चुनाव आयोग के क्षेत्रीय अधिकारियों ने बिहार में जारी मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण अभियान के तहत घर-घर जाकर जांच की और इस दौरान बड़ी संख्या में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के लोग मिले हैं। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि एक अगस्त के बाद ऐसे लोगों की समुचित जांच की जाएगी और 30 सितंबर को प्रकाशित होने वाली अंतिम मतदाता सूची में अवैध प्रवासियों के नाम शामिल नहीं किए जाएंगे।
रिपोर्ट का हवाला देते हुए, चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बताया कि घर-घर जाकर की गई जांच के दौरान बूथ स्तर के अधिकारियों को बड़ी संख्या में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमा के लोग मिले हैं। बिहार में इस साल चुनाव होने वाले हैं, जबकि असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव 2026 में होने हैं। बांग्लादेश और म्यांमार सहित विभिन्न राज्यों में अवैध विदेशी प्रवासियों पर कार्रवाई के मद्देनजर निर्वाचन आयोग का यह कदम महत्वपूर्ण है।
बिहार में गहन पुनरीक्षण के चौथे चरण में मतदाता सूची का प्रारूप एक अगस्त को प्रकाशित किया जाएगा। सूची में वे सभी मतदाता शामिल होंगे जिनके फार्म समय सीमा तक प्राप्त हो गए हैं। जिन नामों के लिए 25 जुलाई से पहले कोई गणना प्रपत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है, वे मसौदा सूची में नहीं दिखाई देंगे।
निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी और सहायक निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी संविधान के अनुच्छेद 326 में निर्धारित पात्रता मानदंडों के आधार पर फॉर्मों की जांच करेंगे, जिसके अनुसार निर्वाचकों को भारतीय नागरिक होना चाहिए, उनकी आयु 18 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए तथा वे सामान्य रूप से निर्वाचन क्षेत्र के निवासी होने चाहिए।
जो मतदाता प्रारंभिक समय सीमा से चूक जाते हैं, वे अब भी घोषणा पत्र के साथ फॉर्म-6 का उपयोग करके दावे और आपत्ति अवधि के दौरान आवेदन कर सकते हैं। बूथ स्तरीय एजेंट (बीएलए) मसौदा सूची प्रकाशित होने के बाद भी प्रतिदिन 10 फॉर्म तक जमा कर सकते हैं।
पांचवें चरण में, एक अगस्त से एक सितंबर तक, कोई भी आम आदमी दावे और आपत्तियां दर्ज करा सकता है। इस दौरान निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी और सहायक निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी आवेदनों और आपत्तियों की जांच करेंगे।