आरएसएस विचारक ने कहा, अंतिम प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा कोविड-19 संकट के बाद सितंबर में या अक्टूबर में होने की उम्मीद है।उन्होंने कहा, यूरोपीय देश और अमेरिका घाटे को भरने के लिए मुद्रा की छपाई कर रहे हैं, जबकि भारत के लिए ऐसा करने की बहुत कम गुंजाइश है।गुरुमूर्ति ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने अभी तक घाटे के मौद्रीकरण (नोट छापने) के विकल्प पर कोई विचार नहीं किया है।
घाटे के मौद्रीकरण के तहत केंद्रीय बैंक सरकार की खर्च जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकारी बांड खरीदा है और बदले में अपनी निधि से या नए नोट छापकर सरकार को धनराशि देता है। उन्होंने कहा, भारत कई तरह की समस्याओं का सामना कर रहा है। सरकार ने एक अप्रैल से 15 मई तक जन-धन बैंक खातों में 16,000 करोड़ रुपए जमा किए हैं।
उन्होंने कहा, आश्चर्य की बात है कि उन खातों से बहुत कम धन निकाला गया है। इससे पता चलता है कि संकट का स्तर उतना अधिक नहीं है।उन्होंने कहा कि कोविड संकट के बाद के युग में दुनिया बहुपक्षीयवाद से द्विपक्षीयवाद में बदल जाएगी और भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से वापसी करेगी।(भाषा)