आदिवासियों के क्षेत्र के अहम योगदान के लिए आज भी उनकी तस्वीर भारतीय संसद के संग्रहालय में लगी है। आज भी उन्हें बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, और पश्चिम बंगाल में भगवान की तरह पूजते हैं। उन्होंने आदिवासियों की जमीन को अंग्रेजों के कब्जे से छुड़ाने के लिए एक अलग जंग लड़ी। और 'अबुआ दिशुम अबुआ राज' यानी 'हमारा देश, हमारा राज' का नारा दिया। उनके इस आंदोलन से अंग्रेजों के पैरों तले जमीन खिसकने लगी और पूंजीपति तथा जमींदार उनसे डरने लगे।