Pran death anniversary: बॉलीवुड में प्राण एक ऐसे अभिनेता के तौर पर याद किया जाता है, जिन्होंने खलनायकी के क्षेत्र में एकछत्र राज किया और अपने अभिनय का लोहा मनवाया। प्राण का जन्म 12 फरवरी 1920 को दिल्ली में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता केवल कृष्ण सिकंद सरकारी ठेकेदार थे। उनकी कंपनी सड़कें और पुल बनाने के ठेके लिया करती थी।
पढ़ाई पूरी करने के बाद प्राण अपने पिता के काम में हाथ बंटाने लगे। एक दिन पान की दुकान पर उनकी मुलाकात लाहौर के मशहूर पटकथा लेखक वली मोहम्मद से हुई। वली मोहम्मद ने प्राण की सूरत देखकर उनसे फिल्मों में काम करने का प्रस्ताव दिया। प्राण ने उस समय वली मोहम्मद के प्रस्ताव पर ध्यान नहीं दिया लेकिन उनके बार-बार कहने पर वह तैयार हो गए।
फिल्म यमला जट से प्राण ने अपने सिने करियर की शुरूआत की। फिल्म की सफलता के बाद प्राण को यह महसूस हुआ कि फिल्म इंडस्ट्री में यदि वह करियर बनाएगें तो ज्यादा शोहरत हासिल कर सकते है। इस बीच भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद प्राण लाहौर छोड़कर मुंबई आ गए।
प्राण ने लगभग 22 फिल्मों में अभिनय किया और उनकी फिल्में सफल भी हुई लेकिन उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि मुख्य अभिनेता की बजाय खलनायक के रूप में फिल्म इंडस्ट्री में उनका भविष्य सुरक्षित रहेगा। वर्ष 1948 में उन्हें बॉम्बे टॉकीज की निर्मित फिल्म जिद्दी में बतौर खलनायक काम करने का मौका मिला। फिल्म की सफलता के बाद प्राण ने यह निश्चय किया कि वह खलनायकी को ही करियर का आधार बनाएंगे।
इसके बाद प्राण ने लगभग चार दशक तक खलनायकी की लंबी पारी खेली और दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। जब प्राण रूपहले पर्दे पर फिल्म अभिनेता से बात करते होते तो उनके बोलने के पहले दर्शक बोल पड़ते यह झूठ बोल रहा है, इसकी बात पर विश्वास नहीं करना यह प्राण है, इसकी रग-रग में मक्कारी भरी पड़ी है। वर्ष 1958 में प्रदर्शित फिल्म अदालत में प्राण ने इतने खतरनाक तरीके से अभिनय किया कि महिलाएं हॉल से भाग खड़ी हुईं और दर्शकों को पसीने आ गए।
सत्तर के दशक में प्राण खलनायक की छवि से बाहर निकलकर चरित्र भूमिका पाने की कोशिश में लग गए। वर्ष 1967 में निर्माता-निर्देशक मनोज कुमार ने अपनी फिल्म उपकार में प्राण को मलंग काका का एक ऐसा रोल दिया जो प्राण के सिने करियर का मील का पत्थर साबित हुआ। फिल्म उपकार में प्राण ने मलंग काका के रोल को इतनी शिद्दत के साथ निभाया कि लोग प्राण के खलनायक होने की बात भूल गए।
सदी के खलनायक प्राण की जीवनी भी लिखी जा चुकी है जिसका टाइटल 'एंड प्राण' रखा गया है। पुस्तक का यह टाइटल इसलिए रखा गया है कि प्राण की अधिकतर फिल्मों में उनका नाम सभी कलाकारों के पीछे 'और प्राण' लिखा हुआ आता था। कभी-कभी उनके नाम को इस तरह पेश किया जाता था एबॉव आल प्राण। प्राण ने अपने चार दशक से भी ज्यादा लंबे सिने करियर में लगभग 350 फिल्मों मे अपने अभिनय का जौहर दिखाया।
प्राण के मिले सम्मान पर यदि नजर डालें तो अपने दमदार अभिनय के लिये वह तीन बार सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वर्ष 2013 में प्राण को फिल्म जगत के सर्वश्रेष्ठ सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार दिया गया था। प्राण को उनके करियर के शिखर काल में फिल्म के नायक से भी ज्यादा भुगतान किया जाता था। डॉन फिल्म में काम करने के लिए उन्हें नायक अमिताभ बच्चन से ज्यादा रकम मिली थी। अपने दमदार अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाले प्राण 12 जुलाई 2013 को इस दुनिया को अलविदा कह गए।