरोध जताया और भारत की तरफ़ से सफ़ाई पेश की।
लेकिन जिस सिंगापुर देश की बात हो रही थी, क्या वाक़ई में वहाँ की स्थिति इतनी चिंताजनक है? क्या वाक़ई में बच्चे वहाँ ज़्यादा बीमार पड़ रहे हैं? उसी सिंगापुर के कोरोना संक्रमण स्थिति की पड़ताल करती है ये रिपोर्ट।
सिंगापुर का कोरोना ग्राफ़
सिंगापुर में मई के पहले हफ़्ते से रोज़ाना मिलने वाले कोरोना संक्रमण के नए मामलों में थोड़ी तेज़ी देखी गई है।
पिछले एक हफ़्ते की बात करें तो सिंगापुर में कुल 270 नए मामले सामने आएं हैं। सिंगापुर में पिछले आठ महीने में संक्रमण के मामलों में इतनी तेज़ी पहले नहीं देखी गई थी।
19 मई 2021 तक के आँकड़ों की बात करें तो वहाँ 61 हज़ार 689 मामले सामने आए हैं। अब तक सिंगापुर में 31 लोगों की कोविड-19 से मौत हुई है।
पूरे भारत को छोड़ भी दें और सिर्फ़ दिल्ली के लिहाज़ से देखें तो ये संख्या आपको बहुत ही कम लगेगी। पर सिंगापुर के लिहाज़ से ये बहुत ज़्यादा है। वहाँ एक दिन में 30-40 मामले मिलना बड़ी बात मानी जाती है। लेकिन क्या इस संक्रमण की रफ़्तार पर वहाँ इतनी हाय तौबा मची है, जितनी भारत और दिल्ली में हो रही है? यही जानने के लिए हमने बात की सिंगापुर के एनयूएस के स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ के प्रोफ़ेसर तियो यिक यिंग से।
प्रोफ़ेसर यिक यिंग सिंगापुर के कोरोना ग्राफ़ को पिछले एक साल से बारीकी से फ़ॉलो कर रहे हैं। बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा, "निश्चित तौर पर मई के इस महीने में बढ़ते मामले, कोविड-19 महामारी के दौरान के अब तक के बुरे दौर में से एक है। लेकिन मैं इसे दूसरी लहर नहीं कहूंगा। मैं महामारी की लहर की गिनती में वैसे भी विश्वास नहीं करता। लेकिन बढ़े हुए मामलों की बात करें तो पिछले डेढ़ साल में ऐसी बढ़त चार से पाँच बार देखने को मिली है। जहाँ तक कम्युनिटी आउट ब्रेक की बात है, निश्चित तौर पर ये दूसरा मौक़ा है जब संक्रमण के मामले इतने तेज़ी से बढ़े हैं। इससे पहले पिछले साल अप्रैल और मई के महीने में इससे ज़्यादा संक्रमण देखने को मिले थे।"
यहाँ ये जानना ज़रूरी है कि सिंगापुर में कोरोना संक्रमण के मामलों को तीन कैटेगरी में रिपोर्ट किया जाता है।
पहला है कम्युनिटी आउटब्रेक - जो स्थानीय लोगों में संक्रमण से जुड़ा होता है। दूसरा है सिंगापुर ट्रैवलर - जो बाहर से आने-जाने वालों की वजह से संक्रमित होते हैं। तीसरा है माइग्रेंट वर्कर कैटेगरी के मामले। इस बार संक्रमण की संख्या कम्युनिटी में तेज़ी से बढ़ रही है जिस तरफ़ इशारा प्रोफे़सर यिक यिंग कर रहे थे।
सिंगापुर में बच्चों में कितना संक्रमण
तो क्या इस बार के बढ़ते मामलों में बच्चे ज़्यादा संक्रमित हो रहे हैं? आख़िर ये बात सामने कहाँ से आई, जिसका ज़िक्र अरविंद केजरीवाल कर रहे थे। बीबीसी ने इसकी पड़ताल की।
दरअसल समाचार एजेंसी रॉयटर्स की 17 मई की रिपोर्ट में इस बात का ज़िक्र मिलता है। सिंगापुर के शिक्षा मंत्री के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया था, "नया वैरिएंट तेज़ी से संक्रमण फैला रहा है और प्रतीत होता है कि बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है। हालांकि अब तक संक्रमण की वजह से किसी बच्चे में गंभीर लक्षण देखने को नहीं मिले हैं। संक्रमित हुए बच्चों में मामूली लक्षण ही देखने को मिले हैं।"
संक्रमण की बढ़ती रफ़्तार को देखते हुए सिंगापुर सरकार ने एहतियातन क़दम उठाते हुए स्कूलों को एक बार फिर से 28 मई तक बंद कर दिया है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की ये रिपोर्ट भारत में भी कई अख़बारों में छपी जिसका ज़िक्र दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया। और यहीं से पूरे मामले ने तूल पकड़ा। हालांकि अब तक सिंगापुर सरकार ने इस बारे में कोई आधिकारिक आँकड़ा साझा नहीं किया है जिससे पता चल सके कि आख़िर कितने बच्चे वहाँ कोरोना संक्रमण के शिकार हैं।
बीबीसी ने सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय से ईमेल पर सम्पर्क किया। जवाब में उन्होंने लिखा। "पब्लिक हेल्थ से संबंधित जानकारी स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ़ से जारी प्रेस रिलीज़ में हर दिन साझा की जाती है। इसमें संक्रमण के हर नए मामले के साथ उनकी उम्र का उल्लेख भी होता है और देश में कोरोना संक्रमण की ताज़ा स्थिति भी बताई जाती है।"
सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ़ से जारी होने वाले प्रेस रिलीज़ ( 1 मई से 19 मई ) में ये साफ़ दिखता है कि बच्चों में संक्रमण की संख्या दूसरे आयु वर्ग के मुक़ाबले बहुत ही कम हैं। इस बात की तसदीक़ एक दूसरे स्रोत से मिली जानकारी के आधार पर भी की जा सकती है।
बच्चे कितनी संख्या में सिंगापुर में कोरोना संक्रमण से प्रभावित हो रहे हैं, यही सवाल हमने अपने एक्सपर्ट प्रोफ़ेसर यिक यिंग से किया। जवाब में वो कहते हैं, "ये सच है कि इस बार बच्चे भी संक्रमित हो रहे हैं। लेकिन अगर आँकड़ों की बात करें तो मुझे नहीं लगता कि 2020 में अप्रैल-मई के मुक़ाबले उनकी संख्या इस बार ज़्यादा है।"
यहाँ एक बात और ग़ौर करने वाली है कि सिंगापुर उन चंद देशों में शुमार है जहाँ 12 साल से ऊपर के बच्चों के टीकाकरण को सरकार ने मंजूरी दे दी है। अमेरिका की फ़ाइज़र वैक्सीन ही वहाँ बच्चों को लगेगी। हालांकि सिंगापुर सरकार ने इसके लिए कोई टाइमलाइन तय नहीं की है।
प्रोफ़ेसर यिक यिंग आगे कहते हैं, "सिंगापुर में लोग इस बारे में चिंतित नहीं है, बल्कि वायरस के वैरिएंट की वजह से ज़्यादा चिंतित हैं।"
सिंगापुर सरकार के मुताबिक़ वहाँ मामलों की बढ़ती रफ़्तार के पीछे वायरस का B.1.617 वैरिएंट है, जो ज़्यादा तेजी से फैलता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल ही में B.1.617 वैरिएंट को 'ग्लोबल वैरिएंट ऑफ़ कंसर्न' बताया है। दुनिया के 40 से ज़्यादा देशों में इस वैरिएंट से संबंधित मामले देखने को मिले हैं। ऐसे में एक सवाल ये भी उठता है कि क्या अब ये वैरिएंट कहीं नया रूप तो नहीं ले रहा, जो आगे चल कर बच्चों के लिए चिंता का सबब बन जाए?
इस पर भारत के महामारी रोज विशेषज्ञ डॉक्टर चंद्रकांत लहरिया कहते हैं, "किसी नए वैरिएंट को जीनोम सीक्वेंसिंग से ही साबित किया जा सकता है। और ये कोई नया वैरिएंट इसलिए भी नहीं लगता क्योंकि नया वैरिएंट बनने के लिए वायरस को हज़ारों बार मल्टीप्लाई करना पड़ता है।"
सिंगापुर में मामले बढ़ने के कारण
दरअसल सिंगापुर में मामलों के बढ़ने के पीछे चूक की एक बड़ी वजह वहाँ का चांगी एयरपोर्ट माना जा रहा है, जो इस साल कोरोना संक्रमण का सबसे बड़ा केंद्र बन गया है।
अधिकारियों को बाद में पता चला कि एयरपोर्ट के बहुत सारे कर्मचारी वहाँ के एक ऐसे ज़ोन में काम कर रहे थे जहाँ ऐसे देशों से यात्री आ रहे थे जहाँ कोरोना संक्रमण काफ़ी फैला हुआ है। इनमें से कई कर्मचारी एयरपोर्ट पर फ़ूड कोर्ट में खाना खाने जाने लगे जहाँ आम लोग भी आया करते हैं - और इस तरह वायरस फैलता गया। बाद में सिंगापुर में ये भी पता चला कि कई संक्रमित लोगों में वही B1617 वैरिएंट है जो भारत में फैला है।
प्रोफ़ेसर यिक यिंग बताते हैं कि फ़िलहाल सिंगापुर और भारत के बीच भले ही उड़ान रद्द हो, लेकिन कुछ देशों के साथ क़रार के तहत विमान सेवा चल रही है जिनमें आस्ट्रेलिया, चीन, न्यूज़ीलैंड, फ़िलिपींस और ताइवान शामिल हैं। भारत और सिंगापुर के बीच केवल वंदे भारत सेवा की उड़ानें ही चल रही हैं।
संक्रमण की रफ़्तार पर क़ाबू पाने के उपाय
जॉन्स हाप्किंग्स के आँकड़ों के मुताबिक़ सिंगापुर में कोरोना संक्रमण का पहला मामला भारत की ही तरह साल 2020 के जनवरी के अंत में आया था।
वहाँ पहला पीक पिछले साल अप्रैल और मई महीने के बीच दर्ज किया गया था, जब एक हफ़्ते में सबसे ज़्यादा 6-7 हज़ार मामले सामने आ रहे थे। साल भर बाद ये दूसरा मौक़ा है जब एक ही हफ़्ते में एक साथ इतने मामले सामने आ रहे हैं।
16 मई 2021 को वहाँ संक्रमण के 38 नए मामले मिले थे, जिसमें चार बच्चे शामिल थे। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक़ ये बच्चे एक ही ट्यूशन सेंटर से थे। सिंगापुर सरकार ने अब दोबारा से पाबंदियाँ लगानी शुरू कर दी हैं।
• बच्चों के लिए स्कूल 28 मई 2021 तक के बंद कर दिया गया है। अब स्कूलों में ऑनलाइन क्लास चल रही है।
• रेस्तरां में जाकर खाना खाने पर भी पाबंदी लगाई गई है। हालांकि टेक-अवे से खाना ले जाने की इजाज़त लोगों को दी गई है।
• अब केवल पाँच लोगों को ग्रुप में मिलने की इजाज़त है, पहले ये संख्या आठ हुआ करती थी।
• एक घर में एक दिन में केवल पाँच लोग ही जा सकेंगे, पहले आठ लोगों को मिलने की छूट थी।
• दफ़्तरों को दोबारा से वर्क फ्रॉम होम के लिए कहा गया है।
• ऑफ़िस पार्टी में भी केवल पाँच लोग एक साथ शामिल हो सकते हैं।