Covid-19 : विशेषज्ञों की चेतावनी, सितंबर मध्य तक भारत के गांवों में Coronavirus ले सकता है विकराल रूप
शनिवार, 18 जुलाई 2020 (18:12 IST)
बेंगलुरु। भारत में कोविड-19 (Covid-19) के मामले मध्य सितंबर में चरम पर पहुंच सकते हैं और अब मुख्य कार्य इस वायरस को खासतौर पर गांवों में फैलने से रोकने का होना चाहिए, जहां देश की दो-तिहाई आबादी रहती है। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रो. के. श्रीनाथ रेड्डी ने शनिवार को यह कहा।
हालांकि उन्होंने पीटीआई से बात करते यह चिंता भी जताई कि वायरस कहीं अधिक तेजी से फैल रहा है। भारत में इस सप्ताह की शुरुआत में संक्रमण के मामले 10 लाख के आंकड़े को पार कर गए और इस महामारी से मरने वाले लोगों की संख्या 25,000 से अधिक हो गई है।
जनस्वास्थ्य विशेषज्ञ ने कहा कि हम इसे इस स्तर पर पहुंचने से रोक सकते थे, लेकिन अभी भी हम अपनी सर्वश्रेष्ठ कोशिश कर सकते हैं और इसके प्रसार को यथाशीघ्र रोक सकते हैं।
रेड्डी ने कोविड-19 के मामले बढ़ने के बारे में कहा कि अलग-अलग स्थानों (राज्यों) में संक्रमण के अपने चरम पर पहुंचने का समय अलग-अलग होगा।
यह पूछे जाने पर क्या वे इस बारे में आश्वस्त हैं कि मामले दो महीने में अपने चरम पर होंगे, उन्होंने कहा कि जो कुछ किए जाने की जरूरत है, उसे यदि हर कोई करता है तो...। उन्होंने यह भी कहा कि यह लोगों के व्यवहार और सरकार के कदमों पर निर्भर करता है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में हृदय रोग विभागाध्यक्ष रह चुके रेड्डी ने कहा कि दूसरे चरण के लॉकडाउन तक नियंत्रण के उपाय बहुत सख्त थे, क्योंकि भारत ने वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने की कोशिश की।
उन्होंने कहा कि लेकिन 3 मई के बाद जब पाबंदियों में छूट देना शुरू किया गया तब घर-घर जाकर सर्वेक्षण करना, शीघ्र जांच करना और संक्रमितों को पृथक रखना तथा संक्रमित मरीजों के संपर्क में आए लोगों का जोर-शोर से पता लगाना सहित अन्य उपाय बरकरार रखे जाने चाहिए थे।
उनके मुताबिक वे सभी एहतियात...जनस्वास्थ्य उपाय, सार्वजनिक स्थानों पर व्यवहार संबंधी व्यक्तिगत एहतियाती उपाय, तब से नजरअंदाज किए जाने लगे और लॉकडाउन पूरी तरह से हटने के बाद वे और अधिक नजरअंदाज कर दिए गए।
उन्होंने कहा कि यह ऐसा नजर आया कि ‘हम अचानक ही आजाद हो गए हैं।’जैसे कि स्कूली परीक्षाओं के बाद छात्रों का जश्न मनाया जाना भले ही परिणाम आने में कुछ महीने की देर हो। डॉ. रेड्डी अभी हावर्ड में अध्यापन कार्य से जुड़े हुए हैं।
उन्होंने कहा कि हमने बहुत अधिक समय अस्पतालों में बिस्तरों की उपलब्धता पर बिताया...यह भी जरूरी था, लेकिन संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने का पूरा कार्य पुलिसकर्मियों पर छोड़ दिया गया जबकि इसे जनस्वास्थ्य कार्य के रूप में नहीं देखा गया।
डॉ. रेड्डी ने कहा कि संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों का कहीं अधिक तत्परता से पता लगाया जाना, कोविड-19 के लक्षणों वाले लोगों का घर-घर जाकर पता लगाना, उनकी शीघ्रता से जांच कराने...ये सभी उपाय कहीं और अधिक किए जा सकते थे।
उन्होंने कहा कि हमारा मुख्य कार्य अब वायरस को ग्रामीण इलाकों में फैलने से रोकने का होना चाहिए। छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों को अवश्य ही यथासंभव बचाना चाहिए, खासतौर पर ग्रामीण इलाकों को क्योंकि वहां दो-तिहाई भारत रहता है। यदि हम इसे रोक सकें तो हम अभी भी नुकसान को टाल सकते हैं। (भाषा)