महावीर फोगट को परिस्थितिवश कुश्ती छोड़ना पड़ती है। उसकी बेटियां रहती हैं। जब वह बेटियों में क्षमता देखता है तो समाज की प्रचलित कुरीतियों के खिलाफ जाकर बेटियों को पहलवान बनाता है ताकि वे देश के लिए स्वर्ण पदक जीते।
दंगल को सिर्फ स्पोर्ट्स फिल्म कहना गलत होगा। इस फिल्म में कई रंग हैं। लड़कियों के प्रति समाज की सोच, रूढि़वादी परंपराएं, एक व्यक्ति का सपना और जुनून, लड़के की चाह, अखाड़े और अखाड़े से बाहर के दांवपेंच, देश के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना, चैम्पियन बनने के लिए जरूरी अनुशासन और समर्पण जैसी तमाम बातें दंगल में समेटी गई हैं। फिल्म की स्क्रिप्ट कमाल की है और पूरी फिल्म बहती हुई एक मनोरंजन की नदी के समान है जिसमें दर्शक डुबकी लगाते रहते हैं। आमिर ने पहलवानों की बॉडी लैंग्वेज और हरियाणवी लहजे को जिस सूक्ष्मता के साथ पकड़ा है वो काबिल-ए-तारीफ है।
एक एलियन पृथ्वी पर आ पहुंचता है और उसे मनुष्य द्वारा बनाए गए रीति-रिवाजों, परंपराओं और अंधविश्वास से भरी बात समझ नहीं आती। वह धर्म की आड़ में छिपे पाखंड को भी समझ नहीं पाता।
थ्री इडियट्स की ऐतिहासिक सफलता के बाद राजकुमार हिरानी और आमिर खान ने फिर हाथ मिलाए। दर्शकों की अपेक्षाओं की ऊंचाई हिमालय जितनी ऊंची हो गई और अपेक्षाओं पर खरा उतरना आमिर बखूबी जानते हैं। अंधविश्वास के खिलाफ चोट पहुंचाने वाली कड़वी बात को मनोरंजन की मीठी चाशनी में लपेट कर इस तरह पेश किया गया कि दर्शक हंसते भी रहे और फिल्म में दिखाई जा रही बातों से सहमत भी होते रहे। रिलीज के पूर्व आमिर के न्यूड पोस्टर ने धमाल मचा दिया था तो रिलीज के बाद आमिर के शानदार अभिनय ने लोगों को गुदगुदा दिया। आमिर के चौड़े कान एलियन के रोल के लिए उपुयक्त नजर आए। चौड़ी आंखें, मुंह में पान और जुबां पर भोजपुरी भाषा लिए आमिर ने 'पीके' बन अपने करियर का बेहतरीन अभिनय किया।
कहानी है इंजीनियरिंग कर रहे तीन विद्यार्थियों की जिनके माध्यम से भारतीय शिक्षा प्रणाली और बच्चों पर पढ़ाई को लेकर पैरेंट्स द्वारा डाले जाने वाले दबाव पर व्यंग्य है।
हिट गानें : आल इज वेल * ज़ूबी ज़ूबी * बहती हवा सा था वो * गिव मी सनशाइन
क्या है खास?
45 वर्ष के आमिर ने 20 वर्ष के स्टुडेंट की भूमिका निभाई। चेहरे से, हावभाव से, एक्टिंग से आमिर ने अपने इस रोल को जस्टिफाई किया। रणछोड़दास श्यामलदास चांचड़ के रूप में उन्होंने ऐसा अभिनय किया जो क्रिटिक्स से लेकर आम दर्शकों तक को खूब भाया। 3 इडियट्स का नाम भारत की सफलतम फिल्मों की सूची में दर्ज हो गया। मनोरंजन के साथ-साथ एजुकेशन सिस्टम पर इस फिल्म के जरिये सवाल उठाए गए।
कहां देखें?
1) नेटफिल्क्स
2) सोनी लिव
गजनी (2008) :
संजय सिंघानिया की गर्लफ्रेंड कल्पना की गजनी हत्या कर देता है। विजय पर भी हमला होता है और वह एंट्रोग्रेड अम्नेशिया का शिकार हो जाता है। वह 15 मिनट से ज्यादा पुरानी बात याद नहीं रख पाता। इसके बावजूद गजनी से संजय बदला लेता है।
निर्देशक : एआर मुरुगदास
कलाकार : आमिर खान, असिन, प्रदीप रावत, जिया खान
हिट गानें : * ऐ बच्चू * बहका * गुज़ारिश
क्या है खास?
यह फिल्म शुद्ध रुप से व्यावसायिक फिल्म है। बदले के थीम पर आधारित इस फिल्म में रोमांस और एक्शन उभरकर सामने आता है। आमिर ने प्रचार के महत्व को जानकर इस फिल्म के प्रचार के लिए नई रणनीति बनाई। अपनी एट पैक एब्स बॉडी का उन्होंने जमकर प्रचार किया कि लोग फिल्म देखने के लिए टूट पड़े। प्रेम कहानी जहां दिल को छूती है वहीं एक्शन रोमांचित करता है। पूरी फिल्म शुरू से लेकर अंत तक बांध कर रखती है।
कहां देखें?
1) वूट
तारे जमीं पर (2007)
ईशान पढ़ाई में पिछड़ता है तो उसे बोर्डिंग स्कूल में डाल दिया जाता है जहां वह कुछ भी ठीक से नहीं कर पाता। उसका नया आर्ट टीचर पता लगाता है कि ईशान को डिस्लेक्सिया है। वह ईशान को आगे बढ़ने में मदद करता है।
निर्देशक : आमिर खान
कलाकार : आमिर खान, दर्शील सफारी, टिस्का चोपड़ा, विपिन शर्मा
हिट गानें : *तारे जमीं पर * बम बम बोले * मां
क्या है खास?
अभिनेता आमिर पर निर्देशक आमिर भारी पड़े। बिना स्टार्स, अंग-प्रदर्शन और फूहड़ हास्य के सफल फिल्म बनाकर आमिर ने साबित किया कि अच्छी फिल्म बनाई जाए तो भी बॉक्स ऑफिस पर सफलता पाई जा सकती है। इस फिल्म ने आमिर के कद को और ऊँचा किया। एक बच्चे की समस्या पर उसे सिर्फ डांटने की बजाय उसे समझने की जरूरत है।
कहां देखें?
1) नेटफ्लिक्स
रंग दे बसंती (2006) :
भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों का चित्रण करने के लिए सू कुछ छात्रों को चुनती है और भूमिका निभाते हुए इनमें देशभक्ति की भावना जाग जाती है। हालातों और भावनाओं के कारण वे बागी बन जाते हैं।
युवा वर्ग की ताकत की ओर यह फिल्म इंगित करती है। हमारे देश में कई युवा ऐसे हैं, जिनके सामने कोई लक्ष्य नहीं है और वे निरर्थक बातों में अपनी शक्ति को जाया करते हैं। लेकिन यदि उन्हें सही दिशा मिल जाए तो वे क्रांति कर सकते हैं। आमिर ने पूरी तरह डूबकर अपनी भूमिका अभिनीत की और बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म ने कामयाबी हासिल की।
आकाश, समीर और सिद्धार्थ, तीन अच्छे दोस्त जिनका रिश्तों के प्रति दृष्टिकोण अलग होता है। आकाश व्यवसाय के लिए ऑस्ट्रेलिया जाता है, सिद्धार्थ कला के प्रति समर्पित होता है और समीर लड़की को लुभाने में व्यस्त हो जाता है।
हिट गानें : *दिल चाहता है *जाने क्यूं * वो लड़की है कहां * कोई कहे कहता रहे *तन्हाई
क्या है खास?
फरहान अख्तर जैसे नए और युवा निर्देशक के साथ आमिर ने काम करना स्वीकार किया। इस फिल्म को भारतीय फिल्म इतिहास का टर्निंग पाइंट कहा जा सकता है। ताजगी से भरी इस फिल्म ने कई लोगों को नई सोच की फिल्म बनाने के लिए प्रेरित किया। आमिर इस फिल्म में अनोखे हेयर स्टाइल में नजर आए और अपने अभिनय में उन्होंने नए प्रयोग किए। रिश्ते और करियर को लेकर युवाओं को दृष्टिकोण को भी फिल्म रखती है।
ब्रिटिश राज के दौरान भुवन नामक किसान कैप्टन एंड्रयू रसल की उस चुनौती को स्वीकार लेता है कि यदि क्रिकेट में उसकी टीम ने ब्रिटिशों को हरा दिया तो अगले तीन वर्षों के लिए भुवन के गांव वालों को लगान से मुक्ति मिल जाएगी।
हिट गानें : * घनन-घनन * राधा कैसे ना जले * मितवा * ओ रे छोरी * चले चलो
क्या है खास?
क्रिकेट और देशभक्ति को जोड़कर आमिर और आशुतोष गोवारीकर ने एक महान फिल्म की रचना की। आमिर ने इस फिल्म पर पैसा लगाकर जोखिम मोल लिया था। भुवन का किरदार हमेशा याद किया जाएगा, जो क्रिकेट के जरिये अँग्रेजों से टकराता है। लगान की गिनती श्रेष्ठ भारतीय फिल्मों में की जाती है और भारत की ओर से इसे ऑस्कर के लिए भेजा गया था।
मिली एक्ट्रेस बनना चाहती है और उसके बचपन का दोस्त मुन्ना चाहता है कि मिली की महत्वाकांक्षा पूरी हो। मिली का सपना पूरा होता है, लेकिन मुश्किल तब खड़ी होती है जब मिली को मुन्ना और एक प्रसिद्ध अभिनेता राजकमल दोनों प्यार करने लगते हैं।
निर्देशक : रामगोपाल वर्मा
कलाकार : आमिर खान, उर्मिला मातोंडकर, जैकी श्रॉफ
हिट गानें : * रंगीला रे * हाय रामा * क्या करे क्या ना करे * तन्हा तन्हा यहां पे जीना * प्यार ये जाने कैसा * यारो सुन लो ज़रा * मांगता है क्या
क्या है खास?
एक टपोरी युवक की भूमिका को आमिर ने इतनी खूबसूरती के साथ पेश किया कि मिमिक्री आर्टिस्ट आमिर को इसी अंदाज में दर्शकों के सामने दोहराते हैं। फिल्म का संगीत इसकी जान है और गानों का फिल्मांकन बेहतरीन तरीके से किया गया है।
निठल्ले अमर और प्रेम सपने देखते रहते हैं। शॉर्टकट तरीके से अमीर बनने के लिए वे पैसे वाले की बेटी रवीना का दिल जीतने की कोशिश करते हैं। लेकिन इस रास्ते में गैंगस्टर तेजा से भी उनकी टक्कर होती है।
निर्देशक : राजकुमार संतोषी
कलाकार : आमिर खान, सलमान खान, रवीना टंडन, करिश्मा कपूर, परेश रावल, शक्ति कपूर, शहज़ाद खान
हिट गानें : * दो मस्ताने * दिल करता है * ये रात और ये दूरी
क्या है खास?
कई बार देखने पर भी यह फिल्म बोर नहीं करती। आमिर-सलमान की कैमेस्ट्री खूब जमी। इस फिल्म में आमिर के अंदर का हास्य अभिनेता उभरकर सामने आया। राजकुमार संतोषी ने सिचुएशनल कॉमेडी के जरिये लोगों को खूब हंसाया। अनेक चाहते हैं कि इस फिल्म का सीक्वल बनाया जाना चाहिए।
एक नामी साइकिल दौड़ स्पर्धा में चोट के कारण रतन भाग नहीं ले पाता तो उसका छोटा भाई संजय इस स्पर्धा में हिस्सा लेता है और इस दौरान वह मानसिक परिवर्तन से गुजरता है।
निर्देशक : मंसूर खान
कलाकार : आमिर खान, आयशा जुल्का, दीपक तिजोरी, पूजा बेदी
हिट गानें : * पहला नशा * यहां के हम सिकंदर * हमसे है सारा जहां * अरे यारों मेरे प्यारों
क्या है खास?
स्कूली जीवन को यह फिल्म नजदीक से दिखाती है। आमिर ने स्कूली छात्र की भूमिका निभाई। आमिर पर फिल्माया पहला नशा गाना लोगों को अब तक याद है। टीन एज में होने वाले बदलावों और मानसिकता को भी फिल्म दिखाती है।
कहां देखें?
कयामत से कयामत तक (1998)
लैला-मजनूं, हीर-रांजा, रोमियो-जूलियट के क्लासिक ट्रेजिक रोमांस का आधुनिक रूपांतरण।
निर्देशक : मंसूरी अली खान
कलाकार : आमिर खान, जूही चावला
हिट गानें : * पापा कहते हैं * ऐ मेरे हमसफर * गज़ब का है दिन *अकेले है तो क्या गम है
क्या है खास?
किसी हीरो को लांच करने के लिए टिपीकल बॉलीवुड फिल्म। प्रेमी-प्रेमिका। घर वाले रुकावट। प्यार के लिए जीने-मरने की कसमें। लेकिन आमिर की मासूमियत लोगों को इस कदर अच्छी लगी कि धीरे-धीरे इस फिल्म ने सफलता के झंडे गाड़ दिए। इस फिल्म ने आमिर की इमेज लवर बॉय की बना दी, जिससे बाहर निकलने में उन्हें काफी समय लगा।