अस्पतालों में जगह नहीं है। डॉक्टरों की कमी है। दवाइयों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। ऐसे में जिन लोगों को कोरोना के माइल्ड सिम्प्टोम्स हैं, वे अपने घर में ही कुछ सावधानियों के साथ आइसोलेट हो सकते हैं। उसके लिए उन्हें बस सावधान रहना होगा।
मरीजों की संख्या में तेजी से हो रही बढ़ोतरी के चलते अस्पतालों की मौजूदा स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने भी कहा है कि कोशिश की जाए कि वायरस के गंभीर मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती किया जाए, जबकि हल्के लक्षण वाले मरीजों का घर पर ही इलाज चले। दरअसल, कोरोना वायरस के जिन मरीजों में हल्के लक्षण होते हैं, उन्हें खतरा भी कम होता है। लिहाजा, वे घर में ही आइसोलेट होकर बिना किसी विशेष इलाज के कोरोना से ठीक हो सकते हैं।
होम आइसोलेशन में कैसे रहे सावधान?
कोरोना गाइडलाइंस के मुताबिक, कोरोना के हल्के लक्षण वाले मरीजों को घर में 14 दिन तक आइसोलेट रहने की जरूरत होती है।
घर से बाहर निकलने से पहले उन्हें डॉक्टर से बात करना जरूरी है।
उन्हें डॉक्टरों को अपने मौजूदा स्वास्थ्य के बारे में सटीक जानकारी देना बहुत जरूरी है।
होम आइसोलेशन में रहने वाले मरी जों को किसी भी हाल में कोई लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।
यदि मरीज किसी भी तरह की कोई लापरवाही करते हैं तो उनके साथ-साथ परिवार के अन्य सदस्य भी खतरे में पड़ सकते हैं।
आमतौर पर होम आइसोलेशन में केवल उन्हीं मरीजों को रखने की सलाह दी जाती है, जिनका पर्सनल कमरा, बाथरूम और वॉशरूम होता है।
यदि किसी मरीज को हल्के लक्षण हैं तो वे डॉक्टर की सलाह पर जरूरी दवाइयां ले सकते हैं।
मरीजों को अपने खानपान और लाइफस्टाइल का भी खास ध्यान रखना होता है। यदि होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीज सभी गाइडलाइंस का पालन करते हैं तो वे जल्द ही बीमारी से रिकवर हो सकते हैं।
होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि उन्हें हमेशा डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए। किसी भी तरह की गंभीर समस्या होने पर डॉक्टर को बिना देरी किए तुरंत सूचित करना चाहिए।
अपना कमरा, बााथरूम और टॉवेल, कपडे आदि अलग रखे जाएं।
जिस बाथरूम का उपयोग मरीज करे, उसमें कोई अन्य सदस्य न जाएं।
मरीज से संपर्क करने वाला घर में सिर्फ एक ही व्यक्ति हो, वो भी बार बार हाथ धोए।