जम्मू। जम्मू कश्मीर में 35 प्रतिशत कोरोनावायरस (Coronavirus) मरीज वैष्णोदेवी आने वाले श्रद्धालु तथा अन्य टूरिस्ट हैं। यही दशा लद्दाख में भी है, पर इस सच्चाई को स्वीकार करने के बावजूद दोनों प्रशासन न ही वैष्णोदेवी की यात्रा को बंद करने को राजी हैं और न ही टूरिस्टों पर कोई रोक लगाने को। यह सब इस सोच के साथ किया जा रहा है कि लोगों की रोजी्-रोटी चलती रहे, पर अब स्थानीय लोग सरकार के इस फैसने के विरोध में स्वर बुलंद करने लगे हैं।
इसे आधिकारिक तौर पर माना गया है कि जम्मू कश्मीर में कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों का एक बड़ा कारण बाहर से आने वाले यात्री और सैलानी हैं। प्रदेश सरकार ने यह जानकारी केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला की अध्यक्षता में कोविड-19 प्रबंधन पर हुई एक बैठक में खुद दी है। केंद्र शासित लद्दाख ने भी कोरोना संकट के लिए बाहर से आने वालों को जिम्मेदार ठहराया है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि जम्मू कश्मीर में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर और कोरोनावायरस का जो नया स्ट्रेन है, सैलानियों के जरिए ही पहुंचा है। कश्मीर में फरवरी से पर्यटकों की आमद लगातार बढ़ रही थी जो बीते चंद दिनों में घटी है। उसका असर भी कोरोना संक्रमित यात्रियों की संख्या में कमी में साफ झलकता है।
सूत्रों ने बताया कि केंद्र शासित जम्मू कश्मीर और केंद्र शासित लद्दाख प्रदेश के अधिकारियों ने भी माना है कि कोरोना संक्रमण के मामले बाहर से आने वाले यात्रियों के कारण ही ज्यादा तेजी से बढ़े है। स्थिति पर काबू पाने के लिए रात्रिकालीन कर्फ्यू को सहारा लेने के अलावा बाजारों के खुलने के समय की अवधि को भी घटाया गया है। यात्री वाहनों में सवारियों की संख्या को घटाया गया है। पर टूरिस्टों और श्रद्धालुओं के आने पर कोई रोक नहीं लगाई गई है।