कोरोना संकट से जूझ रहे मध्यप्रदेश में अब विधानसभा उपचुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी किलेबंदी मजबूत करने के साथ उम्मीदवारों के नामों को लेकर मंथन तेज कर दिया है।
कोरोना काल में मध्यप्रदेश देश में पहला राज्य होगा जहां पर कोई चुनाव होंगे। उपचुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने अपनी तैयारियां भी शुरु कर दी है, लेकिन इन सबके बीच सवाल यहीं बना हुआ है कि अभी जब कोरोना का संक्रमण लगातार फैल रहा है तो क्या उपचुनाव समय पर होंगे और अगर होंगे तो कैसे होंगे। इन चुनाव में चुनाव आयोग क्या कोई नया मॉडल अपनाएगा ये भी सवाल सबके जेहन में उठ रहा है।
वेबदुनिया ने देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत से मध्यप्रदेश में होने वाले उपचुनाव पर खास बातचीत की। वेबदुनिया से बातचीत में ओपी रावत कहते हैं कि मध्यप्रदेश में 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव समय से और कानून सम्मत तरीके से होना चाहिए।
कोरोना के संबंध कुछ सावधानी जरूरी है,पिछले 60 दिन के जो अनुभव सामने आए है उनको बरतते हुए चुनाव कराना चाहिए। कोरोना के संबंध में जो सावधानी बरतनी है उसके बारे में सारे राजनीतिक दलों से सलाह मशविरा कर जो भी सर्वसम्मत हल निकले उसके अनुसार उन सावधानी को बरतने के लिए गाइडलाइंस बना देनी चाहिए।
उपचुनाव में साउथ कोरिया के मॉडल को अपनाएं - कोरोना के समय चुनाव कैसे कराया जा सकेगा वेबदुनिया के इस सवाल पर पूर्व मुख्य चुनाव चुनाव आयुक्त ओपी रावत कहते हैं कि साउथ कोरिया ने बहुत बढ़िया टैम्पेलेट रख दिया है, साउथ कोरिया ने अपनी संसद का चुनाव 15 अप्रैल को कराया और वहां रिकॉर्ड 66.2 फीसदी वोटिंग हुई और कोरोना उस समय पीक पर था।
ऐसे में नई डिस्कवरिंग ऑफ यूनिट करने के बजाय उसको देख लिया जाए और उसमें जो सावधानी और प्रोविजन किए गए है, उनको करके बाय इलेक्शन करा सकते है और बाय इलेक्शन में जो अनुभव है और जो गलतियां दिखे उनको सुधार करके फिर बड़े इलेक्शन करा सकते है।
चुनाव प्रचार पर क्या पड़ेगा असर ? – कोरोना काल में अगर चुनाव होते है तो चुनाव में सियासी दलों की बड़ी- बड़ी रैलियां कैसे होगी और कोरोना का चुनाव प्रकिया पर क्या असर पड़ेगा वेबदुनिया के इस सवाल पर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत कहते हैं कि इसके लिए चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों से मशिवरा करके, क्योंकि उनको ही प्रचार करना है, उनको ही वोटरों तक पहुंचना है ऐसे में उनसे मशविरा करके कि ऐसे में आप क्या करना चाहोगे, किस तरह करना चाहोगे और क्या-क्या परिवर्तन लाने की जरूरत है।
उसके बारे में सारे राजनीतिक दलों को विश्वास में लेकर जो भी इनोवेटिव तरीका निकले और जिससे कोरोना से बचाव भी हो और आम जनता तक पहुंचने का प्रभावी काम भी हो दोनों को सामने रखते हुए व्यवस्था बनाई जा सकती है।
क्या समय पर होंगे उपचुनाव ? : कोरोना संकट काल में मध्यप्रदेश में उपचुनाव क्या समय हो पाएंगे वेबदुनिया के सवाल पर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त कहते हैं कि चुनाव के नोटिफिकेशिन से काउटिंग होने तक पूरा लगभग 45 दिन का समय लगता है।
मध्यप्रदेश में जो 24 उपचुनाव होने है उसमें एक उपचुनाव तो 21 जून से पहले और एक 22 जुलाई से पहले होना है और 22 सीटों पर उपचुनाव सितंबर से पहले होने है इन तीनों तारीखों को देखते हुए उपचुनाव होना तो संभव है लेकिन निर्भर करता है कि इलेक्शन कमीशन किस तरह इसको प्लान करता है, किस तरह नोटिफाइड करता है। ऐसे में विधानसभा उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग को जुलाई तीसरे या चौथे हफ्ते में चुनाव प्रकिया शुरु कर सकता है।
क्या है साउथ कोरिया मॉडल – कोरोना काल के समय साउथ कोरिया में 15 अप्रैल को हुए चुनाव में करोड़ों लोगों ने हिस्सा लिया। चुनाव में लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए साउथ कोरिया ने लोगों को बड़ी मात्रा में मास्क, ग्वलज,हैंड सैनेटाइजर दिए ताकि लोग सावधानी से अपना वोट डाल सके। इसके साथ ही पोलिंग बूथ पर तैनात कर्मचारियों को पीपीई किट, फेस प्रोटेक्शन,मास्क और मेडकिल ग्लव्ज दिए गए।
इसके साथ पोलिंग बूथ के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए हर वोटर की थर्मल स्क्रेनिंग की गई। जिस भी वोटर का टेंपेचेर ज्यादा पाया गया उसे अलग कर विशेष बिल्डिंग्स में उनका वोट डलवाया गया। इसके साथ अस्पतालों के बाहर भी पोलिंग बूथ बनाए गए जिससे संक्रमित लोग भी वोट डाल सके।