Chhath puja : हिंदू धर्म में छठ पूजा का बहुत महत्व है। छठ पर्व साल में 2 बार मनाया जाता है। एक छठ चैत्र के मास में और दूसरा छठ कार्तिक मास में मनाया जाता है। कार्तिक महीने का छठ का पर्व का सर्वाधिक महत्व माना गया है। यह पर्व उत्तर भारत, बिहार, यूपी और झारखंड में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस बार छठ महापर्व 05 नवंबर से 08 नवंबर 2024 तक मनाया जाएगा। बता दें कि आज से नहाय खाय से छठ महापर्व हुआ शुरू हो गया है। जानते हैं यहां पूजन सामग्री और छठी मैया और सूर्यदेव के पूजन की विधि...
Highlights
नहाय खाय से छठ महापर्व हुआ शुरू
छठ पूजा की विधि जानें।
कैसे करें छठ पर सूर्य देव का पूजन।
सूर्य देव की पूजा कैसे करें :
• छठ पर्व के दिनों में भगवान सूर्य नारायण को भी अर्घ्य देने की एक विधि होती है।
• सूर्य अर्घ्य के लिए तांबे के लोटे में जल लेकर जल को सूर्य के समक्ष अर्पित करते हैं।
• इसमें एक बांस के सूप में केला एवं अन्य फल, अलोना प्रसाद, ईख आदि रखकर उसे पीले वस्त्र से ढंक दें।
• तत्पश्चात दीप जलाकर सूप में रखें।
• फिर सूप को दोनों हाथों में लेकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए 3 बार अस्त होते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
• मंत्र : ॐ एहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते। अनुकम्पया मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर:॥
• छठ के चार दिनों तक शुद्ध शाकाहारी भोजन किया जाता है, दूसरे दिन खरना का कार्यक्रम होता है, तीसरे दिन भगवान सूर्य को संध्या अर्घ्य दिया जाता है और चौथे दिन भक्त उदियमान सूर्य को उषा अर्घ्य देते हैं।
• इस पर्व में पहले दिन घर की साफ सफाई की जाती है।
• छठ के दिन सूर्योदय में उठना चाहिए।
• पर्व से दो दिन पूर्व चतुर्थी पर स्नानादि से निवृत्त होकर भोजन किया जाता है।
• पंचमी को उपवास करके संध्याकाल में किसी तालाब या नदी में स्नान करके सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है।
• तत्पश्चात अलोना (बिना नमक का) भोजन किया जाता है।
• षष्ठी के दिन प्रात:काल स्नानादि के बाद संकल्प लिया जाता है।
• संकल्प लेते समय इस मंत्रों का उच्चारण किया जाता है-
• मंत्र : ॐ अद्य अमुक गोत्रो अमुक नामाहं मम सर्व पापनक्षयपूर्वक शरीरारोग्यार्थ श्री सूर्यनारायणदेवप्रसन्नार्थ श्री सूर्यषष्ठीव्रत करिष्ये।
• पूरा दिन निराहार और निर्जल रहकर पुनः नदी या तालाब पर जाकर स्नान किया जाता है और सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है।
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