राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने कहा है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में 'इंडिया' अलायंस ही जीतेगा। बीबीसी के साथ विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि लोग समझ रहे थे कि 'इंडिया' अलायंस बिखर गया है, लेकिन ये अलायंस अब फिर अपने स्वरूप में आ रहा है।
उन्होंने बीजेपी की जीत को लेकर किए जा रहे दावे को ख़ारिज करते हुए कहा कि मीडिया तो बिल्कुल डरपोक है
लालू प्रसाद यादव ने कहा, "सब मीडिया बिका हुआ है। मोदी-मोदी सिर्फ़ उनके मन में है, लेकिन इस बार मोदी नहीं आएँगे। मैं फ़ोरकास्ट करता हूँ। मोदी नहीं आएँगे। इंडिया ही जीतेगा।"
दरअसल 'इंडिया' अलायंस को लेकर काफ़ी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि इस गठबंधन के कई अहम साथी इससे निकल गए हैं।
इनमें सबसे प्रमुख हैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। एक समय नीतीश कुमार 'इंडिया' अलायंस के अहम स्तंभ माने जा रहे थे, लेकिन हाल ही में उन्होंने महागठबंधन से अलग होकर बिहार में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई है।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश में जयंत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) भी एनडीए में शामिल हो गई है।
एक समय विपक्ष की राजनीति के अहम चेहरा माने-जाने वाले लालू प्रसाद यादव अपनी बीमारी के कारण उतने सक्रिय नहीं नज़र आते। उनके बेटे और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कमान संभाल रखी है।
लेकिन बीबीसी के साथ बातचीत में लालू प्रसाद यादव ने अपनी बातें खुलकर रखीं और 'इंडिया' अलायंस का पक्ष भी सामने रखा।
उन्होंने कहा, "सभी इकट्ठे हो रहे हैं। जो निकल गए, निकल गए। देखने में लग रहा है कि निकल गए, लेकिन जनता नहीं निकली है, लोग नहीं निकले हैं।"
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी 'इंडिया' गठबंधन बनाने में अहम भूमिका निभाई थी।
लेकिन पिछले दिनों उन्होंने भी यह घोषणा कर दी कि वे बंगाल में अकेले ही चुनाव लड़ेंगी। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की न्याय यात्रा में भी शामिल होने से इनकार कर दिया था।
कांग्रेस की प्रदेश इकाई ने भी ममता बनर्जी पर आक्रामक रवैया अपनाया हुआ है। संदेशखाली की घटना को लेकर तो कांग्रेस के कई प्रादेशिक नेताओं ने ममता बनर्जी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल रहा है।
एक समय विपक्षी गठबंधन की सूत्रधार रहीं ममता बनर्जी के अकेले चुनाव लड़ने से क्या असर पड़ेगा? इसके जवाब में लालू प्रसाद यादव ने दावा किया कि ममता बनर्जी इंडिया अलायंस से नहीं निकलेंगी, वे साथ ही रहेंगी।
एक समय ऐसा लग रहा था कि उत्तर प्रदेश और दिल्ली में भी कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच सीटों पर समझौता नहीं हो पाएगा।
लेकिन पिछले दिनों 'इंडिया' अलायंस को उस समय सफलता मिली, जब उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीटों को लेकर समझौता हो गया। फिर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच भी दिल्ली और गुजरात में समझौता हुआ।
लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच राहुल गांधी की यात्रा को लेकर हो रही आलोचना पर जब लालू यादव से सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि ये राहुल गांधी की कमज़ोरी नहीं है। लालू प्रसाद यादव ने कहा, 'उनकी कोई कमज़ोरी नहीं है। बैठे रहने से काम नहीं चलता है। जनजागरण करना पड़ता है। लोगों को हमेशा जगाना पड़ता है।'
उन्होंने इससे इनकार किया कि राहुल गांधी सबको साथ लेकर नहीं चल रहे हैं। हालाँकि लालू प्रसाद यादव ने राहुल गांधी को ये सलाह ज़रूर दी कि अब उन्हें घूमना-फिरना बंद कर लोगों को इकट्ठा करना चाहिए। उन्होंने राहुल गांधी को सलाह देते हुए कहा, 'अब समय नहीं है। सीटों का बँटवारा करके तैयारी कीजिए।'
लालू प्रसाद यादव ने इंटरव्यू के दौरान नलिन वर्मा के साथ मिलकर लिखी अपनी किताब 'गोपालगंज टू रायसीना' पर भी चर्चा की।
उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा का ज़िक्र करते हुए कहा कि कर्पूरी ठाकुर जी, लोहिया जी और जगदेव प्रसाद जी उनके आदर्श रहे हैं। जगदेव प्रसाद के बारे में उन्होंने कहा, "शोषितों के लिए उन्होंने क़ुर्बानी दे दी।"
लालू प्रसाद यादव ने बताया कि कैसे जगदेव प्रसाद को ग़रीबों के पक्ष में भाषण देने के दौरान गोली मार दी गई थी। उन्होंने कहा, "ये सब आदर्श पुरुष हैं हमारे।"
आडवाणी की रथ यात्रा
लालू प्रसाद यादव ने अपनी किताब में बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा और बिहार में उसे रोके जाने के बारे में विस्तार से चर्चा की है। ये घटना 1990 की है, जब बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी रथ यात्रा पर निकले थे, लेकिन बिहार में उनकी रथ यात्रा रोक दी गई थी।
उस समय लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे। लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक जीवन का ये बड़ा फ़ैसला माना जाता है।
लालू प्रसाद यादव उस घटना को याद कर बताते हैं, 'बिहार के मुख्यमंत्री होने के नाते ये उनका फर्ज था। बिहार और देश को अच्छा संदेश भेजना। सेक्युलर मैसेज भेजना। दंगा फसाद को बर्दाश्त नहीं करना। राज रहे या राज जाए, लेकिन कोई भी आदमी हमारे इस संविधान और प्रस्तावना को नुक़सान पहुँचाएगा तो इसको बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।'
उन्होंने बताया कि वे आडवाणी को समझाने के लिए दिल्ली तक गए थे और उनसे कहा था कि ये सब बंद कीजिए।
लालू प्रसाद यादव बताते हैं, 'वो काफ़ी ग़ुर्राए। कौन माई का लाल है, दूध पिया है जो हमारे रथ को रोकेगा। मैंने कहा, हम नहीं जानते हैं कि आपने अपनी माता जी का दूध पिया है या नहीं, या पाउडर चाट कर रह गए। मैं भैंस का दूध पिया हूँ और मैं आपको छोड़ूँगा नहीं। हमने समस्तीपुर में उनको गिरफ़्तार कराया।'
पूरे देश भर में हलचल पैदा हो गया कि आडवाणी जी गिरफ़्तार हो गए। इधर हमने उनको गिरफ़्तार किया उधर वीपी सिंह की सरकार आउट हो गई। इन लोगों (बीजेपी) ने समर्थन वापस ले लिया। सरकार को हमने गँवाया। बाबरी मस्जिद को बचाने के लिए ये हमारा प्रयास था।'
ये पूछे जाने पर कि क्या उन्हें ऐसा करने के लिए उस समय के पीएम वीपी सिंह ने कहा था? इस पर उन्होंने कहा कि उनसे किसी नेता या किसी व्यक्ति ने कुछ नहीं बोला था और उन्होंने ख़ुद अपना निर्णय लेकर आडवाणी को गिरफ़्तार किया था।
लालू प्रसाद यादव ने अपनी किताब में इसका भी ज़िक्र किया है कि उन्हें तत्कालीन गृह मंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद ने ऐसा करने से मना किया था, लेकिन उन्होंने उनसे ये कहा था कि आप सभी को सत्ता का जोश चढ़ गया है।
लालू प्रसाद यादव ने एक बार ये कहा था कि लालकृष्ण आडवाणी कभी प्रधानमंत्री नहीं बन पाएँगे। हालाँकि अब वे कहते हैं कि आडवाणी जी को बनना तो पहले चाहिए था लेकिन बन गए मोदी।
आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने पर लालू प्रसाद यादव ने कहा कि उन्होंने आडवाणी को बधाई दी है।
'सांप्रदायिक शक्तियों से समझौता नहीं'
लालू प्रसाद यादव के बारे में ये कहा जाता है कि उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में कभी भी सांप्रदायिक शक्तियों से समझौता नहीं किया।
कभी उनके साथी रहे कई राजनेताओं और उनकी पार्टियों ने कई बार पाला बदला। बिहार में ही नीतीश कुमार लंबे समय तक बीजेपी के साथ रहे, फिर आरजेडी के साथ महागठबंधन के साथी बने और सरकार भी बनाई।
लेकिन एक बार फिर वे बीजेपी के साथ हैं। इनके अलावा बिहार के ही उनके साथी रहे जॉर्ज फ़र्नांडिस, शरद यादव और राम विलास पासवान ने भी समय-समय पर बीजेपी के साथ समझौता किया, लेकिन लालू यादव कभी भी बीजेपी के साथ नहीं गए।
इस मामले पर लालू प्रसाद यादव कहते हैं, "कभी भी सांप्रदायिक शक्तियों के सामने झुके नहीं हैं और न ही उनके साथ खड़े रहे हैं। हमेशा उनको नेस्तनाबूद करने के बारे में सोचते रहते हैं।"
ये पूछे जाने पर कि क्या तेजस्वी यादव कभी इस मुद्दे पर समझौता कर लेंगे? लालू प्रसाद यादव कहते हैं, "तेजस्वी भी सांप्रदायिक ताक़तों से कभी समझौता नहीं करेगा।"
लेकिन इन सबके बावजूद नीतीश कुमार के साथ बार-बार समझौता करने को लेकर लालू यादव पर हमेशा सवाल उठते हैं।
लेकिन आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव कहते हैं, "नीतीश जी के साथ बार-बार हम लोग नहीं जाते हैं। वो बार-बार हम लोगों के पास आते हैं।"
नीतीश कुमार की महागठबंधन में वापसी पर लालू प्रसाद यादव ने कहा कि अब वो दोबारा कहाँ से आएँगे।
बीबीसी के साथ बातचीत में लालू प्रसाद यादव ने कहा कि जब वे एक राजनेता के रूप में पीछे मुड़कर देखते हैं तो उन्हें आश्चर्य होता है कि ऐसे परिवार में जन्म लेकर और फिर कई तरह की मुश्किलों का मुक़ाबला करते हुए इस ऊँचाई तक पहुँचे।
इतिहास उन्हें किस रूप में याद रखेगा? इस सवाल के जवाब में वे कहते हैं, "सोशल जस्टिस, ग़रीबों को बोली, ताक़त और साहस। ग़रीबों को काफ़ी ताक़त और शक्ति दिया हमने। इसके लिए हमको जेल जाना पड़ा। कई तरह की यातनाएँ सहनी पड़ीं। याद करेंगे लोग।"
मीडिया को लेकर लालू प्रसाद यादव क्षुब्ध दिखे। उन्होंने कहा कि वे मीडिया के विषय में क्या बोलें, मीडिया तो ये कहता था कि वे मिमिक्री करते हैं।
लालू प्रसाद यादव ने सोनिया गांधी को अपनी फे़वरेट राजनेता कहा। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी काफ़ी सुलझी हुई नेता हैं। उन्होंने ये भी कहा कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव का भविष्य उज्ज्वल है।