जानिए, लॉकडाउन के बाद सूरज की किरणों से होने वाली क्षति से कैसे बचें...

Webdunia
शनिवार, 15 मई 2021 (21:03 IST)
लंदन। सर्दियों का मौसम लॉकडाउन में बिताने के बाद और पूरे ब्रिटेन में कोरोनावायरस (Coronavirus) प्रतिबंधों को हटाने की शुरूआत होने के साथ कई लोग इस गर्मी में अच्छे मौसम की उम्मीद कर रहे होंगे। विदेश यात्रा पर प्रतिबंध का मतलब है कि पहले से कहीं अधिक लोग अपनी गर्मी की छुट्टियों के लिए ब्रिटेन में रहने की योजना बना रहे हैं।

इस बदलाव के साथ अब हमारा सामाजिक जीवन अधिकतर समय घर से बाहर व्यतीत होगा। ऐसे में यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि ब्रिटेन में लोग महीनों बाद घरों से बाहर निकलने पर सूर्य की किरणों से पैदा होने वाले जोखिमों को कम न समझें।

सूरज की वजह से त्वचा को होने वाला नुकसान, त्वचा कैंसर और त्वचा पर उम्र से पहले झुर्रियां पड़ने से जुड़ा है। दोनों मामलों में अपराधी पराबैंगनी विकिरण (यूवी) है। यूवी मानव आंखों के लिए अदृश्य है, हालांकि इसे कई जानवर देख सकते हैं, जिसमें बारहसिंगा भी शामिल है। पराबैंगनी विकिरण, दृश्य प्रकाश के स्पेक्ट्रम के आखिरी जामुनी सिरे के पीछे स्थित होता है।

इसके इतना हानिकारक होने का एक कारण यह है कि इसकी ऊर्जा को हमारी कोशिकाओं के डीएनए द्वारा अवशोषित किया जा सकता है, जिससे ये कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। यदि कोशिका इस डीएनए क्षति की मरम्मत करने में सक्षम नहीं हैं, तो इससे आनुवांशिक परिवर्तन या उत्परिवर्तन हो सकते हैं, जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। शरीर की सतह पर होने के कारण, त्वचा कोशिकाओं को यूवी से ज्यादा नुकसान होता है।

इन हानिकारक प्रभावों से सुरक्षा के लिए शरीर का अपना एक सुरक्षा तंत्र है। हमारी कोशिकाओं के भीतर आणविक तंत्र उत्परिवर्तन का कारण बनने से पहले डीएनए क्षति का पता लगाने और उसकी मरम्मत करने में सक्षम हैं। जब त्वचा कोशिकाएं डीएनए क्षति का पता लगाती हैं, तो वे अलार्म संकेतों को सक्रिय करती हैं, जो वर्णक-उत्पादक कोशिकाओं तक पहुंच जाते हैं, ताकि उन्हें और अधिक नुकसान से बचाने में मदद करने के लिए अधिक वर्णक का उत्पादन शुरू करने के लिए कहा जा सके। यह इस वर्णक, मेलेनिन का उत्पादन है, जो त्वचा के झुलसने का कारण बनता है।

इसलिए त्वचा का झुलसना इस बात का संकेत है कि आपकी त्वचा क्षतिग्रस्त हो गई है। इसके द्वारा प्रदान की जाने वाली सुरक्षा लगभग 4 एसपीएफ के बराबर होने का अनुमान लगाया गया है। इसका मतलब यह है कि हालांकि ऐसा करने में धूप में चार गुना अधिक समय लगेगा, फिर भी आपकी त्वचा झुलस सकती है।

यदि आप बहुत सारी पराबैंगनी किरणों के संपर्क में हैं, तो डीएनए क्षति की मात्रा कोशिकाओं की सुरक्षा को प्रभावित कर सकती है। हालांकि सब कुछ खत्म नहीं हुआ है,क्योंकि एक क्षतिग्रस्त कोशिका में एक अंतिम रक्षा पंक्ति होती है जहां यह डेथ प्रोग्राम को सक्रिय कर समाप्त होने की प्रक्रिया का चुनाव कर सकती है, जिसे एपोप्टोसिस कहा जाता है।

इसका मतलब यह है कि बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कोशिकाएं, जो आगे चलकर कैंसर बन सकती हैं, शरीर को नुकसान पहुंचाने से पहले ही समाप्त कर दी जाती हैं। जिस किसी को भी कभी सनबर्न हुआ है, उसने इस प्रक्रिया को अनुभव किया है। भारी मात्रा में कोशिकाओं के मरने से त्वचा में सूजन हो जाती है, जिससे त्वचा एकदम लाल हो जाती है और उसमें दर्द होता है।

कैंसर का खतरा लेकिन कभी-कभी ये बचाव पर्याप्त नहीं होते हैं, और यूवी के कारण त्वचा को होने वाले नुकसान से त्वचा का कैंसर हो सकता है। ब्रिटेन में त्वचा कैंसर की दर पिछले दशकों में बढ़ी है क्योंकि विदेश यात्राएं अधिक आम हो गई है।

आश्चर्यजनक रूप से, हाल के एक अध्ययन से पता चला है कि त्वचा कैंसर 1980 के दशक की तुलना में आज आठ गुना अधिक आम है। अब हमें क्या करना चाहिए क्योंकि हम सब गर्मी का मौसम शानदार रहने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।

हालांकि यह सच है कि पराबैंगनी किरणों की तीव्रता ब्रिटेन में उतनी अधिक नहीं है जितनी भूमध्यसागरीय या अन्य कम अक्षांश वाले पर्यटक स्थलों पर है। देश अब उन महीनों में प्रवेश करने वाला है जहां यूवी तीव्रता अपने चरम पर होती है।
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यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ब्रिटेन में घरों के बाहर और आसपास यूवी के हानिकारक प्रभाव के संपर्क में आना अभी भी संभव है, विशेष रूप से बच्चों या गोरे लोगों के लिए जिनकी त्वचा आसानी से झुलस जाती है या उस पर झाइयां पड़ जाती हैं।
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हो सकता है कि महीनों के लॉकडाउन के बाद, बहुत से लोग धूप में निकलने के लिए बेताब हों, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि ज्यादा देर धूप में न रहें। इसका पता लगाना काफी कठिन हो सकता है कि आप कितनी तीव्रता की यूवी के संपर्क में आ रहे हैं, क्योंकि यूवी का स्तर उन दिनों में भी काफी अधिक हो सकता है जब आसमान में बादल छाए हुए हों।
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यूवी सूचकांक की जानकारी रखकर भी आप अपने आपको बचा सकते हैं। यूवी सूचकांक इस बात की माप है कि हर दिन यूवी किरणें कितनी तेज होती हैं। इससे आपको यह जानने में मदद मिलेगी कि आपको धूप से सुरक्षा के लिए टोपी, कपड़े और एसपीएफ 20 या उससे अधिक की व्यापक सुरक्षा वाली सनस्क्रीन का उपयोग करने की आवश्यकता है या नहीं।

यह सुरक्षा कवच इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितने समय के लिए बाहर रहेंगे। सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच, जब सूरज की गर्मी अपने चरम पर होती है तो खुद की अतिरिक्त देखभाल करना एक अच्छा विचार है। ऐसी कुछ सरल सावधानियां बरतने का मतलब है कि लॉकडाउन समाप्त होने पर हर कोई सुरक्षित रूप से धूप का आनंद ले सकता है। आइए! अब उम्मीद करते हैं कि इस गर्मी के मौसम का आनंद लेने के लिए बहुत सारे धूप वाले दिन हों।

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