रईस में हीरो हवा में उछल कर मार-पीट नहीं करेगा: शाहरुख खान

फिल्म 'रईस' के साथ शाहरुख इस साल की शुरुआत कर रहे हैं। फिल्म 1985–1995 के बीच की है जिसमें आपको उस समय के वही डायलॉग भी सुनने को मिलेंगे और शाहरुख की वो मियां भाई वाली इमेज भी देखने को मिलेगी। शाहरुख से बात की 'वेबदुनिया' संवाददाता रूना आशीष ने'। 
 
कैसा है ये 'रईस'? 
ये जो फिल्म है ये टिपिकल एक्शन ओरिएंटेड फिल्म नहीं है। ये कहानी है एक 7 साल के बच्चे की और उसके 40-42 साल तक के सफर की। एक लड़का जो अपने आसपास की चीजों को कैसे इस्तेमाल करके उस ऊंचाई पर पहुंचता है, जहां वो पहुंचना चाहता है। कहीं-कहीं तो ये किरदार सोच भी नहीं सकता है कि इसकी यहां या इस शख्स से लड़ाई भी हो सकती है। कोई टिपिकल विलेन भी नहीं है। 'कंपनी' जैसी फिल्म भी नहीं है, एक रियलिस्टिक फिल्म है। वैसे भी राहुल ढोलकिया जैसे निर्देशक हैं तो ऐसे ओवर द टॉप कुछ भी नहीं होने वाला है। कोई हीरो ऐसे हवा में उछलकर मार-पीट नहीं करेगा। हां, जब हीरो लड़ेगा तो विलेन को भी लगेगी और हीरो को भी चोट पहुंचेगी। हर एक सीन में फ्लो है। अगर आज उसे लगी है तो अगले दिन वो बिना चोट के गाना गाए, ऐसा नहीं है। एक्शन के कुल 5 सीन हैं और उसका बैकग्राउंड भी अच्छा है। मैंने देखा है कि कभी-कभी एक्शन सीन की वजह से महिलाओं को अच्छा-सा नहीं लगता है तो हमने एक्शन सीन के पीछे बैकग्राउंड स्कोर जोड़ कर उसे हल्का किया है।  


 
माहिरा की बात करें तो वे बहुत सुंदर हैं और कंजरवेटिव रूप में दिखाई दी हैं?
अरे, हमारे देश की हीरोइंस भी बड़ी कंजरवेटिव हैं। मैं कितनी भी कोशिश कर लूं, मुझसे बड़े कंजरवेटिवली बात करती हैं। दरअसल, हम कुछ अलग-सा चाहते थे, जैसे कि मिसाल के लिए 'रब ने बना दी जोड़ी' हो या 'ओम शांति ओम' थी। तो मैं एक स्थापित कलाकार हूं तो वो बात अपने आप आ जाती है कि ये शाहरुख खान है। आएगा तो लड़ेगा ही। ये स्टारडम की एक नकारात्मक बात है। अब पॉपुलर सिनेमा में वो चलता है कि पीछे संगीत चल रहा है और भी कई बातें, लेकिन अब चूंकि राहुल रियलिस्टक दुनिया से हैं, इस फिल्म की सेटिंग भी ऐसी है। 1985 से लेकर 1995 तक की फिल्म है ये। तो एक विचार आया था कि एक चेहरा ऐसा लें, जो मेरे साथ कभी भी पहले काम किया हुआ ना हो, जैसे 'रब...' में मैंने साहनी जैसा रियल कैरेक्टर किया था तो मैं बिलकुल शाहरुख खान नहीं था, तो वो बहुत रियल था। ऐसे में अगर कोई नया चेहरा हो तो वे फिल्म को और भी रियलिस्टिक बनाने का काम करते हैं। तो राहुल ने बहुत ऑडिशंस भी किए हैं। उसे एक नया चेहरा ही चाहिए था।
 
माहिरा का फिल्म में आना कैसे हुआ? 
राहुल और उनकी कुछ बातें चल भी रही थीं। हम एक ऐसे चेहरे को चाहते थे, जो बहुत भोला-भाला-सा हो लेकिन मौका पड़ने पर बिना किसी ड्रामे के वो साथ देने को आ जाए। आपने कभी सुष्मिता सेन को देखा है? वे जब भी सामने आती हैं तो बहुत दमदार लगती हैं। यह उनकी शख्सियत है। उन्हें देखकर लगता है कि वो कभी भी किसी तरह की गलत बात को बर्दाश्त नहीं करेंगी जबकि माहिरा में एक कैरेक्टर ऐसा दिखाता है, जो कभी आपकी बहन में होता है या मां में होता है या फिर पत्नी में होता है। फिल्म में भी नवाज है या जीशान है तो वे बड़े रियल हैं और कुछ तो एक्टर्स भी नहीं हैं, तो ऐसी हीरोइन और ऐसे साथी मेरे कैरेक्टर को रियल दिखने में मदद करते हैं। मेरी गैंग में भी जो लड़के हैं, वे बहुत नए हैं और मैंने तो उन्हें किसी फिल्म में नहीं देखा है तो मैं भी अलग तरीके से रिएक्ट करता हूं। मेरी हीरोगिरी भी ऐसे लोगों के सामने कम हो जाती है।
 
इस फिल्म के लिए क्या तैयारियां आपने की? 
इस फिल्म में राहुल बहुत का विजन स्पष्ट था कि फिल्म में 3 फेजेस होंगे। एक वो 25-26 साल का, फिर 30-35 साल और फिर 40-45 का। मुझे उसके हिसाब से अपनी फिजिक तैयार करनी थी। शरीर को वैसे ही बनाकर पेश करना था। कभी कपड़ों से वो अंतर लाया तो कभी आवाज से। शायद अभी प्रोमो में नहीं आया है लेकिन जब वो थोड़ी और उम्र में आ जाता है और लोगों के बीच चलता है तो उसकी चाल में अंतर आ जाता है। वो थोड़ा आगे की ओर झुककर चलने लगता है। लेकिन लुक को लेकर राहुल ढोलकिया बहुत ही ज्यादा सटीक रहना चाहते थे। मैंने कोई डेढ़ घंटे के दौरान कई लुक टेस्ट किए। काजल भी लगाया है मैंने।
 
 
नवाजुद्दीन सिद्दीकी भी फिल्म में हैं। उनके साथ अनुभव कैसा रहा? 
हम दोनों ने थिएटर किया है। शायद उसे पॉपुलर सिनेमा करने के उतने मौके नहीं मिले, जितने मुझे मिले हैं। हम सीन को करने के समय बहुत बार एक साथ बैठे और बातें की। हम दोनों की बहुत अच्छी बनी भी। उनकी पहली फिल्म 'मुन्ना भाई' थी, जो मैं भी एक समय में कर रहा था इसलिए मुझे याद भी रहा। काफी समय बाद मैं उनके साथ काम कर रहा था। हम दोनों में एक-दूसरे की कला के लिए बहुत सम्मान है। उन्हें कुछ आता है, मुझे कुछ आता है। हम साथ में एक-दूसरे के साथ कुछ कर सकते हैं। दोनों इस फिल्म में चोर और पुलिस हैं, तो कुछ अलग देखने को मिल रहा है इन दो थिएटर के एक्टरों से। हालांकि हम दोनों इसमें एक-दूसरे के खिलाफ हैं, लेकिन चोर-पुलिस तो बहुत बार हो गया है? हम बात भी करते थे कि क्या अलग कर सकते हैं इस रोल के लिए। हम एक-दूसरे से बहुत नफरत करते हैं। बहुत लड़ते हैं। दोनों को मालूम था कि इन दोनों में से कोई भी खत्म गया तो हम मिस करेंगे उसको, क्योंकि बुराई अच्छाई के बिना हो नहीं सकती है और अच्छाई भी बुराई के बिना नहीं हो सकती है तो हम में एक लव हेट रिलेशनशिप है, जो फिल्म में 14-15 साल तक चलता रहता है। वे बड़े रियल से एक्टर हैं। शायद मैंने कुछ तो सीख ही लिया होगा उनसे।

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