उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार से गुजरात में बीजेपी की गौरव यात्रा में शामिल होने जा रहे हैं। नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव में बड़े बहुमत से केंद्र में गए थे और उसके बाद कई राज्यों के चुनाव में बीजेपी को सफलता मिली है लेकिन अपने ही गृहराज्य गुजरात में उनकी पार्टी को काफ़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।
विकास का नारा देने वाले मोदी और बीजेपी इस वक्त राज्य में कई सवालों से जूझ रहे हैं। साथ ही, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी उन्हें घेरने में कसर नहीं छोड़ी है। ऐसे में हिंदुत्व का चेहरा माने जाने वाले योगी को उतारने के क्या मायने हैं? इससे पहले योगी आदित्यनाथ केरल में राजनीतिक हत्याओं के विरोध में बीजेपी की यात्रा में भी शामिल हुए थे।
अहमदाबाद में वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत दयाल कहते हैं, "2002 और 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा गया था, तब हिंदुत्व को एजेंडा बनाया गया था। जबकि मोदी ने 2012 के विधानसभा चुनाव में गुजरात के विकास की बात की और 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने गुजरात के विकास के मॉडल को देश के सामने रखा। लेकिन अब स्थिति ये है कि ये मॉडल स्वीकार नहीं हो रहा। लोग इसे मानने को तैयार नहीं हैं। मुझे लगता है कि बीजेपी फिर से अपने हिंदुत्व के मुद्दे पर आकर गुजरात विधानसभा चुनाव जीतना चाहती है। इसीलिए योगी आदित्यनाथ को लाया जा रहा है।"
बीजेपी की गौरव यात्रा का विरोध
गुजरात में पिछले कुछ महीनों से सोशल मीडिया पर 'विकास पगला गया है' जैसे ट्रेंड से मोदी और बीजेपी की किरकिरी हुई है। ऐसे में आने वाले विधानसभा चुनाव में अपना गढ़ बचाने की जुगत में बीजेपी ने एक अक्तूबर से गौरव यात्रा की शुरुआत की जो पंद्रह दिनों तक 149 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरेगी। इसकी शुरुआत बीजेपी ने करमसद से की थी, जो सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्मस्थान है।
वरिष्ठ पत्रकार आरके मिश्रा कहते हैं, "कई जगह पर गौरव यात्रा का विरोध भी देखने को मिला है। जबकि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की नवसर्जन यात्रा को अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। गौरव यात्रा को अच्छी प्रतिक्रिया न मिलने से संकेत मिलता है कि बीजेपी किस तरफ़ जा रही है, शायद फिर अपने पुराने फ़ॉर्मूले की तरफ़ बढ़ रही है।"
जबकि बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस के पास कोई नेता नहीं हैं ,जबकि बीजेपी के पास बहुत से नेता हैं। राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गुजरात गौरव यात्रा में शामिल होने आ रहे हैं।
बीजेपी प्रवक्ता भरत पंड्या कहते हैं, "योगी आदित्यनाथ लोकप्रिय मुख्यमंत्री हैं, उन्हें बुलाने में क्या आपत्ति है? हिंदुत्व के मुद्दे पर राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए क्योंकि ये एक जीवनशैली है।"
मुश्किलों के बावजूद बीजेपी मजबूत
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 2017 का गुजरात चुनाव मोदी और बीजेपी के लिए नाक की लड़ाई के तौर पर देखा जा रहा है। गुजरात में 22 साल से बीजेपी की सरकार है। बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह की रणनीति के अच्छे परिणाम बीजेपी को कई राज्यों में मिल चुके हैं, लेकिन गुजरात का चुनाव आसान नहीं दिखता।
नोटबंदी, जीएसटी से व्यापारियों की नाराज़गी, पटेल आरक्षण आंदोलन, दलितों की नाराज़गी जैसी कई मुश्किलें बीजेपी के सामने हैं। इस बीच कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी गुजरात में पूरा दम लगा दिया है। दो बार गुजरात का दौरा कर चुके राहुल गांधी ने तीखे हमले कर सीधे मोदी और अमित शाह को निशाना बनाया है। लेकिन ज़मीनी स्तर पर बीजेपी की तैयारी मज़बूत मानी जाती है। बूथ लेवल तक बीजेपी अपने कार्यकर्ता तैयार करती है।
बीजेपी के खेमे मे निराशा साफ
ऐसे में चुनाव में कैसी टक्कर की उम्मीद करनी चाहिए, इस पर प्रशांत दयाल का कहना है, "दो स्थितियां हैं- गुजरात बीजेपी का गढ़ है। यहां कांग्रेस का सेंध लगाना कभी आसान नहीं था। लेकिन नोटबंदी, जीएसटी और गुजरात में भारी बारिश के बाद स्थिति ख़राब हुई है। ऐसे में कांग्रेस में नई जान फूंकी गई, इसकी शुरुआत राज्यसभा चुनाव में अहमद पटेल के चुने जाने से शुरू हुई थी। और राहुल गांधी के दौरों में एक नई बात है कि राहुल गांधी इस बार गुजरात के प्रश्नों पर तैयारी करके आए हैं। इसके परिणाम आने वाले चुनाव में देखने को मिल सकते हैं।"
वहीं आर के मिश्रा मानते हैं, "गुजरात बीजेपी में एक तरह की निराशा साफ़ नज़र आती है। जिस तरह से राहुल गांधी द्वारका से अपना दौरा शुरू करते हैं, राहुल चोटीला जाते हैं, दो दिन बाद प्रधानमंत्री मोदी भी वहीं जाते हैं। जो लोग आगे चलते थे वो आज पीछे चल रहे हैं।"
गौरव यात्रा के समापन पर 16 अक्तूबर को राजधानी गांधीनगर के भाट गांव में गुजरात गौरव महासम्मेलन होने जा रहा है जिसमें मोदी और अमित शाह मौजूद रहेंगे। लाखों कार्यकर्ताओं के शामिल होने की बात भी कही जा रही है। बीजेपी का दावा है कि ये एक ऐतिहासिक सम्मेलन होने जा रहा है। लेकिन चुनावों में इसका कितना असर देखने मिलेगा, ये तो चुनावी नतीजे ही बताएंगे।