नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले डेढ़ लाख से अधिक हो चुके हैं। संक्रमण के लगातार बढ़ रहे मामलों के बीच एक अच्छी खबर सामने आई है। स्वास्थ्य और गृह मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (PSA) डॉ. के विजय राघवन ने कहा है कि कोरोना वायरस के लिए देश में वैक्सीन बनाने पर लगातार काम चल रहा है। इस मामले में अक्टूबर तक कुछ कंपनियों को इसकी प्री-क्लीनिकल स्टडीज तक पहुंचने में सफलता मिल सकती है।
डॉ. राघवन ने कहा कि वैक्सीन हम नॉर्मल लोगों को देते हैं न कि बीमार और किसी भी अंतिम स्टेज के मरीज को इसलिए जरूरी है कि वैक्सीन की क्वालिटी और सेफ्टी को पूरी तरह से टेस्ट किया जाए।
राघवन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत में चार तरह के वैक्सीन सब लोग बनाने की कोशिश कर रहे हैं -1. mRNA वैक्सीन वायरस के जेनेटिक मेटिरियल को ही लेकर जब आप इन्जेक्ट कर लेते हैं। 2. स्टैंडर्ड वैक्सीन जो वायरस के कमजोर वर्जन को लेकर बनाया जाता है पर उससे बीमारी नहीं फैलती।
3. किसी और वायरस की बैकबोन में कोरोना के वायरस की प्रोटीन कोडिंग को लगाकर के वैक्सीन बनाया जाता है। 4. वायरस का प्रोटीन लैब में बनाकर उसको एक किसी दूसरे स्टीमुलस के साथ लगाया जाता है।
राघवन ने कहा कि साधारणतः वैक्सीन 10-15 साल में बनता है और इसकी लागत 200 मिलियन डॉलर के करीब होती है।
अब हमारी कोशिश है कि इसे एक साल में बनाया जाए इसलिए एक वैक्सीन पर काम करने की जगह हम लोग एक ही समय में 100 से अधिक वैक्सीन पर काम कर रहे हैं। (एजेंसियां)