दीपिका ने मुझे प्रभावित किया : इम्तियाज अली

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इन दिनों फिल्म प्रेमी जिस फिल्म का इंतजार कर रहे हैं, उसमें ‘लव आज कल’ का नाम भी है। सैफ और दीपिका की जोड़ी की खासियत के अलावा यह फिल्म इम्तियाज अली की वजह से भी अहम है। ‘जब वी मेट’ जैसी ‍सफल फिल्म बना चुके निर्देशक इम्तियाज से दर्शकों को बेहद आशाएँ हैं। पेश है इम्तियाज से बातचीत :

क्या आप महसूस करते हैं कि फिल्मकार के रूप में आपमें सुधार हुआ है?
यह बताना बहुत मुश्किल है। जब मैं ‘जब वी मेट’ बना रहा था, तब मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश की थी। ‘लव आज कल’ में भी मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है।

करीना कपूर ने कई बार कहा है कि उन्हें दु:ख है कि वे ‘लव आज कल’ में नहीं हैं। उन्होंने हमेशा आपको अपना पसंदीदा निर्देशक भी बताया है।
मैं अपने बारे में करीना के विचार जानकर बहुत खुश हूँ। मैं भी बताना चाहूँगा कि करीना मेरी पसंदीदा अभिनेत्री हैं। लेकिन सिर्फ अपने पसंदीदा कलाकार के साथ काम करने के लिए उन्हें आप हर फिल्म या भूमिका में नहीं ले सकते हैं। ये उस कलाकार के साथ भी अन्याय होगा। मैं चाहता हूँ कि करीना मेरी प्रत्येक फिल्म का हिस्सा बने, लेकिन यह भी जरूरी है कि मैं उनकी प्रतिभा के साथ न्याय कर सकूँ।

तो दीपिका में आपको ऐसी क्या खासियत नजर आई?
जब आप फिल्म देखेंगे तो समझ जाएँगे। दीपिका में एक खास किस्म की मासूमियत है, जिसे मैं शब्दों में नहीं बता सकता। मीरा नामक किरदार निभाने के लिए मुझे जो अभिनेत्री चाहिए थी, उस पर दीपिका खरी उतरती हैं। उन्होंने अपने अभिनय से मुझे प्रभावित किया है, जैसा कि करीना ने ‘जब वी मेट’ में किया था।

अपने निर्माता के बारे में क्या कहना चाहेंगे?
सैफ मेरे लिए कभी निर्माता नहीं रहे। वे मेरे साथ हमेशा अभिनेता के रूप में रहे और वो भी अभिनेता के रूप में रहना ज्यादा पसंद करते हैं। वे बुद्धिमान हैं। उनमें कॉमन सेंस गजब का है और उनके पास रचनात्मक विचार भी हैं।

फिल्म का नाम कैसे सोचा गया?
पहले ‘आज कल’ सोचा गया था, लेकिन वो थोड़ा बोरिंग हो रहा था। मेरी फिल्म प्यार पर आधारित है, इसलिए इसे बदलकर ‘लव आज कल’ कर दिया गया।

लव कल और लव आज के बार में आप क्या कहना चाहेंगे?
प्यार एक ऐसी चीज है, जिसे मैं अब तक समझ नहीं पाया हूँ। यह एक भ्रमित करने वाला शब्द है। इसके मायने अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग है। मैं स्नेह, अंतरंग, एकजुटता जैसे शब्दों पर विश्वास करता हूँ, लेकिन प्यार मेरे लिए एक अनुचित शब्द है। ये मेरे विचार हैं और फिल्म के जरिये मैंने ऐसा संदेश देने की कोशिश नहीं की है। आजकल प्यार में लोग थोड़े जिस्मानी हो गए हैं, तो इसका ये मतलब नहीं है कि उनमें प्यार की भावना कम हो गई है या वर्तमान पीढ़ी प्यार के अहसास को समझती नहीं है।

क्या आपको भी इस फिल्म के जरिये प्यार की तलाश है?
हाँ। लोग भगवान के बारे में किताब लिखते हैं, लेकिन भगवान को नहीं जानते हैं। वे जानने की कोशिश करते हैं। मैं भी ऐसी ही कोशिश कर रहा हूँ।

क्या आप मानते हैं कि प्यार की बदौलत ही दुनिया कायम है?
इसीलिए तो मैंने फिल्म बनाई है। इस फिल्म को बनाने का विचार मेरे दिमाग में इसीलिए आया क्योंकि वर्तमान प्यार की तुलना अक्सर अतीत से की जाती रही है। पचास वर्ष से बड़ी उम्र वाले लोग मानते हैं कि वर्तमान में प्यार अपना महत्व खो चुका है। उसमें वो बात नहीं रही है। आज की पीढ़ी सोचती है कि पुराने प्रेमी मूर्ख थे। अपने प्यार का इजहार करने में ही उन्हें पूरी उम्र लग जाती थी।

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