एक इंटरव्यू के दौरान मंदिरा बेदी ने कहा, जब मैं होस्ट की भूमिका में आई तो मुझे अधिकतर लोगों ने पसंद नहीं किया। ना तो जो लोग पैनल में बैठते थे उन्होंने और ना ही क्रिकेटर्स ने मुझे सपोर्ट किया। साड़ी पहन कर क्रिकेट के बारे में बात करना शायद किसी के लिए उस दौर में हजम कर पाना मुश्किल था। कोई भी उनकी मदद तक नहीं करता था।
मंदिरा ने कहा, जब वह क्रिकेटर्स से सवाल पूछती थीं तो लोगों को लगता था कि वे बिना सवाल का मतलब जाने ही उसे पूछ रही हैं। लोगों की धारणा ही ऐसी थी। मुझे बहुत से क्रिकेटर्स घूरा करते थे। ऐसा सोचते थे जैसे वह क्या पूछ रही है। खिलाड़ी जो भी जवाब देते वह मेरे सवाल से जुड़ा हुआ ही नहीं होता था।
उन्होंने कहा, यह अनुभव मेरे लिए काफी डरावना था। मेरा आत्मविश्वास डगमगा चुका था। लेकिन, ब्रॉडकास्टर्स ने मुझे हिम्मत बंधाई और कहा कि आपको 150-200 महिलाओं में से चुना गया है। आप बेस्ट हैं। खुद पर भरोसा रखिए।