भारतीय उद्योग जगत से जुड़ी हस्तियों ने बजट पर मिलीजुली प्रतिक्रियाएँ जाहिर की हैं। इनमें से ज्यादातर ने बजट का स्वागत किया है, हालाँकि उन्होंने वित्तमंत्री को कुछ सुझाव भी दिए हैं।
उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष सुनील मित्तल ने कहा कि बजट अनुमान के मुताबिक ही है हालाँकि हमें इस बात से निराशा है कि निगमित करों की दरें अपरिवर्तित रखी गई हैं।
इसके साथ ही हमें विश्वास है कि वित्तमंत्री ने छटवे वेतन आयोग के लागू होने के बाद आने वाले आर्थिक अधिभार से निपटने के लिए योजना तैयार कर ली होगी। रुपए की लगातार बढ़ती कीमतों के कारण आयात-निर्यात में होने वाले नुकसान को कम करने के लिए इस बजट में किए गए प्रावधानों से हम संतुष्ट हैं।
अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य दिलीप फड़के ने कहा कि यह बजट बेहद लुभावन है। मीठी बातों के बीच में अर्थव्यवस्था से जुड़े कड़वे सवालों को भुला दिया गया है। किसानों के लिए सरकार की घोषणा स्वागत योग्य है लेकिन कर माफी के साठ हजार करोड़ रुपए कहाँ से एकत्र होंगे, इसका कोई प्रावधान नहीं बताया गया।
वहीं छठे वेतन आयोग के बारे में सिर्फ तीन वाक्यों में जानकारी दी गई। छठवें वेतन आयोग को लागू करने के लिए धन-व्यवस्था कहाँ से की जाएगी? एकाएक आने वाले अर्थभार से किस तरह निपटा जाएगा। इस संबंध में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया। गौरतलब है कि केंद्र अब तक पाँचवे वेतन आयोग के बाद लगे भारी आर्थिक झटके से उबर नहीं पाया है।
महाराष्ट्र चेंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष विक्रम सारडा के अनुसार यह पूरी तरह चुनावी बजट है। इसमें वोटो का ध्यान रखा गया लेकिन गरीब जनता का नहीं। इस बजट के दूरगामी परिणाम से महँगाई बढ़ेगी। आम लोगों को तकलीफ होगी। मैं इस बजट से संतुष्ट नहीं हूँ यह बजट अमीरी और गरीबी के बीच की खाई बढ़ाएगा। वही उद्योगों को इस बजट से न तो खास फायदा है न ही नुकसान।
बिजनेस प्रॉसेस इंडस्ट्री एसोसिएशन ऑफ इंडिया (बीपीआईएआई) के अध्यक्ष सैम चोपड़ा का मानना है कि सरकार का यह बजट जो काफी हद तक शिक्षा क्षेत्र को ध्यान में रखकर बनाया गया है, जिससे शिक्षा का स्तर बढे़गा और बीपीओ समेत अन्य क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करेगा।
बीपीओ उद्योग में पहले ही कर्मियों की आवश्यकता है और यह प्रयास बीपीओ उद्योग को व्यापक स्तर पर लाभान्वित करेगा। साथ ही विश्व स्तरीय कुशलता विकास कार्यक्रम अर्थव्यवस्था को दृढ़ करने में सहायक व बीपीओ उद्योग के लिए हितकारी साबित होगा।
इस बजट की एक उपलब्धि यह भी रही कि इसमें घरेलू कंपनियों के लिए डिविडेंट डिस्ट्रिब्यूशन कर को मुक्त कर दिया गया है। साथ ही फार्मा, शिक्षा, ऑटोमोबाइल्स और आईटी हार्डवेयर को लाभान्वित करने वाला यह बजट बीपीओ उद्योग के लिए सामान्य प्रतीत होता है। भारतीय उद्योग पहले से ही रुपए की कीमत से संबंधित समस्याएं झेल रहा है और इस बजट ने इन समस्याओं को और अधिक बढ़ा दिया है।
कोटक महिन्द्रा बैंक के प्रबंध निदेशक उदय कोटक ने कहा निगमित कर उचित स्तर पर है। उद्योगपति सज्जन जिन्दल ने कहा यह मिलाजुला बजट है और वित्तमंत्री ने निगमित कर दरों से छेड़छाड़ नहीं की है, जिसका हमें अनुमान भी था। इसमें मुख्य जोर कृषि और शिक्षा पर दिया गया है।
पीएचडी चैंबर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष एलके मल्होत्रा ने कहा कि बजट में दी गई रियायतों से देश का विकास प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि किसानों को दी गई राहत का असर देश के विकास पर दिखाई देगा। हालाँकि उन्होंने सेनवैट की दर 16 प्रतिशत से घटाकर 14 प्रतिशत की घोषणा का स्वागत किया और कहा कि इसके विशेष लाभ होंगे।
अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ ने बजट को निराशाजनक बताते हुए कहा है कि इसमें देश के आंतरिक व्यापार के संबंध में कुछ नहीं कहा गया है। परिसंघ के अध्यक्ष प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि घरेलू व्यापार को सुधारने के लिए बजट में कुछ नहीं किया गया है।
फोरम ऑफ दिल्ली ट्रेड एसोसिएशन ने व्यापारियों को दी गई राहतों को नाकाफी बताते हुए कहा कि इनसे व्यापारियों की परेशानियाँ कम नहीं होगी। फोरम के अध्यक्ष ने कहा कि बजट में कृषि जिंसों के वायदा व्यापार और खुदरा व्यापार में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रवेश पर रोक लगानी चाहिए।
भारतीय वित्त संस्थान के प्रमुख प्रो. जेडी अग्रवाल ने बजट को अर्थव्यवस्था के अनुरूप और लोगों के लिए बताया है। उन्होंने कहा कि यह देश को प्रगति के रास्ते पर ले जाएगा। भारतीय कागज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष नारायण मूर्ति ने बजट में उद्योग को दी गई रियायतों का स्वागत करते हुए कहा कि निवेश बढ़ेगा और कारोबार में बढ़ोतरी होगी।
इंडो अमेरिकन चैम्बर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष फारूख बलसारा ने कहा कि सेनवेट में दो प्रतिशत की कमी से उत्पाद शुल्क में कमी होगी, जिससे अपभोक्ताओं को सामान सस्ता पड़ेगा। इससे उपभोग बढ़ेगा और अंततः अर्थव्यवस्था को फायदा पहुँचेगा। उन्होंने कहा कि आयकर में छूट की सीमा बढ़ाने से भी मध्यम वर्ग को फयदा पहुँचेगा। इससे उनके हाथों में खर्च करने के लिए अधिक राशि होगी।
भारतीय कंपनी सचिव संस्थान के अध्यक्ष केयूर बख्शी ने सीमांत एवं छोटे, मध्यम किसानों की ऋण माफी के प्रस्ताव को ऐतिहासिक बताते हुए कहा है कि इससे किसानों के हालात बदलेंगे। उन्होंने कहा कि कर्ज के बोझ में दबे किसानों को अब कोई ऐसा कदम नहीं उठाना पड़ेगा, जिससे उसके परिवार का निवाला छिन जाए। सेनवेट में दो प्रतिशत की कटौती का भी उन्होंने स्वागत करते हुए कहा कि इससे बाजार में चीजें सस्ती होगी।
इलेक्ट्रॉनिक एवं कंप्यूटर सॉफ्टवेयर निर्यात संवर्द्धन परिषद के अध्यक्ष संजीव नारायण ने कहा कि सेनवेट में कमी से इस उद्योग को भी फायदा पहुँचा है। इससे कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर उद्योग और फलेगा फूलेगा।
भारती इंटरप्राइजेज के उपाध्यक्ष राकेश भारती मित्तल ने कृषि, शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र में अधिक पैसे के आवंटन और करों में छूट का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे छोटे शहरों में भी स्वास्थ्य सुविधाओं में विस्तार हो सकेगा।