उन्होंने कहा कि नकद हस्तांतरण से लेकर ऋण देने समेत अर्थव्यवस्था को बचाने और उसे सुधारने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के केंद्र में महिलाओं को रखा जाना चाहिए। यह महामारी ऐसे साल में आई है, जब दुनिया महिलाओं के अधिकारों एवं लैंगिक समानता पर कार्रवाई संबंधी ऐतिहासिक बीजिंग मंच की 25वीं वर्षगांठ मना रही है।
गुतारेस ने कहा कि अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में दुनिया में करीब 60 प्रतिशत महिलाएं कम कमा रही हैं, कम बचत कर पा रही हैं और उन पर गरीब होने का अधिक खतरा है। बाजार गिरने और कारोबारों में नुकसान से लाखों महिलाओं की नौकरियां चली गई हैं।
गुतारेस ने कहा कि लॉकडाउन लागू किए जाने और आवागमन पर प्रतिबंध का अर्थ है कि परिवार के लोगों के हाथों हिंसा का शिकार होने वाली महिलाएं उत्पीड़न करने वालों के साथ घर में ऐसे समय में फंस गई हैं, जब उनकी सहायता करने वाली सेवाएं बाधित हैं और उन तक पहुंच संभव नहीं है।