रिलायंस ने चीन से 3 गुना सस्ती और गुणवत्ता वाली PPE किट बनाई

गुरुवार, 28 मई 2020 (15:59 IST)
नई दिल्ली। कोरोना वायरस (Corona) काल में विभिन्न मोर्चों पर योगदान दे रही मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अब चीन से तीन गुना सस्ती और बेजोड़ गुणवत्ता वाली पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (PPE) किट बनानी शुरू कर दी है। यह किट अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप और बेहतर गुणवत्ता की है।
 
कंपनी के सिल्वासा प्लांट में रोजाना 1 लाख पीपीई किट बनाई जा रही हैं। जहां चीन से आयात की जा रही PPE किट 2000 रुपए प्रति किट से अधिक बैठती है। वहीं रिलायंस की इकाई आलोक इंडस्ट्रीज, पीपीई किट मात्र 650 रुपए में तैयार कर रही है। पीपीई किट डॉक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्यकर्मियों के अलावा पुलिस और सफाई कर्मचारियों जैसे फ्रंट लाइन कोरोना वॉरियर्स को कोरोना संक्रमण से बचाती है।    
 
रोजाना एक लाख से अधिक पीपीई किट बनाने के लिए रिलायंस ने अपने विभिन्न उत्पादन सेंटर्स को इस काम में लगाया है। जामनगर में स्थित देश की सबसे बड़ी रिफाइनरी ने ऐसे पेट्रोकैमिकल्स का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू कर दिया, जिससे पीपीई का कपड़ा बनता है। इसी कपड़े का इस्तेमाल कर आलोक इंडस्ट्रीज में पीपीई बनाए जा रहे हैं।
 
आलोक इंडस्ट्रीज को हाल ही में रिलायंस ने अधिग्रहित किया था। आलोक इंडस्ट्रीज की सारी सुविधाएं पीपीई किट बनाने में लगा दी गई हैं। आज 10 हजार से अधिक लोग आलोक इंड्स्ट्रीज में पीपीई बनाने के काम में जुटे हैं।    
 
पीपीई ही नहीं ‘कोरोना टेस्टिंग किट’ के क्षेत्र में भी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने स्वदेशी तकनीक विकसित कर ली है। काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) के साथ मिलकर रिलायंस ने पूरी तरह स्वदेशी आरटी-एलएएमपी (RT-LAMP) आधारित कोविड-19 टेस्ट किट बनाई है। यह टेस्टिंग किट चीनी किट से कई गुना सस्ती है। 45 से 60 मिनट के भीतर टेस्टिंग के सटीक नतीजे मिल जाते हैं। 
 
आरटी-एलएएमपी टेस्टिंग किट में एक ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए इसे आसानी से सार्वजनिक स्थानों जैसे हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों और बस स्टैंड्‍स पर प्रयोग में लाया जा सकता है। इस टेस्ट किट में बुनियादी लैब और साधारण दक्षता की जरूरत होती है, इसलिए इसका इस्तेमाल टेस्टिंग मोबाइल वैन/ कियोस्क जैसी जगहों पर भी किया जा सकता है। 
 
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इससे पहले नमूना लेने में इस्तेमाल होने वाले टेस्टिंग स्वाब के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पहले यह टेस्टिंग स्वाब चीन से आयात होता था। जिसकी कीमत भारत में 17 रुपए प्रति स्वाब बैठती थी। रिलायंस और जॉन्सन एंड जॉन्सन के सहयोग से विकसित नए देशी स्वाब की कीमत चीनी स्वाब से 10 गुना कम यानी 1.70 रुपए ही पड़ रही है।
 

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