हास्य कवि को ब्लॉग जगत की श्रद्धांजलि

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ख्यात हास्य कवि ओम व्यास ओम के निधन से ब्लॉग जगत के कुछ ब्लॉगर स्तब्ध हैं और इनकी पोस्ट को पढ़ेंगे तो पाएँगे कि वहाँ कई लोगों ने कमेंट्स किए हैं और इस कवि को तरह- तरह से याद किया है, अपनी श्रद्धांजलियाँ दी हैं।

एक ब्लॉगर पंकज सुबीर ने तो इस हास्य कवि की मृत्यु की खबर का एक एसएमएस पाकर बहुत दुःखी मन से यह खबर दी थी। कहने की जरूरत नहीं कि इस कवि ने बहुत ही कम समय में मंचीय कवि सम्मेलन में अपनी एक पुख्ता जगह बना ली और खासे लोकप्रिय हो गए थे।

ब्लॉग जगत पर कुछ ब्लॉगों ने उन्हें अपने तरीके से याद किया है। मिसाल के तौर पर कल्पतरू ब्लॉग पर विवेक रस्तोगी लिखते हैं कि अब ओम भय्या फ्रीगंज (उज्जैन) की मामा की पान की दुकान पर नहीं मिलेंगे और न ही अपने सफेद स्कूटर पर ऑफिस जाते हुए दिखेंगे। यह बहुत बड़ी क्षति है।

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जबकि कबाड़खाना ब्लॉग पर संजय पटेल लिखते हैं कि वे मालवा के ह्रदय-स्थल उज्जैन के बाशिंदे थे और मालवी हास्य कविता के पितामह भावसार 'बा' को अपना प्रेरणास्त्रोत मानते थे। ओम व्यास ने यदि सुरेन्द्र शर्मा,अशोक चक्रधर,माणिक वर्मा,स्व.ओमप्रकाश आदित्य,अरूण जैमिनी,शैलेष लोढ़ा,कुमार विश्वास,हुल्लड मुरादाबादी के साथ अपनी राष्ट्रीय पहचान बना ली थी तो उसकी एक वजह यह थी कि वे जनपदीय कवि की हीनता के बोध से उबर आए थे और अपनी कहन, परिवेश और शब्द कौशल पर भरोसा रखते थे।

ये जानते हुए कि मालवी परिवेश और जन-जीवन को केन्द्र में रख कर लिखी गई रचनाएँ है। उसे देश ही नहीं विदेशी श्रोताओं के सम्मुख भी उन्हीं के कलेवर में परोसने का सलीक़ा सीख गए थे। हास्य उनकी काव्य यात्रा का स्थायी भाव था और ठहाकेदार कविताएँ उनके लिये रोज़ी-रोटी का जुगाड़ भी करती थी। लेकिन माँ और पिता शीर्षक की उनकी ताकतवर कविताओं की लोकप्रियता का प्रमाण यही है कि न जाने कौन कौन अपने नाम से इन कविताओं को मंच पर सुनाकर और पत्र-पत्रिकाओं में छाप कर वाहवाही लूट रहा है।

जाहिर है यह टिप्पणी बताती है कि उनके जाने से मालवी कविता को कितना नुकसान हुआ है। यह टिप्पणी यह भी बताती है कि अपनी हास्य कविताओं के लिए जाने जाने वाले इस कवि के पास कितनी मार्मिक कविताएँ हैं। वे शायद बेहतर कविताएँ लिख रहे थे। राजेश चेतन ने अपने ब्लॉग चेतन चौपाल पर ओमजी के कुछ फोटोज लगाए हैं। ये फोटो इस मायने में महत्वपूर्ण है कि इससे इस हास्य कवि के व्यक्तित्व की एक आत्मीय झलक मिलती है।

इन फोटोज में वे कहीं समुद्र के किनारे ठेठ अपनी खाँटी अदा में खड़े हैं तो कहीं किसी मित्र के साथ पीछे छिपते हुए फोटो खिंचवा रहे हैं। एक फोटो में तो वे अपनी लंबी चोटी को खड़ा किए हुए नजर आते हैं। जाहिर है इन फोटो से उनकी सहजता सरलता अभिव्यक्त हो रही है।

इसी तरह निनाद गाथा ब्लॉग पर उनके कुछ फोटो देखे जा सकते हैं। शिवम मिश्रा ने अपने ब्लॉग बुरा-भला पर सभी मैनपुरी वासियों की तरफ से ओमजी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा है कि हास्य, व्यंग्य और कविता प्रेमियों को बुधवार को एक और सदमा लगा। पिछले एक माह से जिंदगी से संघर्ष कर रहे मशहूर हास्य कवि ओम व्यास का बुधवार सुबह दिल्ली में निधन हो गया।

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हालाँकि यह श्रद्धांजलि खबर के रूप में दी गई है लेकिन मैनपुरी के लोगों की तरफ दी गई इस श्रद्धांजलि में यह बात छिपी है कि कितनी छोटी छोटी जगहों पर ओम जी के प्रेमी लोग थे। उनके कई ऐसे किस्से हैं कि उज्जैन, इंदौर, रतलाम के वे जब जिस शहर में जाते वहाँ के रेलवे स्टेशन पर भीड़ लग जाती थी और कुछ लोग उनके लिए पानी की बोटल ले आते थे तो कुछ लोग नाश्ता। कई लोगों को तो उनका पूरा नाम तक नहीं पता था और उन्हें सिर्फ पंडितजी के नाम से ही जानते थे। इस तरह के मिलनसार, अनूठे, सहज कवि के जाने से सचमुच हास्य मंच अब सूना हो जाएगा।

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