उत्तरकाशी टनल: मशीन नाकाम, मैनुअल ड्रिलिंग जारी, जानिए टनल में किस हाल में हैं मजदूर

BBC Hindi

मंगलवार, 28 नवंबर 2023 (07:46 IST)
आसिफ अली, उत्तरकाशी से बीबीसी हिंदी के लिए
Uttarkashi tunnel rescue : उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 50 किमी दूर सिलक्यारा में यमुनोत्री राजमार्ग पर निर्माणाधीन सुरंग में भूस्खलन के चलते 12 नवंबर से फंसे 41 श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए 16 दिनों से राहत-बचाव कार्य चल रहा है।
 
इस बचाव अभियान के 16वें दिन सुरंग के अंदर ऑगर मशीन से काम बंद कर दिया गया है और मैनुअल मज़दूरों से ख़नन का काम शुरू हो चुका है। मैनुअल अभियान 24 घंटे तक जारी रहने की उम्मीद जताई जा रही है। इस अभियान में 24 मजदूर जुटे हैं।
 
सिलक्यारा सुरंग बनाने संस्था नेशनल हाईवे इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट कॉर्पोरेशन (NHIDCL) के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने बताया, 'सिलक्यारा की तरफ़ से सुरंग के भीतर मलबा भेदकर स्टील के पाइप से निकास सुरंग बनाने का जो काम चल रहा था, उसकी बाधाओं को दूर करके मैनुअल ड्रिलिंग का काम शुरू हो चुका है।'
 
उन्होंने इसके बारे में जानकारी देते हुए कहा, 'अभी तक ऑगर मशीन से ड्रिलिंग की जा रही थी, अब मैनुअल ड्रिलिंग से ही रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा किया जाएगा।'
 
उन्होंने सोमवार की देर शाम इस अभियान की जानकारी देते हुए बताया, 'शुक्रवार रात मशीन का बड़ा हिस्सा सुरंग के मलबे में दबे लोहे के गार्डर में फंस गया था। इसके बाद काम को रोकना पड़ा था। अब इस हिस्से को काटकर अलग कर दिया गया है। सोमवार शाम 7.45 बजे तक मैनुअल ड्रिलिंग के ज़रिए 800 एमएम के पाइप को 0.9 मीटर तक अंदर धकेला गया है।'
 
रैट माइनिंग तकनीक का इस्तेमाल
सोमवार की शाम को राहत-बचाव अभियान के नोडल अधिकारी डॉ. नीरज खैरवाल ने बताया, 'पाइप में फंसे ऑगर मशीन की ब्लेड और साफ्ट को काटने का काम पूरा कर लिया गया है और ऑगर मशीन के हेड को भी काटकर निकाला जा चुका है।'
 
नीरज खैरवाल ने मैनुअल अभियान के बारे में जानकारी देते हुए बताया, 'मैनुअल कटिंग के लिए रैट माइनिंग तकनीक से जुड़ी टीम सिलक्यारा टनल पहुँच गई है। इसके अलावा सीवर लाइन में काम करने वाले श्रमिकों को भी दिल्ली से बुलाया गया है।'
 
उन्होंने कहा, 'ये दोनों लोग संकरी जगह और विषम परिस्थितियों में कार्य करने के अभ्यस्त होते हैं। यह काम रेट माइनिंग तकनीक से होगा। रैट माइनर्स प्लाज्मा और लेजर कटर से आगे राह बनाते चलेंगे और पीछे से ऑगर मशीन से 800 मिमी व्यास के पाइप को अंदर धकेला जाएगा।'
 
नीरज खैरवाल के मुताबिक, 'सुरंग के मुख्य द्वार यानी सिलक्यारा टनल में अभी जहाँ तक पाइप पहुँचा हुआ है, वहां से श्रमिकों की दूरी केवल 10 से 12 मीटर है।'
 
उन्होंने बताया, 'इस योजना के अंतर्गत रेट माइनर्स हाथों से औजारों का प्रयोग कर मलबा हटाते हुए सुरंग बनाने का काम करेंगे। जब वह एक से दो मीटर मिट्टी हटा लेंगे, फिर इसमें ऑगर मशीन को पाइप के भीतर डालने वाली मशीन से पीछे से दूसरे पाइप को अंदर घकेला जाएगा।'
 
सुंरग के अंदर किसी तरह के अवरोध मिलने की आशंका पर नीरज खैरवाल ने कहा, 'उम्मीद की जा रही है कि यह कार्य आसानी से होगा। अगर कहीं इसमें आगे लोहे की रॉड, सरियों का जाल या कोई रुकावट आती है, तो फिर रेट माइनर्स प्लाज्मा कटर या लेजर कटर से इन अवरोध को काट कर आगे का रास्ता बनाएंगे।'
 
उन्होंने बताया, 'उम्मीद है कि यह काम तीन या चार दिन में पूरा कर लिया जाएगा। अगर किसी कारणवश 800 मिमी व्यास के पाइप को धकेलने में बाधा आई तो 700 मिमी व्यास के पाइप को दाख़िल कराने का प्रयास किया जाएगा।'
 
नीरज खैरवाल ने आगे बताया, 'सुरंग के मुख्य द्वार (सिलक्यारा की तरफ) से श्रमिकों को निकालने के लिए स्टील पाइप पुश करके लगभग 49 मीटर लंबी निकास सुरंग तैयार हो चुकी है। सात से 10 मीटर तक का काम बाक़ी है।'
 
हॉरिज़ॉन्टल और वर्टिकल ड्रिलिंग दोनों पर समान फ़ोकस
दरअसल मजदूरों को बचाने के लिए रविवार से ही वर्टिकल और हॉरिज़ॉन्टल ड्रिलिंग का काम किया जा रहा है। सुरंग के ऊपर वर्टिकल ड्रिलिंग कर रेस्क्यू टनल बनाने की जिस योजना को 21 नवंबर से होल्ड पर रखा गया था, उस पर भी काम शुरू हो चुका है। उस पर सतलज जल विद्युत निगम लिमिटेड (SJVNL) ने काम शुरू कर दिया है।
 
एनएचआईडीसीएल के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने बताया, ''सोमवार शाम 7:30 बजे तक 36 मीटर ड्रिलिंग की जा चुकी है। श्रमिकों तक पहुँचने के लिए कुल 86 से 88 मीटर ड्रिलिंग की जानी है, इसमें क़रीब चार दिन लगने की संभावना है।
 
ऑगर मशीन के सुरंग में फँसने के बाद से बचाव अभियान की दिशा को लेकर शनिवार शाम तक संशय की स्थिति थी, ऐसे में रविवार सुबह अधिकारियों ने विशेषज्ञों के साथ बैठक कर वर्टिकल ड्रिलिंग का फ़ैसला लिया था।
 
महमूद अहमद ने बताया, 'आमतौर पर इतनी ड्रिलिंग में 60 से 70 घंटे लगते हैं, लेकिन एक ही पाइप ड्रिलर से पूरी ड्रिलिंग संभव नहीं है। अन्य पाइल ड्रिलर का भी इस्तेमाल जाएगा।'
 
बड़कोट छोर से सुरंग निर्माण
एनएचआईडीसीएल के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने बताया, 'बड़कोट छोर (सुरंग के दूसरे द्वार) से सुरंग निर्माण के विकल्प पर भी एजेंसियाँ काम कर रही हैं। बड़कोट छोर से टीएचडीसी माइक्रो सुरंग बना रहा है। इसमें 300 मीटर से अधिक लंबाई की माइक्रो सुरंग बनाई जानी है।'
 
उन्होंने बताया, 'इसमें ब्लास्टिंग की जा रही है और फिर ब्लास्टिंग से टूटे पत्थरों को साफ़ किया जा रहा है। सुरंग को सुरक्षित करने के बाद आगे बढ़ा जा रहा है। यहाँ अभी तक 12 मीटर तक सुरंग बनाई जा चुकी है, लेकिन इस छोर से श्रमिकों तक पहुंचने में से 25 दिन से अधिक का समय लगेगा।'
 
इसके लिए सुरंग के दाएं छोर से क्षैतिज ड्रिलिंग कर मुख्य सुरंग में फंसे श्रमिकों तक पहुंचा जाएगा।
 
महमूद अहमद ने बताया, 'यह काम आरवीएनएल को सौपा गया है। इसके लिए स्थान चिह्नित कर लिया गया है। इसके लिए मुख्य सुरंग से 180 मीटर से क्षैतिज ड्रिलिंग करनी है। इसके लिए उपकरण पहुँच चुके है।'
 
उन्होंने बताया, 'इसका कंक्रीट बेस तैयार किया जा रहा है। यह ड्रिलिंग 28 नवंबर से करने का लक्ष्य रखा गया है। इस ड्रिलिंग के लिए 15 दिन का समय रखा गया है।'
 
डॉक्टरों की टीम लगातार मज़दूरों के संपर्क में
उत्तरकाशी टनल रेस्क्यू में डॉक्टरों की भी बड़ी भूमिका है। टनल के अंदर फंसे हुए मज़दूरों के साथ डॉक्टर लगातार बात कर रहे हैं। डॉक्टर मरीज़ के स्वास्थ्य में होने वाले बदलाव और उनको हो रही दिक़्क़तों के बारे में उनसे लगातार चर्चा कर रहे हैं।
 
उत्तरकाशी जनपद के सीएमओ डॉक्टर आरसीएस पंवार ने बताया, 'शुरुआत में मज़दूरों को थोड़ी घबराहट और बेचैनी जैसी दिक़्क़तें हुईं लेकिन डॉक्टर से बात करके वह लोग काफ़ी संतुष्ट हैं।'
 
उन्होंने बताया, 'उन्हें घबराहट, बेचैनी, एंग्जाइटी से संबंधित दवाएं दी गई हैं। डॉक्टर ने उन्हें सर्दी जुकाम या पेट की शिकायत से संबंधित दवाएं भी दी हैं। सुरंग के बाहर 20 डॉक्टर की टीम तैनात की गई है, जिसमें 15 डॉक्टर हैं और 5 मेडिकल स्टाफ हैं। मज़दूरों को जिस तरह की दिक्क़त होती है, उसे विशेषज्ञ से उनकी बात कराई जाती है।'
 
उन्होंने बताया, 'टनल में मज़दूर बीते कई दिनों से धूप से दूर हैं तो इसलिए उन्हें विटामिन डी भी भेजी गई है, प्रोटीन और कैल्सियम भी उन्हें दिया गया है। मज़दूरों का रेस्क्यू अगर दिन की धूप में होता है तो उनके लिए काले चश्मों का भी इंतजाम किया गया है।'
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख सचिव डॉ. पीके मिश्रा और गृह मंत्रालय के सचिव अजय भल्ला ने सोमवार को सिलक्यारा, उत्तरकाशी में टनल रेस्क्यू ऑपरेशन का जायज़ा लिया। उन्होंने इस दौरान सुंरग के अंदर फंसे श्रमिकों से भी बातचीत की और उनका हौसला बढ़ाया।

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