ओम पुरी की दूसरी पत्नी नंदिता पुरी ने एक किताब लिखी थी, जिसका शीर्षक था- ‘अनलाइकली हीरो: दि स्टोरी ऑफ ओम पुरी’। यह किताब ओम पुरी के जीवन पर आधारित थी। ओम पुरी से बात कर नंदिता ने यह किताब लिखी थी। ओम चाहते थे कि किताब छपने के पूर्व उन्हें यह किताब पढ़ाई जाए, लेकिन नंदिता ने ऐसा नहीं किया।
खैर, किताब छप कर तैयार हुई और इसका विमोचन हुआ। उसी दिन ओम पुरी को यह किताब पढ़ने को मिली और उन्हें महसूस हुआ कि उनके साथ बड़ा धोखा हुआ है। वो भी उनकी पत्नी ने दिया है। इस किताब में कुछ ऐसे प्रसंगों का भी उल्लेख कर दिया गया जो निहायत ही निजी थे।
ओम ने पति होने के नाते अपनी पत्नी से कुछ नहीं छिपाया और सब कुछ इस उम्मीद के साथ बताया था कि यह बात दोनों के बीच ही रहेगी, लेकिन नंदिता ने इन्हें सार्वजनिक कर दिया। इसके बाद नंदिता और ओम के संबंध खराब होना शुरू हो गए। दोनों की लड़ाई अखबार की सुर्खियां बनने लगी।
इस किताब और पत्नी नंदिता से टूटते संबंधों का असर ओम पुरी पर जोरदार तरीके से हुआ। वे अंदर तक हिल गए। परेशान रहने लगे। अत्यधिक भावुक हो गए। जब नजदीक का व्यक्ति विश्वासघात करता है तो आदमी अंदर तक सिहर जाता है। दुनियादारी से उसका यकीन उठ जाता है। ओम पुरी भी बुरी तरह हिल गए। उन्होंने लोगों में प्यार बांटा, लेकिन अपनों का प्यार उन्हें नहीं मिला।
किताब के कुछ प्रसंगों ने उन्हें संभवत: ग्लानि से भर दिया। वे अपराबोध से ग्रस्त हो गए। इन बातों को भूलाने के लिए उन्होंने शराब में सहारा ढूंढा। बेहताशा पीने लगे। सेहत जैसी बातें शायद उनके जेहन से ही उतर गई। शराब के सहारे वे बातों को भूलाने लगे। अंदर तक वे टूट गए थे। जीने का मकसद ही उन्हें नजर नहीं आ रहा था। इसके बावजूद कभी कड़वी बातें उन्होंने नहीं बोली। हमेशा खुशमिजाज रहे, लेकिन अंदर की बैचेनी से उन्हें चैन शायद इस दुनिया को अलविदा कहने के बाद ही मिला हो।