उन्होंने कहा, ‘वह पहले मरीज की जांच करती है, जिसके बाद उन्हें पृथकवास के लिए विशेष वार्ड में भेजा जाता है।’ 54 वर्ष की मोना ने पटियाला से एमबीबीएस किया और नब्बे के दशक में अमेरिका में बस गईं।
जीव ने कहा, 'मुझे उस पर गर्व है। वह हर रोज मैराथन दौड़ रही है। वह हफ्ते में पांच दिन काम करती है। कभी दिन में, कभी रात में और कभी कभी 12-12।’
उन्होंने कहा, ‘मैं उसे लेकर चिंतित हूं। लोगों का इलाज करते समय कुछ भी हो सकता है। हम उससे रोज बात करते हैं। मम्मी-पापा भी रोज उससे बात करते हैं। मैं उसे सकारात्मक रहने और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कहता हूं।’
उन्होंने कहा, ‘मैं देश के हर नागरिक से अपील करना चाहता हूं कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जुटे लोगों का सम्मान करें। चाहे वह डॉक्टर हो, पुलिस या फिर सफाईकर्मी। उनका सम्मान करना चाहिए और उनकी चिंता करनी चाहिए।’ (भाषा) Photo courtesy twitter