Trump tariff on India : डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर लगाया 25 प्रतिशत टैरिफ, क्या बोली मोदी सरकार

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

बुधवार, 30 जुलाई 2025 (22:44 IST)
Trump tariff on India : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर दोनों देशों के बीच जारी बातचीत में कुछ गतिरोध के संकेतों के बीच बुधवार को भारत पर एक अगस्त से 25 प्रतिशत शुल्क लगाने का ऐलान किया है। इसके अलावा, ट्रंप ने रूस से सैन्य उपकरण और कच्चा तेल खरीदने के लिए अतिरिक्त जुर्माना लगाने का भी फैसला किया। इस पर मोदी सरकार का बयान सामने आया है। सरकार ने बुधवार को कहा कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय उत्पादों पर एक अगस्त से 25 प्रतिशत शुल्क और जुर्माना लगाने की घोषणा के प्रभाव का अध्ययन कर रही है।
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हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि 25 प्रतिशत का शुल्क मौजूदा 10 प्रतिशत के मूल शुल्क के अतिरिक्त होगा या नहीं। वर्तमान में 10 प्रतिशत शुल्क अधिकांश भारतीय वस्तुओं पर लागू है, जिसकी घोषणा ट्रंप ने 2  अप्रैल को सभी देशों पर की थी। इस समय जुर्माने की सही मात्रा भी स्पष्ट नहीं है।
 
एक आधिकारिक बयान के अनुसार कि सरकार ने द्विपक्षीय व्यापार को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान पर ध्यान दिया है। सरकार इसके प्रभाव का अध्ययन कर रही है। भारत और अमेरिका पिछले कुछ महीनों से एक निष्पक्ष, संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर बातचीत कर रहे हैं। बयान के अनुसार, “हम अब भी उस उद्देश्य के प्रति प्रतिबद्ध हैं।”
 
सरकार ने बयान में कहा कि हम किसानों, उद्यमियों और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के कल्याण और संवर्धन को सर्वोच्च महत्व देते हैं। सरकार अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगी, जैसा कि ब्रिटेन के साथ हुए हालिया व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (सीईटीए) सहित अन्य व्यापार समझौतों के मामले में किया गया है।
 
निर्यात के इन क्षेत्रों पर लागू होंगे
ट्रंप के द्वारा ऐलान किए गए नए टैरिफ प्लान भारत के कई बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले निर्यात क्षेत्रों पर लागू होंगे। ऑटोमोबाइल, ऑटो कंपोनेंट, स्टील, एल्युमीनियम, स्मार्टफोन, सोलर मॉड्यूल, समुद्री उत्पाद, रत्न-भूषण, और चुनिंदा प्रसंस्कृत खाद्य और कृषि उत्पाद सभी 25 फीसदी टैरिफ की लिस्ट में शामिल हैं। हालांकि फार्मास्यूटिकल्स, सेमीकंडक्टर और महत्वपूर्ण खनिजों को इससे बाहर रखा गया है। 
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व्यापार नीतियां सबसे कठिन और अप्रिय
यह आश्चर्यजनक घोषणा ऐसे समय में की गई है जब एक दिन पहले ही भारतीय अधिकारियों ने कहा था कि एक अमेरिकी व्यापार दल व्यापार समझौते पर बातचीत करने के लिए 25 अगस्त से भारत का दौरा करेगा। इस घोषणा को भारत पर अमेरिका की मांगों को मानने के लिए दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है, जिसने हाल ही में जापान, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ (ईयू) जैसे प्रमुख साझेदारों के साथ अनुकूल व्यापार समझौते किए हैं। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में भारत की व्यापार नीतियों को ‘सबसे कठिन और अप्रिय’ बताया।
 
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, “सब कुछ ठीक नहीं है! इसलिए भारत को एक अगस्त से 25 प्रतिशत शुल्क और रूस से खरीद को लेकर ‘जुर्माना’ भी देना होगा।” यह जुर्माना इसलिए लगाया गया क्योंकि भारत ने रूस से तेल और सैन्य उपकरणों की बड़ी खरीद की है। रूस से भारत का कच्चा तेल आयात रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले कुल खरीद का 0.2 प्रतिशत था, जो अब बढ़कर 35-40 प्रतिशत हो गया है। चीन के बाद, रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार भारत है।
 
भारत को बताया मित्र
हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया पोस्ट में भारत को अपना ‘मित्र’ बताया। उन्होंने कहा, “भारत हमारा मित्र है, लेकिन हमने पिछले कई वर्षों में उनके साथ अपेक्षाकृत कम व्यापार किया है, क्योंकि उनके शुल्क बहुत अधिक हैं, जो दुनिया में ‘सबसे अधिक’ हैं। उनके पास ‘सबसे कठोर और अप्रिय’ गैर-मौद्रिक व्यापार बाधाएं हैं।” उन्होंने कहा कि इसके अलावा, भारत ने रूस से अपने सैन्य उपकरण और ऊर्जा उत्पाद तब खरीदे है जब हर कोई चाहता है कि रूस, यूक्रेन में हत्याएं बंद करे।
 
भारत के प्रमुख व्यापारिक प्रतिस्पर्धियों में, अमेरिका ने वियतनाम (20 प्रतिशत) और मलेशिया (25 प्रतिशत) पर कम शुल्क लगाया है, लेकिन बांग्लादेश (35 प्रतिशत) और थाइलैंड (36 प्रतिशत) पर अधिक शुल्क लगाया है। इस साल दो अप्रैल को, ट्रंप ने भारत सहित कई देशों पर उच्च जवाबी शुल्क (26 प्रतिशत) लगाने की घोषणा की। उच्च शुल्कों के कार्यान्वयन को तुरंत 90 दिन के लिए नौ जुलाई तक और फिर एक अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया गया था, क्योंकि अमेरिका विभिन्न देशों के साथ व्यापार समझौतों पर बातचीत कर रहा है। हालांकि, 10 प्रतिशत का मूल शुल्क अब भी लागू है। इसके अलावा, अमेरिका ने इस्पात और एल्युमीनियम पर 50 प्रतिशत और वाहन क्षेत्र पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाया है।
 
इस बीच, प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत जारी है क्योंकि अमेरिका का एक दल छठे दौर की वार्ता के लिए 25 अगस्त को नयी दिल्ली आ रहा है। दोनों देशों के शीर्ष अधिकारियों ने हाल ही में वाशिंगटन में पांचवें दौर की वार्ता पूरी की।
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2021-25 के दौरान सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार
भारत के मुख्य वार्ताकार और वाणिज्य विभाग में विशेष सचिव राजेश अग्रवाल और दक्षिण एवं मध्य एशिया के लिए सहायक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच ने विचार-विमर्श किया। अमेरिका 2021-25 के दौरान भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। भारत के कुल वस्तु निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी लगभग 18 प्रतिशत, आयात में 6.22 प्रतिशत और द्विपक्षीय व्यापार में 10.73 प्रतिशत है। वित्त वर्ष 2023-24 में अमेरिका के साथ भारत का वस्तुओं में व्यापार अधिशेष (आयात और निर्यात का अंतर) 35.32 अरब डॉलर था। वित्त वर्ष 2024-25 में यह 41 अरब डॉलर और 2022-23 में 27.7 अरब डॉलर था।
 
वित्त वर्ष 2024-25 में, भारत और अमेरिका के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार 186 अरब डॉलर तक पहुंच गया। भारत ने 86.5 अरब डॉलर का निर्यात किया जबकि 45.3 अरब डॉलर का आयात किया। सेवा क्षेत्र में भारत का निर्यात 28.7 अरब डॉलर और आयात 25.5 अरब डॉलर रहा, जिसमें अमेरिका का व्यापार अधिशेष 44.4 अरब डॉलर का रहा। कुल मिलाकर, भारत का अमेरिका के साथ कुल व्यापार अधिशेष लगभग 44.4 अरब डॉलर रहा।
 
साल 2024 में अमेरिका को भारत के मुख्य निर्यात में औषधि निर्माण और जैविक (8.1 अरब डॉलर), दूरसंचार उपकरण (6.5 अरब डॉलर), कीमती और अर्ध-कीमती पत्थर (5.3 अरब डॉलर), पेट्रोलियम उत्पाद (4.1 अरब डॉलर), वाहन और वाहन कलपुर्जा (2.8 अरब डॉलर), सोना और अन्य कीमती धातु के आभूषण (3.2 अरब डॉलर), सहायक उपकरण सहित सूती तैयार वस्त्र (2.8 अरब डॉलर), और लोहा और इस्पात के उत्पाद (2.7 अरब डॉलर) शामिल हैं।
 
आयात में कच्चा तेल (4.5 अरब डॉलर), पेट्रोलियम उत्पाद (3.6 अरब डॉलर), कोयला, कोक (3.4 अरब डॉलर), कटे और पॉलिश किए हुए हीरे (2.6 अरब डॉलर), इलेक्ट्रिक मशीनरी (1.4 अरब डॉलर), विमान, अंतरिक्ष यान और उसके पुर्जे (1.3 अरब डॉलर) और सोना (1.3 अरब डॉलर) शामिल थे।



भारत की स्थिति गंभीर नहीं 
शोध संस्थान जीटीआरआई ने बुधवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत शुल्क और जुर्माना लगाने की घोषणा भले ही गंभीर लग रही हो, लेकिन भारत की स्थिति अमेरिका के साथ व्यापार समझौते करने वाले देशों से ज्यादा खराब नहीं है।
 
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, जापान, इंडोनेशिया और वियतनाम अब उच्च शुल्क का सामना कर रहे हैं और बदले में उन्होंने काफी रियायतें दी हैं। इन रियायतों में अमेरिकी कृषि उत्पादों पर शून्य शुल्क, बड़े पैमाने पर निवेश के वादे और अमेरिकी तेल, गैस और हथियारों की खरीद शामिल हैं। जबकि भारत ने ऐसी कोई रियायत नहीं दी है।
 
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि हालांकि, ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत शुल्क और जुर्माना लगाने की घोषणा कठोर लग सकती है, लेकिन करीब से देखने पर पता चलता है कि भारत की स्थिति अमेरिका के साथ समझौते करने वाले देशों से ज्यादा खराब नहीं है।
 
उन्होंने कहा कि भारत इस समझौते से पीछे नहीं हटा और उसने सच्चे इरादे के साथ बातचीत की, लेकिन 70 करोड़ से ज्यादा लोगों की आजीविका वाले कृषि क्षेत्र में किसी भी तरह से रियायत देने से इनकार कर दिया। श्रीवास्तव ने कहा कि ट्रंप ने भारत पर शुल्क लगाने को लेकर व्यापार बाधा और रूस के साथ संबंधों को लेकर जो तर्क दिये हैं, उसका कोई मतलब नहीं है।
 
उन्होंने कहा कि भारत के शुल्क विश्व व्यापार संगठन के अनुरूप हैं, गैर-शुल्क बाधाएं वैश्विक स्तर पर आम हैं और रियायती रूसी तेल ने वैश्विक अस्थिरता के दौरान भारत को मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद की है।
 
श्रीवास्तव ने कहा कि भारत अकेला नहीं है। 90 से ज्यादा देश इसी तरह के अमेरिकी दबाव का सामना कर रहे हैं। अब भी समझौता हो सकता है, लेकिन केवल उचित शर्तों पर। फिलहाल, भारत के सैद्धांतिक रुख ने एकतरफा समझौते के जाल को टाल दिया है और यह एक सफलता है।
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विपक्ष बोला- डोनाल्ड ट्रंप के सामने खड़े हों मोदी
विपक्षी दलों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25 प्रतिशत से अधिक शुल्क लगाने की घोषणा किए जाने के बाद बुधवार को कहा कि अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देश को बताना चाहिए कि अमेरिका ने यह एकतरफा निर्णय क्यों लिया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कटाक्ष किया कि अब ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा की गई एक-दूसरे की तारीफ का कोई मतलब नहीं रह गया है।
 
रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत से आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क और जुर्माना लगा दिया है। उनके और ‘हाउडी मोदी’ के बीच हुई इस सारी तारीफ़ का कोई मतलब नहीं रह गया है।’’
 
उन्होंने कहा कि मोदी जी ने सोचा था कि अगर वह अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा भारत के लिए कहे गए अपमानजनक शब्दों पर चुप रहे, तो राष्ट्रपति ट्रंप के हाथों भारत को विशेष दर्जा मिलेगा। ज़ाहिर है कि ऐसा नहीं हुआ है। ट्रंप ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ रोकने के दावे 30 बार किए, पहलगाम हमले का मंसूबा बनाने वाले पाकिस्तानी सेना प्रमुख को विशेष भोज दिया और आईएमएफ तथा विश्व बैंक से पाकिस्तान को वित्तीय पैकेज के लिए अमेरिकी समर्थन प्रदान किया। रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को इंदिरा गांधी से प्रेरणा लेनी चाहिए और अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने खड़ा होना चाहिए।
 
अमे‍रिका की ओर से क्यों आया एकतरफा फैसला
शिवसेना (उबाठा) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा,  कि प्रधानमंत्री मोदी लगातार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संपर्क में थे। हमें उम्मीद थी कि जल्द ही एक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर हो जाएंगे। हालांकि, लगभग 30 बार भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष-विराम में मध्यस्थता का दावा करने के बाद, ट्रंप ने अचानक भारत के व्यापार पर शुल्क और जुर्माना लगा दिया है। अब प्रधानमंत्री को यह बताना चाहिए कि अमेरिका की ओर से ऐसा एकतरफा फैसला क्यों आया है। 
 
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता मनोज झा ने कहा, ‘‘हम इस बात से खुश नहीं हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में ऐसा हुआ है। इस मुद्दे पर हम एकजुट हैं। हम चाहते हैं कि हमारी सरकार उन कमियों को स्वीकार करे, जिनके कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है।’’ उन्होंने कहा कि सरकार को सभी को विश्वास में लेना चाहिए और अमेरिकी राष्ट्रपति को यह बताना चाहिए कि भारत एक मजबूत और संप्रभु राष्ट्र बना रहेगा।
 
ट्रंप ने अचानक क्यों उठाया यह कदम 
माकपा सांसद जॉन ब्रिटास ने कहा कि यह चौंकाने वाला है, क्योंकि सरकार यह आश्वासन दे रही थी कि अमेरिका और भारत के बीच एक निष्पक्ष समझौता होगा। अब अचानक डोनाल्ड ट्रंप ने यह कदम उठाया है। दिलचस्प बात यह है कि हम पहले से ही 'ऑपरेशन सिंदूर' के संबंध में डोनाल्ड ट्रंप के खराब व्यवहार पर चर्चा कर रहे हैं। इसके अलावा, उन्होंने जुर्माना भी लगाया है।’’
 
देश का अपमान कर रहे हैं डोनाल्ड ट्रंप 
आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह ने दावा किया कि डोनाल्ड ट्रंप हर दिन भारत का मज़ाक उड़ा रहे हैं और देश को अपमानित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने (पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष) आसिम मुनीर और (आईएसआई महानिदेशक) आसिम मलिक को दोपहर के भोजन पर आमंत्रित किया। ट्रंप ने यहां तक कहा कि वह पाकिस्तान से प्रेम करते हैं। मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री को इस कदम का कड़ा विरोध करना चाहिए और भारत के लिए एक मजबूत रणनीति बनानी चाहिए। इनपुट भाषा Edited by : Sudhir Sharma

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