कोरोना के लक्षणों में सूंघने की ताकत खो देना एक महत्वपूर्ण पहलू है। ऐसे में डॉक्टरों की एक टीम ने इस लक्षण पर गहराई से काम किया है। आइए जानते हैं कोरोना के मरीज क्यों खो देते हैं सूंघने की क्षमता।
शोधकर्ताओं की एक टीम ने सर्जरी के दौरान मरीजों की नाक से निकाले गए टिशु का अध्ययन करने के बाद पाया कि कोरोना से संक्रमित होने से मरीज सूंघने की क्षमता खो देते हैं, भले ही उन्हें कोई अन्य लक्षण न हों।
शोधकर्ताओं की एक टीम ने सर्जरी के दौरान मरीजों की नाक से निकाले गए टिशु का अध्ययन करने के बाद पाया कि कोरोना से संक्रमित होने से मरीज सूंघने की क्षमता खो देते हैं, भले ही उन्हें कोई अन्य लक्षण न हों। अपने प्रयोगों में, शोधकर्ताओं ने पाया कि नाक का जो हिस्सा सूंघने में मदद करता है वहां angiotensin-converting enzyme II (ACE-2) का स्तर काफी ज्यादा था।
इस एंजाइम को कोरोना संक्रमण के लिए "प्रवेश बिंदु" माना जाता है। जहां से कोरोनो वायरस शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करता है और संक्रमण फैलता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि यूरोपीय रेस्पिरेटरी जर्नल में प्रकाशित उनका शोध बताता है कि कोरोना इतना संक्रामक क्यों है? साथ ही सुझाव देता है कि शरीर के इस हिस्से को लक्षित करके महामारी के उपचार के दूसरे तरीके भी खोजे जा सकते हैं। यह अध्ययन प्रोफेसर एंड्रयू पी लेन और डॉ मेंगफी चेन ने किया है।
प्रोफेसर लेन के मुताबिक, ‘मैं नाक और साइनस की समस्याओं का विशेषज्ञ हूं, इसलिए कोरोना में सूंघने की क्षमता का नुकसान मेरे अध्ययन का विषय बना। जबकि अन्य श्वसन वायरस आमतौर पर वायुप्रवाह में बाधा के माध्यम से सूंघने की क्षमता को नुकसान पहुंचाते हैं। कोविड कभी-कभी अन्य लक्षणों की अनुपस्थिति में सूंघ न सकने का कारण बनता है’
टीम ने 23 रोगियों के नाक के टिशु के सैंपल का उपयोग किया। उन्होंने सात रोगियों के विंडपाइप का भी अध्ययन किया। इनमें से कोई भी मरीज कोरोनावायरस से संक्रमित नहीं था।