केंद्र के तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली के बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि इन क़ानूनों को निरस्त किया जाए या फिर क़ानून बनाकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को सबके लिए लागू किया जाए।
इस प्रदर्शन में हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पंजाब के 30 से अधिक किसान संगठन शामिल हैं। लेकिन हम यहां पंजाब के उन पांच किसान नेताओं के बारे में बता रहे हैं जो इन प्रदर्शनों का ख़ास चेहरा बने हुए हैं।
किसानों के जननेता: जोगिंदर सिंह उगराहां
जोगिंदर सिंह उगराहां भारत में किसान आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक हैं। वो संगरूर ज़िले के सुनाम शहर के रहने वाले हैं और उनका जन्म और पालन-पोषण एक किसान परिवार में हुआ था।
भारतीय सेना से रिटायर होने के बाद, उन्होंने खेती की ओर रुख़ किया और किसान हितों की लड़ाई में सक्रिय हो गए। उन्होंने साल 2002 में भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) का गठन किया और तब से वो लगातार किसानों के मुद्दों पर संघर्ष कर रहे हैं।
जोगिंदर सिंह उगराहां एक उत्कृष्ट वक्ता हैं और इस कला से वो लोगों को जुटाने में माहिर हैं। उनका संगठन पंजाब का एक प्रमुख किसान संगठन है। पंजाब का मालवा क्षेत्र इस संगठन का गढ़ माना जाता है।
संगरूर के एक स्थानीय पत्रकार कंवलजीत लहरागागा कहते हैं, "मैं पिछले 20-25 सालों से किसानों के हितों के लिए जोगिंदर सिंह उगराहां को लड़ते देख रहा हूं। वो हमेशा जनहित की बात करते हैं। मैंने कभी भी उन्हें निजी मुद्दे पर संघर्ष करते नहीं देखा।"
किसानों का थिंक टैंक: बलबीर सिंह राजेवाल
77 वर्षीय बलबीर सिंह राजेवाल भारतीय किसान यूनियन के संस्थापक नेताओं में से एक हैं। बलबीर सिंह पंजाब के खन्ना ज़िले के राजेवाल गांव से हैं और स्थानीय एएस कॉलेज से 12वीं पास हैं।
भारतीय किसान यूनियन का संविधान भी बलबीर सिंह राजेवाल ने ही लिखा था। उनके संगठन का प्रभाव क्षेत्र लुधियाना के आसपास का मध्य पंजाब है।
बलबीर सिंह राजेवाल स्थानीय मालवा कॉलेज की प्रबंधन समिति के अध्यक्ष भी हैं, जो वर्तमान में समराला क्षेत्र का एक अग्रणी शैक्षणिक संस्थान है।
समराला के रहने वाले गुरमिंदर सिंह ग्रेवाल कहते हैं, "राजेवाल पंजाब के सबसे तेज़तर्रार किसान नेता माने जाते हैं। वो किसान मुद्दों पर नेतृत्व करने और किसान पक्ष को प्रस्तुत करके किसान आंदोलन का चेहरा बन गए हैं।"
ग्रेवाल का कहना है कि राजेवाल ने कभी भी राजनीतिक चुनाव नहीं लड़ा या किसी भी राजनीतिक पद को स्वीकार नहीं किया है, यही वजह है कि वह इस क्षेत्र के एक प्रभावशाली और सम्मानित व्यक्ति हैं।
वर्तमान में चल रहे किसानों के प्रदर्शन के डिमांड चार्टर का मसौदा तैयार करने में राजेवाल ने महत्वपूर्ण अग्रणी भूमिका निभाई है।
किसानों का इंटर-संगठन लिंक: जगमोहन सिंह
जगमोहन सिंह भारत-पाकिस्तान की सीमा से लगे पंजाब के फ़िरोज़पुर ज़िले के करमा गाँव से हैं।
वह भारतीय किसान यूनियन डकौंदा के नेता हैं, जिन्हें उगराहां संगठन के बाद दूसरा सबसे बड़ा संगठन कहा जा सकता है।
जगमोहन पंजाब के सबसे सम्मानित किसान नेताओं में से एक हैं। वो 1984 के सिख विरोधी नरसंहार के बाद पूर्णकालिक सामाजिक कार्यकर्ता बन गए। वो राज्य में चल रहे विभिन्न प्रदर्शनों में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
किसान संघर्ष के प्रति उनकी ईमानदारी के कारण, उन्हें न केवल अपने संगठन में बल्कि कई अन्य संगठनों में सम्मान मिलता है।
वर्तमान में वह 30 किसान संगठनों के गठबंधन में भी अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
डॉक्टर दर्शनपाल, 30 संगठनों के समन्वयक
डॉक्टर दर्शनपाल क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता हैं और इसका मुख्य आधार पटियाला और आसपास के इलाक़ों में है।
हालांकि, यह संगठन संख्याबल के आधार में छोटा है लेकिन डॉक्टर दर्शनपाल वर्तमान में 30 किसान संगठनों के समन्वयक हैं इसलिए वो एक बड़े नेता के रूप में सामने आए हैं।
1973 में एमबीबीएस और एमडी करने के बाद वो सरकारी सेवा में रहे। वो अपने कॉलेज के दिनों में और नौकरी के दौरान छात्र संघ और डॉक्टरों के संगठन में हमेशा सक्रिय रहे।
दर्शनपाल के बेटे अमनिंदर कहते हैं, "डॉक्टर दर्शनपाल शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र के निजीकरण के ख़िलाफ़ हैं और इसके चलते उन्होंने कभी भी प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं की।"
"2002 में एक सरकारी डॉक्टर के रूप में अपनी नौकरी छोड़ने के बाद, वो सामाजिक और किसान संगठनों के साथ सक्रिय हो गए और उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।"
किसानों की युवा आवाज़ सरवन सिंह पंधेर
सरवन सिंह पंधेर पंजाब के माझा क्षेत्र के एक प्रमुख युवा किसान नेता हैं। वो किसान मज़दूर संघर्ष समिति के महासचिव हैं।
इस संगठन का गठन 2000 में सतनाम सिंह पन्नू ने किया था। वो अभी भी संगठन का नेतृत्व करते हैं, लेकिन सरवन सिंह पंधेर वर्तमान आंदोलन में बड़ी भूमिका में नज़र आए हैं।
उनके संगठन का मुख्य आधार दोआबा और मालवा के 10 ज़िलों में है, जिसमें माझा के चार ज़िले शामिल हैं। सरवन सिंह पंधेर को तेज़ी से आगे बढ़ते आंदोलनकारी नेता के रूप में देखा जा रहा है।
किसान संघर्ष समिति के नेता हरप्रीत सिंह ने कहा कि सरवन सिंह का गांव अमृतसर ज़िले का पंधेर है। वह एक स्नातक हैं और अपने छात्र जीवन से ही लोगों के आंदोलनों में शामिल रहे हैं।
हरप्रीत सिंह कहते हैं, "सरवन सिंह पंधेर की उम्र लगभग 42 वर्ष है और उन्होंने अपना जीवन सार्वजनिक हित के लिए समर्पित कर दिया है इसलिए उन्होंने शादी नहीं की है।"