कालाधन रखने वालों की अब खैर नहीं

शनिवार, 28 फ़रवरी 2015 (12:25 IST)
नई दिल्ली। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कालेधन को संगीन अपराध मानते हुए इस पर लगाम लगाने  के लिए वर्तमान सत्र में एक नया विधेयक लाने की शुक्रवार को घोषणा की और साथ ही विदेशी  संपत्ति छिपाने वालों को 10 वर्ष कारावास की सजा और कर एवं संपत्ति को छिपाने वालों पर कर की  मौजूदा दर से 300 प्रतिशत जुर्माना लगाने समेत कई कठोर कदम उठाने प्रस्ताव किया।









 

 
 
लोकसभा में 2015-16 का आम बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि कालेधन पर अंकुश  लगाने के लिए यह कानून उनके कर प्रस्तावों का पहला और प्रमुख आधार बनेगा। इस विधेयक में  आय एवं संपत्ति छुपाने तथा विदेशी संपत्ति के संबंध में करवंचना के लिए 10 वर्ष की कड़ी सजा का  प्रावधान किया जाएगा। इन अपराधों को संगीन अपराध माना जाएगा और ऐसे अपराधों के लिए आय  और संपत्ति पर लगने वाले कर की मौजूदा दर से 300 प्रतिशत जुर्माना लगाया जाएगा।
 
वर्तमान सरकार का पहला पूर्ण बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री ने कालेधन पर लगाम लगाने के लिए  बेनामी लेन-देन रोकथाम के लिए भी एक नया कानून इसी सत्र में लाने की भी घोषणा की। नए कानून के तहत 1 लाख से अधिक की किसी भी खरीद और बिक्री के लिए पैन देना अनिवार्य कर दिया जाएगा और 20 हजार से अधिक का लेन-देन नकद किए जाने पर रोक लगा दी जाएगी।
 
जेटली ने कहा कि इस कानून से बेनामी संपत्ति कुर्क करने के साथ अभियोग चलाने का मार्ग प्रशस्त  हो सकेगा और बेनामी संपत्ति के जरिए विशेष तौर पर रियल इस्टेट क्षेत्र में कालाधन सृजन करने क  रास्ते बंद किए जा सकेंगे। 
 
वित्तमंत्री ने कहा कि नए विधेयक में आयकर विवरणी दाखिल न करने और अधूरी जानकारी के  दाखिल करने पर 7 वर्ष की कड़ी सजा का प्रावधान होगा। बैंकों, वित्तीय संस्थानों और व्यक्तियों के  मामले में इस विधेयक के आधार पर कार्रवाई की जा सकेगी। वित्तमंत्री ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन  अधिनियम 1999 फेमा तथा धनशोधन कानून-2002 में बदलाव किए जाने का भी प्रस्ताव किया  है।
 
जेटली ने अवैध रूप से विदेशों में जमा किए गए कालेधन की तलाश जारी रखने और वापस लाने  की सरकार की प्रतिबद्धता भी दोहराई। उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछले 9 माह में इस समस्या के  समाधान के लिए कई उपाय किए हैं।
 
जेटली ने कहा कि 'मेक इन इंडिया' और घरेलू विनिर्माण से देश में विकास होगा और निवेश में तेजी  आएगी, इससे रोजगार पैदा होंगे। इससे मध्यम श्रेणी के करदाताओं को फायदा होगा और देश में  न्यूनतम सरकार अधिकतम शासन से पैदा हुए माहौल से व्यवसाय करने में सुविधा होगी। (भाषा)

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