विजया एकादशी व्रत कब है, जानिए पौराणिक कथा, शुभ मुहूर्त, खास महत्व, सरल पूजा विधि और सटीक उपाय
Vijaya Ekadashi Vrat
हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन विजया एकादशी व्रत (Vijaya Ekadashi 2023) रखा जाता है। धार्मिक मान्यतानुसार यह एकादशी दसों दिशाओं से विजय दिलाने वाली तथा सभी व्रतों में उत्तम मानी गई है। वर्ष 2023 में विजया एकादशी व्रत 16 फरवरी को रखा जा रहा है। बता दें कि पारण के दिन द्वादशी सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाएगी। यहां पढ़ें विजया एकादशी व्रत की कथा, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और उपाय-
विजया एकादशी कथा-Vijaya Ekadashi Katha
पौराणिक कथा के अनुसार, प्रभु श्री राम के वनवास के दौरान रावण ने माता सीता का हरण कर लिया तब भगवान राम और उनके अनुज लक्ष्मण बहुत ही चिंतित हुए। माता सीता की खोज के दौरान हनुमान की मदद से भगवान राम की वानरराज सुग्रीव से मुलाकात हुई। वानर सेना की मदद से भगवान राम लंका पर चढ़ाई करने के लिए विशाल समुद्र तट पर आए। विशाल समुद्र के चलते लंका पर चढ़ाई कैसे की जाए। इसके लिए कोई उपाय समझ में नहीं आ रहा था।
अंत में भगवान राम ने समुद्र से मार्ग के लिए निवेदन किया, परंतु मार्ग नहीं मिला। फिर भगवान राम ने ऋषि-मुनियों से इसका उपाय पूछा। तब ऋषि-मुनियों ने विजया एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। साथ ही यह भी बताया कि किसी भी शुभ कार्य की सिद्धि के लिए व्रत करने का विधान है।
प्रभु श्रीराम ने विजया एकादशी का व्रत किया और व्रत के प्रभाव से समुद्र को पार किया लंका पर चढ़ाई की और रावण का वध किया और माता सीता से फिर पुनः मिलन हुआ। विजया एकादशी व्रत के प्रभाव से मनुष्य को विजय प्राप्त होती है भयंकर शत्रुओं से जब आप घिरे हो और सामने पराजय दिख रही हो ...उस विकट स्थिति में भी अगर विजया एकादशी का व्रत किया जाए तो ...व्रत के प्रभाव से अवश्य ही विजय प्राप्त होती है।
महत्व- फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम विजया एकादशी है। फाल्गुन मास (falgun month 2023) की यह एकादशी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम से जुड़ी हुई है। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य को विजय प्राप्त होती है।
इस दिन व्रतधारियों को उपवास रखकर तथा रात्रि जागरण और श्रीहरि विष्णु का पूजन-अर्चन तथा ध्यान किया जाना उचित रहता है। मान्यतानुसार विजया एकादशी व्रत पुराने तथा नए पापों को नाश करने वाला माना गया है। इसके व्रत के प्रभाव से मनुष्य को विजय प्राप्त होती है। यह सब व्रतों से उत्तम व्रत है। इस विजया एकादशी के महात्म्य के श्रवण व पठन से समस्त पाप नाश को प्राप्त हो जाते हैं।
विजया एकादशी के शुभ मुहूर्त-Vijaya Ekadashi Muhurat 2023
विजया एकादशी तिथि का प्रारंभ- 16 फरवरी 2023 को 05.32 ए एम से शुरू
एकादशी तिथि का समापन- 17 फरवरी 2023 को 02.49 ए एम पर।
विजया एकादशी व्रत, गुरुवार, 16 फरवरी 2023 को मनाया जाएगा।
विजया एकादशी पारण का समय-Vijaya Ekadashi Parana Time
एकादशी पारण (व्रत तोड़ने का) समय- 17 फरवरी को, 08.01 ए एम से 09.13 ए एम तक।
द्वादशी के दिन हरि वासर समाप्त होने का टाइम- 08.01 ए एम पर।
वैष्णव विजया एकादशी 17 फरवरी 2023, शुक्रवार को
एकादशी तिथि प्रारंभ- 16 फरवरी 2023 को 05.32 ए एम बजे से शुरू होकर
एकादशी तिथि का समाप्ति- 17 फरवरी 2023 को 02.49 ए एम पर।
वैष्णव एकादशी पारण (व्रत तोड़ने का) समय- 18 फरवरी को 06.57 ए एम से 09.12 ए एम तक।
16 फरवरी, दिन का चौघड़िया
शुभ- 06.59 ए एम से 08.23 ए एम
चर- 11.11 ए एम से 12.35 पी एम
लाभ- 12.35 पी एम से 01.59 पी एम
अमृत- 01.59 पी एम से 03.24 पी एम
शुभ- 04.48 पी एम से 06.12 पी एम
रात्रि का चौघड़िया
अमृत- 06.12 पी एम से 07.48 पी एम
चर- 07.48 पी एम से 09.23 पी एम
लाभ- 12.35 ए एम से 17 फरवरी को 02.11 ए एम,
शुभ- 03.47 ए एम से 17 फरवरी को 05.22 ए एम,
अमृत- 05.22 ए एम से 17 फरवरी को 06.58 ए एम तक।
सरल पूजा विधि-Vijaya Ekadashi Puja Vidhi
- इस एकादशी व्रत की विधि यह है कि दशमी के दिन स्वर्ण, चांदी, तांबा या मिट्टी का एक घड़ा बनाएं।
- उस घड़े को जल से भरकर तथा पांच पल्लव रख वेदिका पर स्थापित करें।
- उस घड़े के नीचे सतनजा और ऊपर जौ रखें।
- उस पर श्रीनारायण भगवान की स्वर्ण की मूर्ति स्थापित करें।
- एकादशी के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर धूप, दीप, नैवेद्य, नारियल आदि से भगवान की पूजा करें।
- तत्पश्चात घड़े के सामने बैठकर दिन व्यतीत करें और रात्रि को भी उसी प्रकार बैठे रहकर जागरण करें।
- द्वादशी के दिन नित्य नियम से निवृत्त होकर उस घड़े को ब्राह्मण को दे दें।
- इसके पश्चात स्वयं पारण करें।
- अत: विधिपूर्वक व्रत करने से दोनों लोकों में विजय तथा जो कोई इस व्रत के महात्म्य को पढ़ता या सुनता है, उसको वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
सटीक उपाय-Vijaya Ekadashi Upay
1. विजया एकादशी के दिन दक्षिणावर्ती शंख में जल भरें तथा उससे भगवान श्री विष्णु का अभिषेक करें।
2. श्रीविष्णु का वास पीपल वृक्ष में होता है, अत: पीपल में जल अर्पित करके खीर, पीले फल और पीले रंगी मिठाई का भोग लगाएं।
3. यदि प्रचंड धनलाभ की इच्छा है तो विष्णुजी के साथ ही माता लक्ष्मी का पूजन करें।
4. एकादशी के दिन सायं के समय तुलसी जी के सामने शुद्ध घी का दीया जला कर प्रणाम करके अपने मन की इच्छा बोलें, मनोकामना अवश्य ही पूर्ण होगी।
5. एकादशी के दिन विधिपूर्वक व्रत करके लक्ष्मी-श्रीविष्णु की उपासना करने से उत्तम संतान तथा सुख-समृद्धि का वरदान मिलता है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
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