अजय देवगन के बारे में रकुल प्रीत सिंह ने कही बड़ी बात

रूना आशीष
"अजय सर के साथ काम करना बिल्कुल मुश्किल नहीं था। काम करने के लिए बहुत ज़रूरी होता है कि आप एक्टर के साथ सहज महसूस करें। अजय सर ने मुझे बहुत ही कंफ़र्टेबल महसूस कराया। उन्हें इस बात का बिल्कुल भी घमंड नहीं था कि वह कितने बड़े ऐक्टर हैं और यही बात मैं तब्बू मैडम के लिए भी कह सकती हूँ। वह भी बहुत सिंपल हैं।
 
सेट पर हमेशा एक ख़ुशनुमा माहौल बना रहता था, जो 'दे दे प्यार दे' जैसी फिल्म के लिए बहुत ज़रूरी था। इससे हम सभी कलाकारों में अच्छा तालमेल रहा। मुझे किसी भी पल ये नहीं लगा कि मैं फिल्म में नई हूँ।" 
 
रकुल प्रीत ने अपने हिंदी फिल्म करियर की शुरुआत फिल्म 'यारियां' के साथ की थी। वह अजय देवगन की हीरोइन बनीं और इसे बड़ी बात ही माना जाएगा। वेबदुनिया से बात करते हुए रकुल प्रीत ने आगे बताया, "मैं बहुत अच्छी बच्ची हूं। सेट पर मैंने किसी से कोई टिप नहीं ली। आप बड़े कलाकारों के साथ काम करते हैं तो सीखते रहते हैं। एक्टिंग एक्शन और रिएक्शन का खेल है।"


 
दोनों (अजय और तब्बू) राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कलाकार हैं। उनके सामने ज़रा भी डर नहीं लगा?
मुझे इस बात का कभी डर नहीं लगता कि मेरे सामने कितने बड़ा एक्टर है बल्कि मैं तो इसी बात पर खुश हूं रही थी कि मैं इतने दिग्गज कलाकारों के साथ काम करने जा रही हूं। एक एक्टर के तौर पर मैं हमेशा बड़े कलाकारों का सपना देखूँगी लेकिन अभी इस मकाम पर आ कर नर्वस हो गई तो फिर इस जगह पर होने का क्या मतलब? 
 
आपको असल ज़िंदगी में किसी से प्यार या क्रश हुआ?
मैं डरपोक हूँ। मैं कभी किसी लड़के पास जा कर अपने दिल की बात नहीं कह सकती। असल ज़िंदगी में तो मैं भी ऐसा कुछ हो इस बात के इंतज़ार में हूँ, हालाँकि फिल्म की तरह मैं शायद ही अपने से इतने बड़े उम्र वाले से प्यार कर सकूं। जहां तक बात है क्रश की तो मुझे रणवीर सिंह पर बहुत बड़ा क्रश है। उनकी पहली फिल्म 'बैंड बाजा बारात' से ही वह मुझे पसंद आए थे। एक बार एक अवॉर्ड फ़ंक्शन में उन्हें जब मेरे क्रश के बारे में मालूम चला तो वो मुझसे मिलने भी आए थे। मैं तो बिल्कुल किसी बच्चे की तरह फैन मोमेंट को जी रही थी। 
 
आप पंजाबी हैं। पंजाबी फ़िल्में नहीं करेंगी? 
मैंने की हैं कुछ पंजाबी फ़िल्में, लेकिन मैं उत्तर और दक्षिण में तालमेल बैठाती रहती हूँ। मेरी डेट्स दक्षिण की फ़िल्मों और हिंदी फ़िल्मों में बंटी हुई हैं। ऐसे में नया कुछ करने की गुंजाइश नहीं बचती। 
 

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