भूल भुलैया 2 फिल्म समीक्षा : मनोरंजन का वादा निभाती है कार्तिक और कियारा की फिल्म

समय ताम्रकर
Bhool Bhulaiyaa 2 Movie Review हॉरर प्लस कॉमेडी का फॉर्मूला पिछले कुछ वर्षों से बॉलीवुड में सफल रहा है और इसी लाइन पर चलते हुए फिल्म निर्देशक अनीस बज्मी ने 'भूल भुलैया 2' नाम से फिल्म बनाई है। प्रियदर्शन ने 2007 में अक्षय कुमार और विद्या बालन को लेकर भूल भुलैया बनाई थी, जिसका सीक्वल नई कहानी के साथ पेश किया गया है। पुरानी हिट फिल्म से कुछ तार जोड़े गए हैं, जैसे 'मंजूलिका' नामक चुड़ैल और शानदार बैकग्राउंड म्यूजिक का फिर इस्तेमाल दर्शकों को भूल भुलैया 2 देखते समय भूल भुलैया की याद दिलाता रहता है।  
रूहान (कार्तिक आर्यन) और रीत (कियारा आडवाणी) की अजीब परिस्थितियों में मुलाकात होती है और वे रीत की पुरानी पुश्तैनी हवेली में पहुंच जाते हैं जहां पर मंजूलिका की बुरी आत्मा को बंद कर दिया गया है। रीत को बचाने के लिए रूहान झूठ बोलता है कि वह भूतों को देख सकता है और बात कर सकता है, लेकिन उसे नहीं पता रहता है कि एक दिन उसे मंजूलिका से सामना करना पड़ेगा। मंजूलिका का अतीत भी सामने आता है जो दर्शकों को चौंकाता है। 
 
दर्शकों का मनोरंजन, यही उद्देश्य लेकर फिल्म के लेखक और निर्देशक चले हैं और इसमें उन्हें काफी सफलता भी मिली है। बेवजह कोई मैसेज देने या फिल्म को महान बनाने का उन्होंने कोई प्रयास नहीं किया है। हॉरर, कॉमेडी, रोमांस और चुटीले संवादों के जरिये उन्होंने दर्शकों पर पकड़ बनाई है। इस काम में सशक्त कलाकारों का झुण्ड भी उनकी मदद करता है और कुछ कलाकारों ने स्क्रिप्ट की डिमांड से ज्यादा डिलीवर किया है। 
फिल्म की शुरुआत भले ही धीमी और असरदायक नहीं लगती है, लेकिन जैसे ही रूहान और रीत हवेली पहुंचते हैं फिल्म दर्शकों पर ग्रिप बना लेती है। आकाश कौशिक की लिखी कहानी और स्क्रीनप्ले में कई मजेदार सीन हैं, जैसे रीत की आत्मा के साथ चाचा का खेलना, एक बदमाश बच्चा जो रूहान के पीछे पड़ा रहता है (अनीस बज्मी ने बच्चे का इसी तरह का कैरेक्टर रेडी में भी रखा था), बड़े परिवार और रूहान का 'बाबा' बनने को लेकर रचे गए दृश्य, बाबा पंडित (संजय मिश्रा) उसकी पत्नी (अश्विनी कल्सेकर) और छोटा पंडित को लेकर की गई कॉमेडी वाले सीन बढ़िया बने हैं और दर्शकों को खूब हंसाते हैं।  

स्क्रिप्ट में कुछ खामियां भी हैं, जैसे रीत के घर वालों को खबर मिलती है कि रीत दुनिया में नहीं रही है, लेकिन उसके घर वाले उसकी बॉडी को ढूंढने का कोई प्रयास नहीं करते। रीत छुपने के लिए अपनी ही पुरानी हवेली में रहती है और घरवालों को भी बुला लेती है। उसका यह निर्णय अजीब लगता है, लेकिन लेखक और निर्देशक ने मनोरंजन की आड़ में इन बातों को ढंकने की कोशिश की है। 
 
ड्रामे में कई उतार-चढ़ाव हैं और फर्स्ट हाफ दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करता है। इंटरवल पाइंट जोरदार है। इंटरवल के बाद फिल्म में ड्रामा फ्रंट सीट पर आ जाता है। कहानी मंजूलिका पर शिफ्ट हो जाती है और रूहान बैक सीट पर पहुंच जाता है। फिल्म में थोड़े डल मोमेंट्स आते हैं, लेकिन बहुत जल्दी ही गाड़ी फिर पटरी पर आ जाती है। सेकंड हाफ में कॉमेडी पर हॉरर भारी है और कुछ सीन डराते और चौंकाते हैं। फिल्म का अंत जल्दबाजी में निपटाया गया है। 
वर्षों से फिल्म इंडस्ट्री में टिके हुए निर्देशक अनीस बज्मी ने अपने अनुभव का पूरा उपयोग करते हुए 'भूल भुलैया 2' को ऐसी फिल्म के रूप में पेश किया है जो परिवार के साथ देखी जा सकती है। अनीस ने कलाकारों से बेहतरीन अभिनय करवाया है और ड्रामे को मनोरंजक और रोचक तरीके से पेश किया है। फिल्म कुछ जगह उनके हाथ से फिसलती है, लेकिन फौरन वे संभाल लेते हैं। गानों को भी उन्होंने छोटा रखा है ताकि दर्शकों का ध्यान नहीं भटके। 
कार्तिक आर्यन अपने कैरेक्टर में एकदम फिट लगे। उनकी कॉमिक टाइमिंग जोरदार रही और दृश्यों के मुताबिक उन्होंने एक्सप्रेशन्स दिए। वे अपने कैरेक्टर को दर्शकों से जोड़ने में सफल रहे। कियारा आडवाणी की एक्टिंग भी अच्छी रही। तब्बू को इस फिल्म का 'हीरो' कहा जाए तो गलत नहीं होगा। खासतौर पर दूसरे हाफ में फिल्म उनके कंधों पर ही टिकी हुई है। संजय मिश्रा और राजपाल यादव की कॉमेडी जोरदार रही। अश्विनी कल्सेकर, मिलिंद गुणाजी, राजेश शर्मा, मास्टर समर्थ चौहान सहित सारे चरित्र अभिनेताओं ने अपना-अपना पार्ट बखूबी निभाया। 
 
फिल्म के गाने बहुत अपीलिंग नहीं हैं। फरहाद सामजी और आकाश कौशिक के संवाद जोरदार हैं और दर्शकों को हंसाते हैं। संदीप शिरोडकर का बैकग्राउंड म्यूजिक माहौल बनाता है, खासतौर पर हॉरर दृश्यों में। 
 
कुल मिलाकर 'भूल भुलैया 2' ऐसी फिल्म है जो मनोरंजन का वादा करती है और उसे निभाती है। 
 
बैनर : टी-सीरिज फिल्म्स, सिने 1 स्टूडियोज़ 
निर्देशक : अनीस बज्मी 
संगीत : प्रीतम, तनिष्क बागची 
कलाकार : कार्तिक आर्यन, कियारा आडवाणी, तब्बू, संजय मिश्रा, राजपाल यादव, राजेश शर्मा, मिलिंद गुणाजी 
रेटिंग : 3/5 

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