स्‍मार्ट सिटी इंदौर की बत्‍ती गुल, बिजली बिल देखकर आ रहा है उपभोक्‍ताओं को 'पसीना'

इंदौर देश का सबसे स्‍वच्‍छ शहर है और अब इसे ‘स्‍मार्ट सिटी’ के नाम पर डेवलेप किया जा रहा है। मेट्रो प्रोजेक्‍ट का काम चल रहा है। नाइट कल्‍चर को बढ़ावा दिया जा रहा है। तमाम तरह के फ्लाइओवर और ब्रिज प्रस्‍तावित हैं, लेकिन बेमौसम में बारिश और आंधी में जिस तरह से इन दिनों स्‍मार्ट सिटी इंदौर में बत्‍ती गुल हो जाती है, वो न सिर्फ शहर पर बदनुमा दाग लगा रहा है बल्‍कि ‘स्‍मार्ट सिटी’ की अवधारणा को भी मुंह चिढ़ा रहा है। दूसरी तरफ बिजली कंपनी के जिम्‍मेदार अफसर इस मुद्दे पर बात तक नहीं करना चाहते हैं। वहीं उपभोक्‍ताओं को बिल देखकर पसीने आ रहे हैं।

शहर के अधीक्षण यंत्री मनोज शर्मा से जब इस बारे में चर्चा के लिए कॉल किया तो उन्‍होंने मीटिंग में होने की बात कहकर फोन काट दिया, एक घंटे बाद कॉल करने पर उन्‍होंने कॉल रिसीव नहीं किया।

दरअसल, कुछ देर की बारिश और हवा में शहर के ज्‍यादातर इलाकों में अंधेरा छा रहा है, वो किसी रिमोट एरिया के गांव की याद दिला रहा है। लोगों का तो यहां तक कहना है कि स्‍मार्ट सिटी में रोज छा रहा अंधेरा ‘दिग्‍गी सरकार’ के दिनों की याद दिला रहा है। दरअसल, पिछले दिनों मौसम में आए बदलाव की वजह से अचानक बारिश हो जाती है, इस दौरान आंधी और हवा भी चल रही है। जैसे ही बारिश शुरू होती है, देश के सबसे स्‍वच्‍छ शहर इंदौर के कई इलाकों में बत्‍ती गुल हो जाती है और अंधेरा छा जाता है। कहीं चार घंटे लाइट बंद रहती है तो कही ढाई घंटे। कुछ इलाकों में रात 8 बजे बंद हुई बत्‍ती आधी रात को ही आ रही है।

उपकरण जल रहे उसका कौन जिम्‍मेदार?
नई और इंदौर से कुछ ही दूरी पर बाहर की कॉलोनियों के रहवासी बिजली सेवाओं के ठप्‍प होने से बुरी तरह से त्रस्‍त हैं। रोज रोज बिजली के जाने और फिर आने की वजह से फॉल्‍ट हो रहे हैं। इस वजह से घर के उपकरण जल जाते हैं। रहवासियों का कहना है कि जब बिल जमा करने में देरी हो जाती है तो फाइन लगा दिया जाता है या बिजली काट दी जाती है लेकिन जब बिजली कंपनी की कटौती और फॉल्‍ट की वजह से लोगों के उपकरण जल जाते हैं तो इसकी भरपाई कौन करेगा। ये कैसी सेवाएं हैं, लोगों को उपभोक्‍ता कहा जाता है और फिर उनकी दिक्‍कतें दूर भी नहीं की जाती। राऊ के एक उपभोक्‍ता बलराम पाटीदार  ने वेबदुनिया को बताया कि उनके यहां इस महीने का बिल ही 11 हजार रुपए आया है। जबकि इसी महीने में कई बार कटौती हुई है। आंधी और बारिश में लाइट बंद हो रही सो अलग। ऐसे में इतना बिल कैसे आ सकता है? उपभोक्‍ता हैरान हैं।

75 फिसदी इलाकों में गुल हुई बत्‍ती
पिछले रविवार को ही आंधी चलने के बाद शहर के करीब 70 फीसदी इलाकों में बिजली गुल रही। कमाल की बात है कि विजय नगर, स्‍कीम नंबर 54, ओल्‍ड पलालिया, न्‍यू पलासिया, साकेत, गुलमोहर कॉलोनी जैसे पॉश इलाकों में जहां कभी बिजली नहीं जाती, वहां भी घंटों तक अंधेरा पसर रहा है। यह तो उन इलाकों की बात है जहां व्‍यवस्‍थाएं चाकचौबंद होती है, शहर के बाकी इलाकों का हाल तो बेहाल है। पिछले शनिवार और रविवार को तो पलसीकर कॉलोनी, चंद्रभागा, खातीवाला टैंक, सुखलिया, स्‍कीम नंबर 78, सुंदर नगर, न्‍याय नगर, महालक्ष्‍मी नगर, बॉम्‍बे अस्‍पताल, प्राइम सिटी, वीणा नगर, गौरी नगर में देर तक अंधेरा छाया रहा। यहां सैकड़ों उपभोक्‍ताओं ने अपने-अपने जोनल कार्यालयों पर शिकायतें की। सिर्फ रविवार को ही 2 हजार से ज्‍यादा शिकायतें दर्ज की गई।

बारिश आते ही इन इलाकों में छा रहा अंधेरा
गौरीनगर में लगातार बिजली गुल हो रही है। पूर्वी रिंग रोड, बंगाली चौराहा के आसपास की कॉलोनी, स्कीम-74, स्‍कीम नंबर 78, नंदानगर, परदेशीपुरा, क्लर्क कॉलोनी, पलसीकर, चंद्रभागा, एयरपोर्ट रोड, नौलखा, महूनाका, कालानी नगर, जबरन कॉलोनी, चंदननगर, सपना-संगीता, भंवरकुआं, पलसीकर कॉलोनी, चंद्रभागा, खातीवाला टैंक, सुखलिया, सुंदर नगर, न्‍याय नगर, महालक्ष्‍मी नगर, बॉम्‍बे अस्‍पताल, प्राइम सिटी, वीणा नगर, निरंजनपुर, बेलमोंट, नगीन नगर, नंदानगर, बजरंग नगर में देर तक अंधेरा छाया रहा।

ठप्‍प पड़ा कॉल सेंटर नंबर 1912
बिजली कंपनी ने शिकायत करने के लिए 1912 ट्रोल फ्री शिकायत नंबर जारी कर रखा है। लेकिन यह बिजली बंद होने पर तो ठीक, कई बार आम दिनों में भी ठप्‍प पड़ा रहता है। आम लोगों को खुद ही जोनल पर जाकर शिकायत दर्ज करना पड़ती है। महाराजा कॉम्‍पलेक्‍स में दुकानदार मनीष निगम ने वेबदुनिया को बताया कि 1912 शिकायत नंबर नहीं लगने पर उन्‍हें जोनल पर जाकर शिकायत करना पड़ी। विजय नगर में प्रवीण गोरे ने बताया कि कई बार लगाने पर भी नंबर नहीं लगता। रविवार को भी थक-हार कर जोनल पर ही जाकर शिकायत की। अमित भंवरेटा ने बताया कि विजय नगर की आईडीए बिल्‍डिंग में रात में कई घंतों तक बिजली बंद रही, दो बार शिकायत करने पर भी बिजली कंपनी के कर्मचारी नहीं पहुंचे। मनीष नारायणिया ने बताया कि इस तरह बार बार लाइट जाना यह दर्शाता है स्‍मार्ट सिटी सिर्फ एक शिगुफा है।

ये था अधीक्षण यंत्री का रिस्‍पोंस
मीटिंग में हूं कहकर काट दिया फोन
शहर की बदहाल होती बिजली व्‍यवस्‍था के बारे में चर्चा करने पर जब अधीक्षण यंत्री मनोज शर्मा को कॉल किया गया तो उन्‍होंने बात ही नहीं सुनी और मीटिंग में होने की बात कहकर फोन काट दिया। करीब एक घंटे बाद उन्‍हें दोबारा कॉल किया गया तो उन्‍होंने कॉल रिसीव नहीं किया। सवाल यह है कि जब शहर में आए दिन बिजली गुल हो रही है, सैंकड़ों जगह फॉल्‍ट हो रहे हैं। कहीं तार टूटकर गिर रहे हैं तो कहीं फेज बंद है ऐसे में अफसर किस चीज के लिए मीटिंग करते हैं, उनकी इतनी मीटिंग्‍स के बाद भी शहर की बिजली व्‍यवस्‍थाएं ठीक क्‍यों नहीं होती।

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