3. लार्ड डलहौजी ने उनके दत्तकपुत्र दामोदर राव की गोद अस्वीकृत कर दी और झांसी को अंग्रेजी राज्य में मिलाने की घोषणा कर दी। एजेंट की सूचना पाते ही रानी के उनके मुख से 'मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी' का वाक्य प्रस्फुटित हुआ और यहीं से भारत की प्रथम स्वाधीनता क्रांति का बीज प्रस्फुटित हुआ। लेकिन झांसी पर अंग्रेजों का अधिकार हुआ। किंतु वे घबराई नहीं, उन्होंने विवेक नहीं खोया।