जहां तक भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का मामला है, तो उसमें भाजपा निर्विवाद रूप से आगे है। हालांकि सीटों के बंटवारे को लेकर खदबदाहट यहां भी है, लेकिन इसे काफी हद तक दूर कर लिया गया है। रामविलास पासवान की लोजपा इस गठबंधन में दूसरा बड़ा दल है, जबकि नीतिश के द्वारा ठुकराए गए जीतनराम मांझी का हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा (हम) और उपेंद्र कुशवाह की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) संयुक्त तीसरे स्थान पर है। हम को 20 और रालोसपा को 23 सीटें दिए जाने से पासवान नाराज जरूर हैं, लेकिन जानते हैं कि 40 सीटें पाकर अभी भी वे आगे हैं। भाजपा ने 160 सीटें अपने पास रखी हैं। संदेश साफ है कि नेतृत्व तो भाजपा ही करेगी, लेकिन यह इतना आसान भी नहीं है। भाजपा के लिए नेतृत्व करने वाले चेहरे को ढूंढना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है। जो गोटियां अभी उसे अपने पक्ष में जाती दिख रही हैं, वे पलट भी सकती हैं, जैसा कि दिल्ली चुनाव में हुआ था।