"लता दीदी की आवाज बहुत ही कोमल और मधुर थी। उनकी आवाज मतलब एक ऐसा स्वर जो हम सभी के लिए आदर्श था। आज वह स्वर नहीं रहा। कुछ खोया-खोया सा लगता है, लेकिन उनके गाने आज भी हमारे बीच में मौजूद हैं और हमेशा मौजूद रहेंगे। मैं उनसे चार या पांच बार ही मिली थी, लेकिन जब भी मिली, मुझे अपनापन महसूस होता था और शायद यही अपनापन वह भी महसूस करती थीं। हम एक-दूसरे का हाथ पकड़ बातें किया करते थे। ऐसा लगता जैसे अर्से बाद दो सहेलियां मिल रही हों। हमारा एक ही डुएट गाना रिकॉर्ड हुआ है- चांद के लिए।"
यह कहना है सुमन कल्याणपुर का, जो फिल्म इंडस्ट्री के संगीत के सुनहरे दौर की प्रतिभाशाली और सम्माननीय गायिका के तौर पर जानी जाती हैं। सुमन कल्याणपुर की उम्र 85 साल है और उन्हें लता जी के कई गाने बहुत पसंद आते हैं।
"लता जी की फिल्म 'लाहौर' का गाना मुझे बहुत पसंद है। इसके अलावा 'आरजू', 'कठपुतली', 'निराला' और 'अनारकली' जैसी फिल्मों के गाने और जाने कितने अनगिनत गाने हैं जो बहुत पसंद आते हैं। मेरे दिमाग में आज भी गूंजते रहते हैं। मैं भगवान से प्रार्थना करती हूं कि उन्हें सद्गति मिले, ओम शांति!" सुमन कल्याणपुर से सिर्फ इतनी सी बातचीत करना मेरे लिए कम था। पत्रकार होने के नाते मैं और लालची होती गई और उनसे सवाल पर सवाल पूछती गई।
क्या आप आज का संगीत सुनती हैं?
मैं आज का संगीत सुनती हूं। जो भी गीत मुझे सुमधुर लगता है या जिसके बोल भी अच्छे हो, मैं वो संगीत और गाने सुनना पसंद करती हूं।
जब आपने लता जी के बारे में खबर सुनी तो क्या विचार दिमाग में आया?
मैं जानती थी कि लता जी की तबीयत इन दिनों ठीक नहीं चल रही है। जब खबर सुनी तो मुझे यकीन नहीं हो रहा था। ऐसा लगा जैसे कोई जीवन में एक बड़ा शून्य पैदा हो गया हो, लेकिन उनके गाने हैं, हमारे साथ हैं और उनकी गानों की यादें हमेशा मेरे साथ ही चलेगी।
जब भी आपके गाने सुनने का मौका आता है तो यह भ्रम जरूर हो जाता है कि आवाज सुमन कल्याणपुर की है या लता मंगेशकर की है।
बिल्कुल ऐसा हो सकता है कि हम दोनों की आवाज में कोई समानता मिलती हो लोगों को। लेकिन सच कहूं तो जो संगीत को बहुत अच्छे से जानता है और जो आवाजों को बहुत अच्छे से पहचानता है, वह हम दोनों की आवाज में अंतर को आसानी से ढूंढ लेगा। जहां तक मेरी बात है, मैंने अपने हर गाने को बड़े ही सच्चाई के साथ गाया है। मैंने अपने आवाज में जितनी भी काबिलियत थी, उसके साथ हर गीत को गाने की कोशिश की है। मैंने कभी भी किसी की नकल करने की कोशिश नहीं की।
लता जी ने गायकों की रॉयल्टी को लेकर हमेशा आवाज बुलंद की है। आप की क्या सोच रही?
मैं उस समय नई गायिका थी। मुझे तो अपने एक गाने के हिसाब से मेरा मेहनताना मिल जाता था और वैसे भी नए गायक और रॉयल्टी.. कहां से यह मेल होता। नए गायकों को रॉयल्टी की बात करना भी मुमकिन नहीं था।
आपकी और रफी साहब की जोड़ी को बहुत पसंद किया जाता था। कई हिट गाने भी दिए। आपको रफी साहब कैसे याद हैं?
मैंने उनके साथ कई गाने गाए हैं और इन गानों को बहुत ज्यादा प्यार भी मिला है। रफी साहब की बात करूं तो बहुत ही मर्महृदयी व्यक्ति थे। बहुत ही प्यार से बातें किया करते थे। हम दोनों के डुएट भी खूब चले। उस समय कुछ निर्माताओं को लगता था कि मैं उनके लिए बड़ी लकी साबित होती हूं। उनकी फिल्म में मेरा गाना हुआ तो यह एक अच्छा शगुन होगा इसलिए कई बार फिल्म के मुहूर्त भी मुझसे कराए जाते थे।
आज का समय देखो तो नए और अलग आवाजों के लिए बहुत जगह बन गई है। आपको लगता है कि अगर यही काम बहुत पहले हुआ होता तो इतिहास कुछ अलग होता?
अलग तरीके की आवाज उस समय भी हुआ करती थी, लेकिन वह समय अलग था, वह लोग अलग थे और उस समय का संगीत भी बहुत अलग हुआ करता था।
(सुमन कल्याणपुर बातचीत करने की स्थिति में नहीं हैं। यह इंटरव्यू उनकी बेटी चारुल के मार्फत मैसेज पर लिखित बातचीत का परिणाम है।)