भारत अंतरिक्ष में एक बार फिर इतिहास रचने को तैयार है। चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) को 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे लॉन्च किया जाएगा। हालांकि चन्द्रयान-1 की सफलता और चन्द्रयान- 2 की असफलता के बाद अब सबकी नजरें चन्द्रयान- 3 पर हैं। भारत पर 90 सेकंड्स भारी बड़े थे जब चन्द्रयान-2 सफल नहीं हो पाया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इस मून मिशन के गवाह के तौर पर मौजूद थे। मिशन की असफलता के बाद इसरो प्रमुख सिवन भावुक हो गए थे और उन्हें पीएम मोदी ने गले लगाकर सांत्वना दी थी।
चन्द्रयान-2 मिशन को 22 जुलाई 2019 को लॉन्च किया गया था। चंद्रयान-2 ने 48 दिन में 30,844 लाख किलोमीटर की यात्रा की थी। मिशन पर 978 करोड़ रुपए का खर्च आया था। चंद्रयान-2 के बाद इस मिशन को चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग के लिए भेजा जा रहा है।
90 सेकंड पहले टूटा संपर्क : चन्द्रयान-2 मिशन आखिरी चरण में विफल हो गया था। चांद की सतह पर उतरने के सिर्फ 90 सेकंड पहले विक्रम से संपर्क टूट जाने से मिशन चंद्रयान-2 असफल हो गया। उसका लैंडर पृथ्वी की सतह से झटके के साथ टकराया था। इसके बाद पृथ्वी के नियंत्रण कक्ष से उसका संपर्क टूट गया था। चंद्रयान-3 को उसी अधूरे मिशन को पूरा करने के लिए भेजा जा रहा है।
जब विक्रम लैंडर अपने निर्धारित पथ से झुका तो वैज्ञानिक मूक दर्शक बने रहने के अलावा कुछ नहीं कर सके। इसरो अधिकारियों के मुताबिक, लैंडर की गति चार चरणों में 6000 किमी प्रति घंटे से 0 किमी प्रति घंटे तक धीमी होनी थी, लेकिन लैंडर के टचडाउन से कुछ मिनट पहले ही अंतरिक्ष एजेंसी का उससे संपर्क टूट गया।
चन्द्रयान 2 में हुआ यह सुधार : चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का ही अगला चरण है, जो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और परीक्षण करेगा। यह चंद्रयान-2 की तरह ही दिखेगा, जिसमें एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर होगा। चंद्रयान-3 का फोकस चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंड करने पर है। मिशन की सफलता के लिए नए उपकरण बनाए गए हैं। एल्गोरिदम को बेहतर किया गया है। जिन वजहों से चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतह पर उतरने में असफल हुआ, उन पर फोकस किया गया है। Edited By : Sudhir Sharma