साड्डा अड्डा की कहानी

बैनर : राजतारु स्टुडियो लिमिटेड
निर्माता : राजीव अग्रवाल, रमेश बी. अग्रवाल, तरुण आर. अग्रवाल
निर्देशक : मुआज्जम बेग
संगीत : शमीर टंडन, बैंड ऑफ बॉयज़, रामजी गुलाटी
कलाकार : करणवीर शर्मा, रोहिन रॉबर्ट, भौमिक सम्पत, कुणाल पंत, रोहित अरोरा, शौर्या चौहान
रिलीज डेट : 13 जनवरी 2012

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हमारे में से ज्यादातर लोगों के सपने इसलिए पूरे नहीं हो पाते हैं क्योंकि हमें खुद पर विश्वास नहीं होता। हम अपने सपने से ही डरने लगते हैं और लगता है कि हमारे अंदर इनको साकार करने की योग्यता नहीं है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए ‘साड्डा अड्डा’ बनाई गई है।

दिल्ली एक ऐसा शहर है जहां उत्तरी भारत से हजारों की संख्या में युवा आते हैं क्योंकि इस शहर में जो अवसर हैं वो उनके शहर में नहीं हैं। अलग-अलग प्रदेशों से आए छ: लड़के दो बीएचके के एक अपार्टमेंट में साथ रहते हैं। इनकी पृष्ठभूमि और व्यक्तित्व बिलकुल अलग है। सभी कुंआरे हैं।

इनके अपार्टमेंट को साड्डा अड्डा पुकारा जाता है। साड्डा अड्डा पर कभी आप जाएंगे तो चारों ओर सिगरेट के बचे हुए टुकड़े, बीयर की खाली बोतलें, मैले कपड़े बिखरे हुए मिलेंगे। इनके बीच वे खाना पकाते हैं, किराया चुकाते हैं, रोते हैं, खुश होते हैं और लड़ते हैं। जरूरत पड़ती है तो एक-दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होते हैं। इन छ: किरदारों की कहानी आपस में गूंथी हुई है जो उनकी यात्रा दिखाती है। कैसे वे अपने सपने पूरे करने में कामयाब होते हैं यह फिल्म का सार है।

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