कामिका एकादशी का क्या है महत्व, जानिए पूजा का मुहूर्त, विधि और पारण
श्रावण के महीने में आने वाली कामिका एकादशी का व्रत इस बार गुरुवार, 13 जुलाई 2023 को पड़ रहा है। बता दें कि एकादशी का पारण द्वादशी तिथि से खत्म होने पहले कर लेना चाहिए। अत: 14 जुलाई को सुबह 5.33 से 8.18 के बीच आप पारण कर सकते हैं।
महत्व kamika ekadashi importance : धार्मिक ग्रंथों के अनुसार श्रावण मास में कामिका और पुत्रदा एकादशी पड़ती है। मान्यतानुसार कामिका एकादशी व्रत करने वाले मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिलती है तथा वह कुयोनि को प्राप्त नहीं होता है। श्रावण कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान श्री विष्णु की पूजा करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है। इस बार यह एकादशी गुरुवार के दिन आने से इसका महत्व अधिक बढ़ गया है।
चातुर्मास में आने वाली कामिका एकादशी गुरुवार को पड़ने तथा श्रावण मास में आने के कारण यह अधिक महत्तपूर्ण हो जाती है। यह एकादशी जहां अश्वमेध यज्ञ के समान फल देती है, वहीं इस दिन व्रत रखने से समस्त पापों का नाश होकर मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह एकादशी बुरे कर्मों से मुक्ति देने तथा पितृ दोष दूर करने के लिए भी खास मानी गई है। इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते अर्पित करने का बहुत महत्व कहा गया है।
श्रावण कृष्ण एकादशी का प्रारंभ- बुधवार, 12 जुलाई को 05.59 पी एम से शुरू,
एकादशी की समाप्ति- 13 जुलाई 2023, गुरुवार को 06.24 पी एम पर।
उदयातिथि के अनुसार कामिका एकादशी बृहस्पतिवार, 13 जुलाई 2023 को मनाई जाएगी।
कामिका एकादशी पारण समय :
व्रत पारण का समय- शुक्रवार, 14 जुलाई 2023 को 05.32 ए एम से 08.18 ए एम तक।
पारण के दिन द्वादशी तिथि समापन का समय- 07.17 पी एम पर।
13 जुलाई : दिन का चौघड़िया
शुभ- 05.32 ए एम से 07.16 ए एम
चर- 10.43 ए एम से 12.27 पी एम
लाभ- 12.27 पी एम से 02.10 पी एम
अमृत- 02.10 पी एम से 03.54 पी एम
शुभ- 05.38 पी एम से 07.22 पी एम
रात्रि का चौघड़िया
अमृत- 07.22 पी एम से 08.38 पी एम
चर- 08.38 पी एम से 09.54 पी एम
लाभ- 12.27 ए एम से 14 जुलाई को 01.43 ए एम तक।
शुभ- 03.00 ए एम से 14 जुलाई को 04.16 ए एम तक।
अमृत- 04.16 ए एम से 14 जुलाई को 05.32 ए एम तक।
कामिका एकादशी पूजा विधि : kamika ekadashi puja vidhi
- कामिका एकादशी के दिन सुबह दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
- घर के पूजा स्थल में गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर लें।
- एक लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- मूर्ति के समक्ष तुलसी दल, पंचामृत, फल, मेवा और मिठाई अर्पित करें।
- उसके बाद विधि-विधान से पूजा करें।
- घी का दीपक जलाएं और श्रीहरि नारायण की आरती करें।
- एकादशी व्रत की कथा पढ़ें और मंत्र- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:, ॐ नमो नारायणाय नम:, ॐ श्रीमन नारायण नारायण हरि-हरि आदि मंत्रों का अधिक से अधिक जाप करें।
- पारण वाले दिन ब्राह्म तथा गरीबों को भोजन कराकर, दान-दक्षिणा, वस्त्र आदि का दान करें।
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