इन तीन तरीकों से यूक्रेन रूस पर पड़ सकता है भारी

BBC Hindi

शनिवार, 8 जुलाई 2023 (07:48 IST)
एंड्रयू हार्डिंग, पूर्वी यूक्रेन से, बीबीसी न्यूज़
Russia Ukraine war : एंबुलेंस में स्ट्रेचर पर पड़े 19 साल के दुबले-पलते यूक्रेनी सैनिक पर एनेस्थिसिया का असर थोड़ा कम हुआ तो उनके मुंह से कराहने की आवाज़ निकली। थोड़ा होश आते ही मिट्टी से सने कपड़ों में पड़े इस युवा सैनिक का हाथ सबसे पहले अपने मुंह पर लगे ऑक्सीजन मास्क पर गया। उन्होंने मास्क निकालने की कोशिश की और कराहते हुए कहा- "मुझे मेरी राइफ़ल दो।"
 
डॉक्टर इन्ना दिमित्र इस युवा सैनिक के पीले पड़ गए गालों पर थपकी देती हैं और कहती हैं "अधिकतर मामलों में सैनिकों का यही हाल रहता है, यहां बहुत ज़्यादा मानसिक तनाव है।"
 
19 साल का ये युवा सैनिक फिर से बेहोश हो जाता है और उन्हें लेकर एंबुलेंस तेज़ गति से दक्षिण-पूर्वी ज़ापोरिज़िया में फ्रंटलाइन से दूर जाते हुए मोड़ पर मुड़ जाती है। इस युवा सैनिक का नाम ओलेह है।
 
शुक्रवार सवेरे उनकी ट्रेंच के पास एक रूसी मोर्टार फट गया था, उससे निकला छर्रा ओलेह की पीठ के निचले हिस्से में आकर लगा। हो सकता है कि इस कारण उनकी रीढ़ की हड्डी को भी नुक़सान पहुंचे।
 
डॉक्टर इन्ना दिमित्र पश्चिमी मुल्कों के अनुदान से चल रहे एक संगठन एमओएएस से जुड़े एक निजी अस्पताल में काम करती हैं।
 
वो कहती हैं, "ओलेह की स्थिति स्थिर बनी हुई है लेकिन हालत गंभीर है। हमारे पास इस तरह के कई मामले आते हैं।" वो कहती हैं कि हाल के दिनों में इस तरह के क़रीब आधा दर्जन मामले आए हैं।
 
यूक्रेन के रूस के ख़िलाफ़ जवाबी हमले बढ़ाने के बाद बीबीसी की टीम बेहद अधिक सुरक्षा वाले दक्षिणी फ्रंटलाइन के नज़दीक पहुंची।
 
फ्रंटलाइन पर रूस और यूक्रेन की स्थिति
जवाबी हमला शुरू होने के बाद से यूक्रेन में हताहतों की संख्या बढ़ रही है। कई सैनिक और विश्लेषक अब इस सोच में हैं कि क्या इसमें यूक्रेन को किसी तरह की बढ़त मिल सकती है। वो इस सोच में हैं कि सर्दियों के दिनों में रूस ने अपनी रक्षा पंक्ति तक रसद और हथियार पहुंचा कर उसे और मज़बूत किया है, क्या उसे भेद पाना यूक्रेन के लिए आसान होगा।
 
यूक्रेनी सैनिक किरिलो पोत्रास कहते हैं, "पश्चिमी मुल्कों से और मदद न मिली तो हम इस खेल में हार सकते हैं।"
 
साल 2020 में एक रूसी लैंडमाइन के कारण उनके बाएं पैर का निचला हिस्सा काटना पड़ा था। लेकिन वो एक बार फिर जंग के मैदान में हैं। पोत्रास कहते हैं कि यहां रूसी सैनिकों ने बड़े पैमाने पर लैंडमाइन्स बिछाए हैं जो उसके लिए चुनौती साबित हो रहे हैं।
 
वो कहते हैं, "रूसी सैनिक बहुत अधिक संख्या में हैं। उनके पास एंटी टैंक गन भी बड़ी संख्या में हैं और उनके पास मिसाइल सिस्टम भी है।"
 
जवाबी हमले को अभी एक महीना हुआ है पर बहुत से एक्सपर्ट और सैनिक, इस अभियान के कारगर होने पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि शुरूआती चरण योजना के मुताबिक़ नहीं चल रहा है। उनका कहना है कि क़रीब हज़ार किलोमीटर लंबी फ्रंटलाइन को उस गति से नहीं तोड़ा जा सकेगा जिस गति से पिछले साल यूक्रेन को सफलताएं मिली थीं।
 
बीते कुछ सप्ताह में मैंने तीन अलग-अलग जगहों पर फ्रंटलाइन का दौरा किया है और अलग-अलग लोगों से मुलाक़ात की है।
 
इन लोगों की राय को हम तीन बड़े हिस्सों में बांट सकते हैं - पहला वो जो मानते हैं कि रूस की रक्षा पंक्ति टिन जैसी है, दूसरा वो जो मानते हैं कि ये रक्षा पंक्ति लकड़ी की तरह है और तीसरा वो जो मानते हैं कि ये कांच की तरह है।
 
लगभग दो सप्ताह पहले डोनबास के बख़मूत में बने एक फील्ड अस्पताल में काम कर रहे एक डॉक्टर ने मुझे रूस की रक्षा पंक्ति के टिन की तरह होने की दलील दी थी।
 
गोलियों और बमों के धमाकों की गूंज के बीच उन्होंने मुझे बताया कि यूक्रेन में हताहतों की संख्या बढ़ रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि रूस को अपनी रक्षा पंक्ति को मज़बूत करने के लिए काफी वक्त मिला है, उसने वहां बड़ी संख्या में सैनिक भेजे।
 
वो कहते हैं कि शायद यूक्रेन रूस की कुछ हद कर पीछे धकेलने में सफल हो जाए, शायद उसे दस किलोमीटर तक पीछे धकेल दे, लेकिन यूक्रेन के पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी हिस्सों में रूस की पकड़ को कमज़ोर करने के लिए उसे खासी मेहनत करनी पड़ेगी।
 
वो निराशा के साथ कहते हैं, "मुझे लगता है कि ये मामला जंग के मैदान में हल नहीं हो सकेगा। राजनीतिक समझौते के साथ ही ये हल हो सकता है।"
 
रूस की रक्षा पंक्ति के बारे में दूसरी दलील ये थी कि ये लकड़ी की तरह है, मतलब ये कि ये टूट सकती है, बिखर सकती है लेकिन पूरी तरह से नष्ट नहीं हो सकती।
 
बख़मूत के दक्षिण-पश्चिम में वहां से तीन घंटे की ड्राइव पर मौजूद वेलिका नोवोसिल्का में एक व्यक्ति ने मुझे ये बात कही थी।
 
देश के दक्षिणी हिस्से में काले सागर की तरफ मौजूद पहाड़ों और मैदानों में यूक्रेनी सैनिक धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं, वो रूसी लैंडमाइन्स से भरे मैदानों को पार करते हुए अप्रत्याशित हमलों का सामना कर रहे हैं और धीमी गति से आगे बढ़ रहे हैं। वो छोटे शहरों और गांवों जैसे छोटे-छोटे हिस्सों को जीतते जा रहे हैं।
 
यूक्रेनी जेट की गूंजती आवाज़ के बीच 36 साल के सैनिक आर्टेम कहते हैं, "मैं सच में यकीन करता हूं, लेकिन कुछ लोग मुझे निराशावादी कह सकते हैं।"
 
वो कहते हैं कि रूसी सैनिकों का मनोबल कम था और हो सकता है कि आने वाले महीनों में यूक्रेन को कुछ बढ़त मिल सकती है।
 
लेकिन वो कहते हैं कि बीते नवंबर में हुए जवाबी हमले में यूक्रेन को जिस तरह सफलता मिली थी उस तरह का कुछ होता अभी नहीं दिखता।
 
वो कहते हैं कि अगर रूस की रक्षा पंक्ति को तोड़ने की कोशिश हुई तो पता नहीं कि यूक्रेन को इसकी क्या क़ीमत चुकानी पड़ेगी। वो कहते हैं, "मीडिया और समाज जल्दबाज़ी में हैं, लेकिन बुरा भी हो सकता है।"
 
ये साफ तौर पर दिखता है कि यूक्रेन की जवाबी कार्रवाई में फ्रंटलाइन के नज़दीक रहे सैनिकों और ज़मीनी अभियान में शामिल सैनिकों में युद्ध को लेकर निराशा है।
 
आप कह सकते हैं कि उन्हें दूसरों से अधिक अनुभव है और उनकी राय ज़मीनी स्थिति पर आधारित है। लेकिन ये कहना भी ज़रूरी है कि फ्रंटलाइन पर होने के कारण ये सैनिक बड़ी तस्वीर नहीं देख पाते, बल्कि वो एक बड़े सैन्य अभियान के एक छोटे से हिस्से पर ही अपना ध्यान केंद्रित करते हैं।
 
तीसरी दलील
मिक रायन जैसे पश्चिमी सैन्य विश्लेषक और ब्रितानी सैन्यबलों के चीफ़ सर टोनी रैडाकिन जैसे जानेमाने जनरल रूसी रक्षा पंक्ति के बारे में कहते हैं कि ये कांच के समान है।
 
वो मानते हैं कि जवाबी हमला शुरू हो चुका है और योजना के अनुसार चल रहा है। कुछ सप्ताह में, या फिर महीनों में रूस कमज़ोर होगा और यूक्रेन रणनीतिक तौर पर बड़े हिस्से को अपने अधिकारक्षेत्र में ला सकेगा और हो सकता है कि वो क्रीमिया के नज़दीक तक पहुंच जाए।
 
इस दलील को मानने वालों का कहना है कि हमें धैर्य रखने की ज़रूरत है न कि निराश होने की। वो कहते हैं कि अगर हवाई हमलों में यूक्रेन की क्षमता कम हुई तो वो शुरूआती दौर में रूसी "ऑपरेशन सिस्टम" को नष्ट करने का काम उस तेज़ी से नहीं कर सकेगा जो वो चाहता है।
 
यूक्रेनी सेना ज़मीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का इस्तेमाल कर रहा है और साथ ही वो जितनी अधिक जगहों पर हो सके रूसी सैनिकों की पोज़िशन्स पर हमले कर रहा है।
 
उसकी कोशिश है कि वो रूसी सेना को जितना हो सके रोक सके, उसके संख्याबल को कम कर सके और उसके हथियारों को तबाह कर सके।
 
इस सप्ताह यूके की संसद में सर टोनी रैडाकिन ने जंग में यूक्रेन की रणनीति के बारे में बताया था। उन्होंने कहा था कि है कि यूक्रेन "स्टार्व, स्ट्रेच एंड स्ट्राइक" (दुश्मन को भूखा रहने को मजबूर करो, संघर्ष को लंबा खींचो और फिर हमला करो) अपना रहा है और रूस की सेना अब तक संघर्ष करने की अपनी आधी ताकत खो चुकी है।
 
दूसरी तरफ उस फील्ड अस्पताल में जहां हमारी मुलाक़ात 19 साल के ओलेह से उस वक्त हुई थी जब उन्हें एंबुलेंस के ज़रिए ज़ोपोरिज़िया ले जाया जा रहा था, हमारी मुलाक़ात एक यूक्रेनी डॉक्टर से भी हुई। उन्होंने हमसे कहा कि हम केवल उनके पहले नाम 'येवहेन' का इस्तेमाल करें।
 
अधिकांश सैनिकों और अधिकारियों जिनके साथ बीते दिनों हमारी मुलाक़ात हुई, उनमें से ज़्यादातर की तरह वो भी इस युद्ध में यूक्रेन को लेकर आशावादी हैं।
 
एक फील्ड अस्पताल के बाहर बैठे येवहेन ने धमाकों की आवाज़ के बीच चेहरे पर मुस्कान लिए कहा, "हर कोई एक बड़ी जीत का इंतज़ार कर रहा है। हम खुद पर यकीन करते हैं और इंतज़ार कर रहे हैं। हम जानते हैं कि सब कुछ ठीक हो जाएगा। हमें केवल धैर्य रखने की ज़रूरत है।"

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