कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज पर भारी मुफ्त की चाह, प्रिकॉशन डोज के लिए नहीं खर्च कर रहे पैसा

विकास सिंह
शनिवार, 28 मई 2022 (07:55 IST)
भोपाल। देश की राजनीति में ‘मुफ्त’ की सौगात राजनीतिक दलों के लिए भले ही चुनाव जीतने का ट्रंप कार्ड साबित हो रहा हो  लेकिन हर कुछ ‘मुफ्त’ में लेना हमारे जीवन में शुमार होता जा रहा है। कोरोना काल में सरकार ने लोगों को जान बचाने वाली वैक्सीन से लेकर पेट भरने के लिए मुफ्त राशन तक दिया लेकिन यहीं ‘मुफ्तखोरी’ की आदत हमारे जीवन पर भारी पड़ती हुई दिख रही है।

ऐसे हम क्यों कह रहे है इसको समझने के लिए मध्यप्रदेश में कोरोना के बढ़ते ग्राफ और कोरोना से बचाव के लिए लगाई जाने वाली प्रिकॉशन डोज के आंकड़ों का विश्लेषण करना होगा। मध्यप्रदेश में कोरोना के मामलों में एक बार फिर तेजी से बढ़ने लगे है। बीते 3 दिनों में प्रदेश में 150 से अधिक कोरोना के नए केस आ चुके है।

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े के मुताबिक शुक्रवार को प्रदेश में कोरोना के 53 नए केस मिले। इसके साथ प्रदेश में एक्टिव केसों की संख्या 300 के पार पहुंच गई है। कोरोना के हॉटस्पॉट रह चुके भोपाल और इंदौर में फिर तेजी से कोरोना के केस बढ़ने लगे है। मध्यप्रदेश में 25 से अधिक जिलों में कोरोना के एक्टिव मौजूद है। 
 
भले ही प्रदेश में कोरोना के एक्टिव केसों की संख्या बढ़ती जा रही है लेकिन लोग कोरोना को लेकर पूरी तरह बेफ्रिक है। लोग न तो मास्क लगा रहे है और न ही कोरोना से जिंदगी को बचाने वाली संजीवनी कोरोना वैक्सीन का प्रिकॉशन डोज ले रहे है। 
18-59 साल में प्रिकॉशन डोज शून्य फीसदी-मध्यप्रदेश में कोरोना वैक्सीन के प्रिकॉशन डोज के आंकड़ों पर नजर डाले तो 18 से 44 साल की आयु वर्ग में 3 करोड़ 60 लाख पात्र लोगों से मात्र 7 हजार लोगों ने प्रिकॉशन लगवाई है। वहीं 45 से 59 साल के वैक्सीनेशन पात्र लोगों में से 1 करोड़ 18 लाख लोगों में से मात्र 12 हजार 844 लोगों ने वैक्सीन लगवाई है।

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े इस बात की तस्दीक करते है कि जिन आयु वर्ग के लोगों को पैसे देकर वैक्सीन लगवानी है वह वैक्सीन लगवाने से बच रहे है। स्वास्थ्य विभाग का आंकड़ा बताता है कि अब 18 से 59 आयु वर्ग के प्रिकॉशन डोज के पात्र पांच करोड़ लोगों में से मात्र 20 हजार लोगों ने वैक्सीन लगवाई है जिसको अगर प्रतिशत में देखा जाए तो जीरो फीसदी ही है। 
 
मुफ्त प्रिकॉशन डोज में 60 फीसदी आंकड़ा-वहीं हेल्थ केयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स जिनको प्रिकॉशन डोज मुफ्त में लगाई जा रही है उनका आंकड़ा काफी अच्छा है। प्रदेश हेल्थ केयर वर्कर्स की संख्या 5 लाख 41 हजार 328 है जिसमें 3 लाख 36 हजार 991 लोगों (62.3%) लोगों ने वैक्सीन लगवा ली है। वहीं फ्रंटलाइन वर्कर्स की संख्या 5 लाख 70 हजार 427 है जिसमें 3 लाख 5 हजार 264 (53.5%) लोगों ने प्रिकॉशन डोज लगवा ली है।  

 
‘वेबदुनिया’ ने प्रिकॉशन डोज की पात्रता पूरी कर चुके कैब चालक राज से जब प्रिकॉशन डोज नहीं लगाने का कारण पूछा तो राज ने साफ कहा कि सरकार जब मुफ्त में लगवाएगी तब लगवा लेंगे। 

क्या कहते हैं जिम्मेदार?
मध्यप्रदेश के राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ.संतोष शुक्ला ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में साफ कहते है कि लोगों को प्रिकॉशन डोज के लिए पैसा देना पड़ रहा है, इसलिए वह आगे नहीं आ रहे है। वह आगे कहते हैं कि जब दुनिया में एक बार फिर कोरोना के केस बढ़ रहे है और अब तक की सभी रिसर्च रिपोर्ट इस बात को साबित करती है कि कोरोना वैक्सीन कोरोना संक्रमण से जिंदगी बचाने के लिए एकमात्र संजीवनी है तब लोग जिंदगी की कीमत पर लापरवाही कर रहे है। डॉ. सतोष शुक्ला साफ कहते हैं कि लोग जिंदगी की कीमत पर मुफ्त वैक्सीन की राह देख रहे है। 
 
वहीं मध्यप्रदेश में कोरोना वैक्सीन के प्रिकॉशन डोज कम लगने का बड़ा कारण यह भी है कि प्रदेश के मात्र 6 जिलों में 20 सेंटरों पर प्रिकॉशन डोज लगाया जा रहा है। एक्सपर्ट कहते हैं कि प्राइवेट सेक्टर इसलिए प्रिकॉशन डोज में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है क्यों कि उसको भी अंदेशा है कि सरकार प्रिकॉशन डोज को मुफ्त कर सकती है जैसा कि दिल्ली सरकार ने किया।

देश में कोरोना के बढ़ते हुए मामलों के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीते 10 अप्रैल को 18 से 59 वर्ष के आयु वालों को प्रिकॉशन डोज लेने की छूट दे दी थी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा था कि जिनकी आयु 18 वर्ष या इससे अधिक है और उन्हें दूसरी डोज लिए 9 महीने पूरे हो गए है वह निजी टीकाकरण केंद्रों पर निर्धारित शुल्क चुकाकर प्रिकॉशन डोज ले सकते है। 

स्वास्थ्य मंत्रालय के निजी अस्पतालों में पैसे लेकर प्रिकॉशन डोज लगाने के फैसले का असर यह हुआ कि मध्यप्रदेश जैसे राज्य जिन्होंने कोरोना वैक्सीनेशन से पहले और दूसरे डोज में एक दिन में रिकॉर्ड वैक्सीनेशन करने का रिकॉर्ड बनाया था वह प्रिकॉशन डोज में फिसड्डी साबित हो रहा है।

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