दरअसल, इंदौर के एक जैन परिवार ने एक माह पूर्व अपनी बेटी के लग्नविधान को पक्का कर लिया था। उस समय ऐसा माहौल भी नहीं था। लेकिन, आपातकालीन परिस्थिति के इस नाजुक क्षण में सभी आयोजन निरस्त कर केवल परिवार के चुनिंदा सदस्यों के बीच अनूठे अंदाज में परिणय की रस्में अपने ही घर में पूर्ण कीं।
उल्लेखनीय है कि इंदौर का मारू परिवार समाज में अपनी विशिष्टता और धर्म साधना के लिए ख्यात है। इस परिवार के सबसे छोटे बेटे अक्षय जैन ने आचार्य नवरत्नसागर जी महाराज से 17 वर्ष पूर्व अपने बच्चों के परिणय जैन विधान से करने और दिन के लग्न करने का नियम संकल्प लिया था, जिन्होंने धर्म मान्यतानुसार के साथ परिणय परिकल्पना को पूर्ण किया, जबकि इस अनूठे परिणय के साक्षी बनने के लिए करीब 40 ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने शामिल होने की स्वीकृति भेजी थी।
इस विवाह में भगवान आदिनाथ की चौमुखी प्रतिमा की वेदी पर विराजित होकर भगवान पार्श्वनाथ दादा, पद्मावती देवी और आधिष्ठायक देव श्री नाकोड़ा भैरव की स्थापना की गई थी, जिसमें संस्कार वचनों के साथ जिन शासन आगम की मान्यतानुसार श्रावक- श्राविका धर्म पथ पर चलकर जीवन को उत्कृष्टता के साथ निर्व्हन करने की वचनबद्धता के फेरे हुए। इसे परिणय दीक्षा का नाम दिया था