सरकार के इस फैसले का लाभ प्रदेश के सात जिलों के 9 माडा क्षेत्र के 1080 गांवों को मिलेगा। इन विशेष माडा क्षेत्र में अनुसूचित जन जाति बाहुल्य वाली विशेष पिछड़ी जाति बैगा और कमार समुदाय के लोग रहते हैं, जो कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी वोट बैंक में बड़ा रोल अदा करते हैं।
आदिवासी बनाते हैं सरकार : सूबे की सियासत में यह माना जाता है कि चुनाव में जिसके साथ आदिवासी होता है, वही दल सरकार बनाता है। इसके पीछे आदिवासियों को तगड़ा और बड़ा वोट बैंक है। छत्तीसगढ़ विधानसभा की 90 सीटों में से 29 सीटें आदिवासियों के लिए रिजर्व है।
अगर आदिवासियों की पचास फीसदी आबादी वाली माडा क्षेत्र की बात करें तो सूबे में ऐसी सीटों की संख्या 14 है, जहां आदिवासी पचास फीसदी से अधिक संख्या में है। 2013 के विधानसभा चुनाव में इन 14 सीटों में से कांग्रेस को 8 और भाजपा को 6 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। ऐसे में इस बार भाजपा जब पहले से ही एंटी इनकमबेंसी फैक्टर से जूझ रही है तो आदिवासी वोट बैंक को रिझाने के लिए मुख्यमंत्री रमनसिंह कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं।