T 3768 -" आपकी सेवा में सुन्दर श्लोक ।
— Amitabh Bachchan (@SrBachchan) December 30, 2020
शांतितुल्यं तपोनास्ति न संतोषात्परं
सुखम्।
न तृष्णया परो व्याधिर्न च धर्मों दया पर:।
अर्थात्-
एक संयमित मन के समान कोई तप नहीं ;
संतोष के समान कोई सुख नहीं
लोभ के समान कोई रोग नहीं ,
दया के समान कोई गुण नहीं ।" ~ cU