क्रिकेट की दीवानगी: गाड़ी से 17 देश लांघ गया भारतीय परिवार

मंगलवार, 9 जुलाई 2019 (18:36 IST)
एडम विलियम्स
बीबीसी स्पोर्ट
क्रिकेट के लिए भारतीय फैंस की दीवानगी अक्सर लोगों को चौंकाती है। ऐसा ही एक परिवार है जो क्रिकेट विश्व कप में टीम इंडिया का समर्थन करने सड़क के रास्ते 48 दिनों तक सफ़र करके सिंगापुर से इंग्लैंड पहुंचा है।
 
माथुर परिवार की तीन पीढ़ियों ने 17 देशों से होते हुए, भूमध्य रेखा और आर्कटिक सर्कल से दो महाद्वीपों को पार करके साढ़े 22 हजार किलोमीटर का यह सफर किया है।
 
माथुर परिवार की तीन साल की बेटी अव्या से लेकर 67 साल के दादा जी अखिलेश अपनी सात सीटों वाली गाड़ी पर 20 मई को सिंगापुर से निकले थे और 48 दिन बाद गुरुवार रात लंदन पहुंचे।
 
अब इन भारतीय फैंस को उम्मीद है कि उनका यह सफ़र अंजाम पर 14 जुलाई को पहुंचेगा, जब वे विराट कोहली के हाथ में विश्व कप ट्रॉफी देखेंगे।
 
उनके इस सफर में सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण क्या रहा। इस सवाल के जवाब में वो कहते हैं कि जब भारत शनिवार को श्रीलंका के खिलाफ जीता तो मंगलवार को न्यूजीलैंड के खिलाफ होने वाले मैच की टिकटें हासिल करना सबसे चुनौतीपूर्ण था।
 
सीधे फ्लाइट से क्यूं नहीं आए
लेकिन बर्फ, ओलों की बारिश और रेगिस्तानी तूफान से जूझते हुए क्रिकेट देखने के लिए सात दिन तक कार में सफर करके आने की क्या जरूरत थी, जबकि वो सीधे फ्लाइट से आसानी से आ सकते थे?
 
दो बच्चों के पिता अनुपम ने बीबीसी से कहा, 'मार्च से ही हमें पता था कि वर्ल्ड कप आ रहा है और हमें लगा कि भारत को सपोर्ट करने के लिए हमें वहां होना ही चाहिए।' फ्लाइट से आना सबसे आसान था। लेकिन फिर हमने सोचा, 'नहीं। देश के लिए कुछ खास करते हैं। सबको साथ लेकर।'
 
वो इसमें सबको साथ लेना चाहते थे। अनुपम के माता-पिता, अखिलेश और अंजना और उनका छह साल का बेटा अवीव पूरे सफर में उनके साथ थे। जबकि उनकी पत्नी अदिति और छोटी बेटी अव्या इस यात्रा में काफी दूर तक उनके साथ रहे। और ये पहली बार नहीं है जब अनुपम ने सड़क मार्ग से दुनिया देखने का फैसला किया हो।
 
उनके परिवार के ब्लॉग से पता चलता है कि इस ट्रिप के पहले अनुपम 96 हजार किलोमीटर तक का सफर कर चुके हैं और 36 देश देख चुके हैं। ये सफर उन्होंने खुद गाड़ी चलाकर किया है। अब इसमें 22 हजार मील और जुड़ जाएंगे। क्रिकेट की दीवानगी लिए अनुपम का परिवार इस ट्रिप में इन देशों से गुजरा।
 
सिंगापुर
मलेशिया
थाइलैंड
लाओस
चीन
किर्गिस्तान
उज्बेकिस्तान
कजाखस्तान
रूस
फिनलैंड
स्वीडन
डेनमार्क
जर्मनी
नीदरलैंड्स
बेल्जियम
फ्रांस
इंग्लैंड (अभी स्कॉटलैंड, वेल्स, उत्तरी आयरलैंड और रिपब्लिक ऑफ आयरलैंड बाकी हैं।)
 
अनुपम कहते हैं कि बचपन से ही मेरा सपना था कि मैं ड्राइव करके लंबी दूरी की ट्रीप्स करूं। मैं ड्राइव करके पूरी दुनिया घूमना चाहता था।
 
जिस सुबह वो लंदन पहुंचे मैं उनसे मिला। वो सात हफ्तों के इस सफर से थके हुए नजर नहीं आ रहे थे, बल्कि मंजिल तक पहुंचने की वजह से उनकी आंखों में एक चमक थी।
 
वो इस बात को लेकर उत्साहित थे कि उन्हें अगले दिन भारत बनाम श्रीलंका का मैच देखने के लिए एक और लेकिन पहले से छोटी ट्रिप करनी है।
 
उन्होंने पूरा सफर सात सीटों वाली गाड़ी में तय किया। इस गाड़ी का बाहरी हिस्सा अनुपम ने खास तरह से सजाया हुआ था। इसमें वो रूट और देश भी नज़र आ रहे थे, जिनसे होते हुए वो आए हैं।
 
मूल रूप से चेन्नई से
 
एक बैंक के लिए स्ट्रेटेजिस्ट के तौर पर काम करने वाले अनुपम और उनका परिवार मूल रूप से चेन्नई से है। लेकिन पिछले 14 साल से सिंगापुर में रहकर काम कर रहे हैं। लेकिन सिर्फ कुछ क्रिकेट मैच देखने के लिए उन्होंने इतना लंबा रोड ट्रिप कैसे प्लेन किया?
 
अनुपम कहते हैं, 'मैंने देखना शुरू किया कि रोड से ये कैसे हो सकता है। हमें किन देशों से होते हुए जाना होगा। फिर मैंने पाया कि ये सभी देश आपस में जुड़े हुए हैं।' 'उसके बाद हमने योजना बनानी शुरू की। सैंकड़ों वीज़ा अप्लाई किए और सबकुछ अपने आप होता गया।'
 
'किस्मत से हमें बहुत अच्छे गाइड भी मिले। जिन्होंने हमारी कुछ देशों में मदद की।' 'ये सब मैं अपने ड्राइविंग के जुनून की वजह से कर पाया और हम ये अपने देश और क्रिकेट के लिए कर रहे हैं।'
 
इस यात्रा में अनुपम के माता-पिता और बेटा हर वक्त साथ रहे। उनके माता-पिता ने ज़रूरत पड़ने पर रोडसाइड किचन बनाकर घर का खाना भी खिलाया।
 
अनुपम के पिता अखिलेश कहते हैं, 'पहले मुझे समझ नहीं आया कि कैसे करें। इतना लंबा सफर और सेहत का ख्याल भी आया।' 'लेकिन फिर मैंने फैसला किया कि हम जाएंगे और पूरे जोश के साथ जाएंगे। ताकि हम नई जगहों को देख सकें और उनका अनुभव कर सकें।'

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