इन अस्पतालों ने टीकों की खरीद के लिए एक उचित तंत्र और एकल खिड़की प्रणाली स्थापित किए जाने की मांग की है। अस्पतालों ने यह भी दावा किया कि उन्होंने टीका विनिर्माताओं-सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक तथा राज्य सरकारों से संपर्क किया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।
इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे एक पत्र में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया में सरकार और नियामक मामलों के निदेशक प्रकाश कुमार सिंह ने कहा, आपके निर्देश के अनुसार, हम देश में किसी भी निजी अस्पताल से अब कोई ऑर्डर/भुगतान स्वीकार नहीं कर रहे। निजी अस्पतालों को भविष्य की आपूर्ति के लिए रोडमैप के संबंध में हमें आपके आगे के निर्देश की प्रतीक्षा है।
निजी अस्पतालों के समक्ष आ रहीं समस्याओं का जिक्र करते हुए बत्रा अस्पताल के चिकित्सा निदेशक एससीएल गुप्ता ने कहा, समस्या यह है कि इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है कि हम टीके किस तरह खरीदेंगे। जब हम राज्य सरकार के अधिकारियों से बात करते हैं तो वे कहते हैं कि 21 जून तक इंतजार करिए क्योंकि नीति अभी स्पष्ट नहीं है।
राजस्थान डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सर्वेश सरन जोशी ने कहा, हमने कोविशील्ड और कोवैक्सीन-दोनों के विनिर्माआतों से बात की है और उन्होंने बताया कि सरकार ने निजी अस्पतालों को सीधे टीका आपूर्ति न करने को कहा है। इसलिए मध्यम और लघु स्तर के अधिकतर अस्पतालों को सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है।
सीता मेमोरियल मल्टीस्पेशलिटी डेंटल क्लिनिक के निदेशक जितेंद्र सराफ ने कहा कि जब उन्होंने राज्य सरकार के अधिकारियों से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि अभी उन्हें भी इस बारे में उचित दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं कि निजी अस्पताल किस तरह टीके खरीदेंगे। इंडियन डेंटल एसोसिएशन के सदस्य सराफ ने कहा, हम भारत बायोटेक और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया दोनों को लिखते रहे हैं, लेकिन उनसे कोई जवाब नहीं मिला है।(भाषा)